फिलीपींस में एक नएपाकिस्तान की हलचल
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मुस्लिम विद्रोहियों और सरकार के बीच समझौता
पाकिस्तान की हलचल
यह सवाल अधिकतर पूछा जाता है कि आतंकवाद से क्या लाभ है? इस का कोई यह जवाब दे कि कुछ साल तक मजहब के नाम पर संघर्ष करने के पश्चात् यदि कोई नया देश औैर नई हुकूमत मिल जाए तो क्या बुरा है? कुछ वर्षों पूर्व सूडान अफ्रीका में एक देश था, लेकिन जब वहां ईसाई और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चला तो सूडान का बंटवारा हो गया। अब ईसाई और मुस्लिम बहुल सूडान यानी उत्तरी और दक्षिणी सूडान दुनिया के मानचित्र पर देखने को मिल रहे हैं। बंटवारा अब मजहब के नाम पर होता है इसलिए मुस्लिम आतंकवादी इस सस्ते नुस्खे का उपयोग कर मुस्लिम बहुल देश बनाने के प्रयास में लगे रहते हैं। जब दुनिया में उपनिवेशवाद का बोलबाला था उस समय मुस्लिम राष्ट्र यूरोप और अमरीका के गुलाम थे। भिन्न-भिन्न कारणों से वे स्वतंत्र होते चले गए। लेकिन ईसाइयों और मुस्लिमों ने अपने नाम पर राज्य और राष्ट्र बनाने की नीति को नहीं त्यागा। मुसलमान इस मामले में दो कदम आगे रहे। आज 'ऑरगेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज' की सूची के अनुसार विश्व में 56 मुस्लिम देश हैं। लेकिन इसके साथ ही कुछ ऐसे भी देश हैं जिनमें मुस्लिम जनसंख्या शत-प्रतिशत तो नहीं है लेकिन उनकी तादाद इतनी है कि उसे नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए किसी न किसी कारण से वहां की मुस्लिम जनसंख्या स्थानीय लोगों से टकराती रहती है। केवल वैचारिक और मजहबी आधार पर नहीं, बल्कि नागरिक होने के नाते वहां की सरकार में भी बराबर का हिस्सा चाहती है। कोई भी सरकार अपने देश के नागरिकों की मांग की अवहेलना नहीं कर सकती है। लेकिन जब यह मांग मजहबी रूप से उठाई जाती है तब तो आपस में संघर्ष होना स्वाभाविक हो जाता है। यही संघर्ष एक दिन उनके लिए नए देश की मांग के रूप में बदल जाता है। जबसे पाकिस्तान बना है मुसलमानों को इस मामले में 'ब्लूप्रिंट' मिल गया है। वे इन्हीं रेखाओं पर आधारित नए देश की मांग करने लगते हैं। पहले उसे एक विशेष क्षेत्र के रूप में मान्यता दिलवाते हैं और बाद में बंटवारे की हद तक बढ़ जाते हैं। उनकी यह रणनीति अनेक स्थानों पर सफल रही है। इसलिए अब जहां मुस्लिम एक विशेष क्षेत्र में रहते हैं उसे इस्लामिस्तान की संज्ञा देने लगते हैं। कट्टरवादी प्राय: पाकिस्तान का नाम एक विशेषण के रूप में भी उपयोग करने लगते हैं।
विभाजन का खतरा
इन दिनों भारत से कुछ दूर बसा फिलीपींस इसी दर्द से गुजर रहा है। वहां के ईसाई और मुसलमानों के बीच वर्षों से संघर्ष चल रहा है। दुनिया के राजनीतिज्ञों का मत है कि आज नहीं तो कल फिलींपींस भी ईसाई और मुसलमानों के आधार पर विभाजित हो जाएगा।
फिलीपींस के राष्ट्रपति इकेनो और 'मोरो इस्लामिक लिब्रेशन फ्रंट' के बीच पिछले दिनों एक समझौता हुआ जिसे वहां शांति समझौते की संज्ञा दी गई है। राष्ट्रपति ने बागियों को यह अश्वासन दिया है कि उनकी अवधि, जो 2015 में समाप्त हो रही है, उससे पूर्व उनके क्षेत्र में स्वयं का शासन शुरू हो जाएगा। उक्त फ्रंट उन अलगाववादियों पर आधारित है जो फिलीपींस सरकार की ओर से बातचीत की पेशकश को शंका की दृष्टि से देखता है। मलेशिया की राजधानी क्वालालाम्पुर में बातचीत के दौरान उक्त समझौता हुआ। इसके अंतर्गत 15 व्यक्तियों पर आधारित एक आयोग बनाया जाएगा, जो वर्तमान स्वशासित क्षेत्र के स्थान पर 'बंगसामोर ऑटोनामस क्षेत्र' कायम करने के लिए 2015 तक कानून का मसविदा तैयार करेगा। इस स्वशासन परिषद् द्वारा उसके अधिकार क्षेत्र को निश्चित करने के पश्चात् जनमत करवाया जाएगा। राष्ट्रपति ने बताया कि इस मुस्लिम क्षेत्र को अधिक राजनीतिक और आर्थिक अधिकार दिए जाएंगे। केन्द्र सरकार के अनुदान में कटौती करने के लिए उसे कर लगाने का अधिकार होगा। प्राकृतिक स्रोतों में भी उसे अधिक हिस्सा दिया जाएगा। आंतरिक सुरक्षा
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