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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला की दीनदयाल उपाध्याय पीठ की ओर से गत दिनों 'दीनदयाल उपाध्याय के निर्माण में विभिन्न प्रभावों की भूमिका' विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में पाञ्चजन्य साप्ताहिक के संपादक श्री बल्देव भाई शर्मा थे।
अपने संबोधन में श्री बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि दीनदयाल जी के निर्माण में नियति का हाथ तो है ही, लेकिन उनका वैचारिक पक्ष गढ़ने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुख्य भूमिका अदा की। उन्होंने कहा कि संघ ने ही उन्हें उस समय सामाजिक आन्दोलन के रास्ते पर अग्रसर किया, जब ज्यादा लोग राजनीति की ओर प्रेरित हो रहे थे। उन्होंने राजनीति में शुचिता और राष्ट्रवादी दृष्टि को प्रतिपादित किया। इसलिए जब देश की राजनीति में राष्ट्रवादी शक्तियां कमजोर पड़ती जा रही थीं, तो भारतीय जनसंघ के निर्माण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. ए.डी.एन. वाजपेयी ने कहा कि राज्य सरकारों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिन्तन के आधार पर अपनी नीतियों का निर्माण करना चाहिये। उन्होंने कहा कि कार्ल मार्क्स और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिन्तन का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जाना चाहिये।
दीनदयाल उपाध्यक्ष पीठ के अध्यक्ष डा. सुदेश गर्ग ने कहा कि दीनदयाल जी पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों का ही विकल्प खोज रहे थे, क्योंकि उनकी नजर में ये दोनों व्यवस्थाएं भौतिकवादी थीं। श्री गर्ग ने कहा कि पीठ जल्दी ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिन्तन पर शोध प्रारंभ करेगी।प्रतिनिधि
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