उन्होंने तय कर लिया है
|
व्यंग्य वाण
विजय कुमार
अभी सुबह ठीक से हुई भी नहीं थी कि मिठाई और माला लिये शर्मा जी टपक पड़े। चेहरे से प्रसन्नता ऐसे फूट रही थी, मानो बिना बेटे की शादी के ही पोते का मुंह देख लिया हो।
– लो वर्मा, मुंह मीठा करो।
– लेकिन मिठाई का कारण तो बताओ ?
– तुम कैसे घोंचू हो वर्मा। दिन भर अखबार चाटते हो, फिर भी यह नहीं पता कि अब देश के बुरे दिन समाप्त होने को हैं। तुमने वो गाना सुना होगा, 'दुख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे'।
– हां सुना तो है।
– बस तो फिर। आज के सब अखबारों में लिखा है कि राहुल भैया पार्टी और सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार हैं। मैं यह माला उन्हें ही पहनाने जा रहा हूं।
– पर यह भूमिका तो वे कई साल से निभा रहे हैं। कांग्रेस में वे महासचिव और युवा कांग्रेस के प्रभारी हैं। सरकार को भी वे जब कुछ कहते हैं, तो पूरी सरकार घुटनों पर बैठकर सुनती है।
– पर अब उन्होंने सक्रिय होने का निर्णय कर लिया है।
– मैंने तो सुना है कि बिहार चुनाव में उनकी सक्रियता से विधायकों की संख्या घटकर चार रह गयी थी। फिर वे उ. प्र. में सक्रिय हुए, तो कांग्रेस चौथे नंबर पर जा पहुंची। यही पंजाब में हुआ। इसलिए लोगों ने अब उन्हें चुनाव प्रचार में बुलाना ही बंद कर दिया है।
– तुम जले पर नमक मत छिड़को वर्मा। उ.प्र. में हार का कारण हमारी आदरणीय अध्यक्ष जी ने बताया ही है कि वहां नेता अधिक थे और कार्यकर्ता कम। ऐसे में राहुल भैया क्या करते?
– पर पिछले तीन साल से तुम्हारे राहुल भैया 'यूथ' कांग्रेस और कांग्रेस संगठन को चाक–चौबन्द करने के लिए पूरे देश में धक्के खा रहे थे। फिर नये कार्यकर्ता क्यों खड़े नहीं हुए ?
– यह तुम नहीं समझोगे, पर अब सब ठीक हो जाएगा, क्योंकि राहुल भैया ने तय कर लिया है कि..।
– उन्होंने यही तो तय किया है कि उनकी माताश्री और मनमोहन जी जब चाहे तब उन्हें काम दे सकते हैं।
– यह तो उनका बड़प्पन है। वरना वे तो जब चाहें, तब प्रधानमंत्री बन सकते थे।
– तो फिर बने क्यों नहीं ?
– उन्होंने कहा ही है कि इसका निर्णय प्रधानमंत्री जी को करना है।
– पर शर्मा जी, यदि प्रधानमंत्री निर्णय करने लायक होते, तो देश की यह हालत क्यों होती ? सैकड़ों प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़े हैं। कोई लोकसभा में फंसा है, तो कोई राज्यसभा में। कोई संसदीय समिति में अटका है, तो कोई मंत्रिमंडलीय समिति में। कुछ पर 'मैडम' राजी नहीं हैं, तो कुछ पर मंत्रीगण। 'हर मर्ज में अमलतास' की तरह एक संकटमोचन बाबा थे, वे राष्ट्रपति भवन चले गये। जो थोड़ा बहुत काम होता था, अब वह भी नहीं होगा।
– यह तुम्हारे जैसे निराशावादी लोगों की सोच है। अब राहुल भैया पार्टी और सरकार में सक्रिय होने जा रहे हैं। इससे 'मैडम' जी को भी सहारा मिलेगा और मनमोहन सिंह जी को भी। तीनों मिलकर अब इतना काम करेंगे कि लोग देखते रह जाएंगे।
– सच तो यह है वर्मा जी कि शून्य दो हों या तीन, वे मिलकर भी शून्य ही रहते हैं। देश का भला तब होगा, जब ये तीनों काम से मुक्ति ले लेंगे। वैसे जनता भी इन्हें छुट्टी देने को तैयार है। अभी तो हालत यह है कि ये न खुद कुछ करते हैं और न दूसरों को करने देते हैं। इनके हटने से कांग्रेस में जो अच्छे लोग हैं, वे आगे आएंगे और विपक्ष में तो एक से एक योग्य और समर्थ लोग हैं ही।
– तो मैं राहुल भैया को माला पहनाने न जाऊं?
– जरूर जाओ, पर उनसे कहना कि जिन्दाबाद करने वाले स्वार्थी लोगों के हाथ से बहुत मालाएं पहन लीं। अब किसी भारतीय सुकन्या के हाथ से पावन वेदमंत्रों के बीच विधि–विधान से जयमाला पहन लें। इससे उनका भी भला होगा और देश का भी।
शर्मा जी ने मुंह तिरछा किया और पलट कर घर को चल दिये।
टिप्पणियाँ