राष्ट्र विरोधियों का काम तो नहीं?
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राष्ट्र विरोधियों का काम तो नहीं?
लखनऊ से शशि सिंह
उत्तर प्रदेश से हज यात्रा पर जाने वालों की सूची में बड़े फर्जीवाड़े की खबर सामने आई है। फर्जीवाड़ा अगर केवल हज के लिए किया गया होता तो बात कुछ समझ में आती, लेकिन जांच में जो नये तथ्य सामने आ रहे हैं वे ज्यादा ही गंभीर हैं। इस बात की भी प्रबल संभावना है कि फर्जी तरीके से, बिना जांच-पड़ताल के जो लोग हज यात्रा पर जाने के इच्छुक थे, वे असामाजिक तत्व भी हो सकते हैं, जो हज के बहाने बाहर जाकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हो जाते। शुरुआती जांच में इस बात के संकेत मिल भी रहे हैं।
यह पूरा मामला इस प्रकार खुला। हुआ यह कि केंद्रीय हज कमेटी व राज्य हज कमेटी की सहमति से इस बार प्रदेश से 36,754 आवेदकों में से पूरी जांच पड़ताल के बाद 25,359 लोगों के नामों को अंतिम रूप दिया गया। शेष आवेदकों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया। इन सभी के नाम 'इंटरनेट' पर जारी कर दिए गए। हेराफेरी का पता तब चला जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हज के इच्छुक एक व्यक्ति लखनऊ स्थित हज समिति कार्यालय में अपना पासपोर्ट जमा कराने आया। पता चला कि इंटरनेट पर प्रकाशित अंतिम सूची में उसका नाम भले हो, पर अब उसका नाम ही नहीं है। उसके स्थान पर किसी और का नाम आया। इसी प्रकार डाक से पासपोर्ट जमा कराने वाले अनेक के नाम सूची में नहीं पाए गए। जब विस्तृत जांच हुई तो 170 नाम ऐसे पाए गए जिन्होंने हज यात्रा के लिए आवेदन किया ही नहीं था। यही नहीं, राज्य हज कमेटी के साथ ही केंद्रीय हज कमेटी की 'आनलाइन सूची' में भी उनका नाम पाया गया। बहरहाल इन 170 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और साइबर क्राइम का मामला हजरत गंज थाने में दर्ज कराया गया है, जिसकी जांच चल रही है। इस मामले में कई स्थानों पर छापे भी मारे गए हैं।
पर मामला केवल हज के लिए इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करने का नहीं लगता। अधिकारी इसमें कोई बड़ी साजिश देख रहे हैं। हालांकि हज कमेटी या संबंधित विभाग का कोई भी अधिकारी मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि जिस तरह से साइबर नेटवर्क में छेड़छाड़ की गई, वह किसी ऐसे बड़े गिरोह का काम है जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में इसका इस्तेमाल करना चाहता था। हज कमेटी की वेबसाइट 'हैक' कर चयनित यात्रियों के स्थान पर अवांछित लोगों का नाम 'फीड' करना किसी मामूली गिरोह का काम नहीं हो सकता। इसमें हज कमेटी से जुड़े लोगों की मिलीभगत तो है ही, इसके गिरोह के तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर मुम्बई तक फैले हैं। वेबसाइट का 'पासवर्ड हैक' करना मामूली काम नहीं है। यही नहीं, फर्जी लोगों के नाम न केवल राज्य हज कमेटी की 'आनलाइन सूची' में शामिल किए गए, वरन् उन्हीं नामों को केंद्रीय हज कमेटी की 'आनलाइन सूची' में शामिल किया गया। यानी गिरोह के लोग तकीनीकी रूप से काफी दक्ष हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं।
गंभीर बात यह भी है कि इस फर्जीवाड़े में जिन लोगों को चिन्हित किया गया है वे पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, बिजनौर, मेरठ, भीमनगर और मुजफ्फरनगर आदि जिलों के हैं। इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक दंगे होते रहे हैं। जब भी आतंकी गतिविधियों और आईएसआई की चर्चा होती है तो इन जिलों का नाम लिया जाता है। पुलिस इस तथ्यों को ध्यान में रखकर भी जांच कर रही है। अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं। यह भी सवाल उठ रहा है कि इससे पहले भी तो ऐसा ही फर्जीवाड़ा नहीं किया गया था।
मध्य प्रदेश – चुनाव परिणाम–एक झलक
क्रम. जिला अध्यक्ष भाजपा कांग्रेस अन्य
1 रतलाम 1 – – 1
2 बैतूल 3 2 1 –
3 झाबुआ 4 3 1 –
4 अलीराजपुर 3 2 1 –
5 धार 8 6 2 –
6 बड़वानी 7 6 1 –
7 बुरहानपुर 1 1 – –
8 छिंदवाड़ा 6 4 2 –
9 सिवनी 1 – – 1
10 मंडला 5 4 – 1
11 डिंडोरी 2 2 – –
12 बालाघाट 1 1 – –
13 शहडोल 4 3 – 1
14 अनूपपुर 2 2 – –
15 उमरिया 1 – – 1
कुल 49 36 8 5
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