अमरनाथ यात्रा में विघ्न पैदा करने का नया सरकारी षड्यंत्रबदइंतजामी से तीर्थयात्रियों की मौत
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जम्मू–कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधि
यात्रा की अवधि के विवाद के बीच गत 25 जून से प्रारम्भ हुई श्री अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा के पहले दो सप्ताह में ही रहस्यमय परिस्थितियों में लगभग 70 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है। इसे लेकर राज्य सरकार तथा स्वामी अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा किए गए प्रबंधों तथा यात्रियों की सुरक्षा के विषय को लेकर कई प्रश्न खड़े हो गए हैं। यह मांग भी उठने लगी है कि प्रबंधों की समीक्षा की जाए तथा तीर्थयात्रियों की मृत्यु के कारणों की निष्पक्ष जांच करवाई जाए। हालांकि तीर्थयात्रियों का बड़ी संख्या में आगमन तथा उनका उत्साह इन घटनाओं के बाद भी जस का तस है और पहले 15 दिनों में ही लगभग तीन लाख श्रद्धालु पवित्र गुफा में हिमलिंग के दर्शन कर चुके हैं। तीर्थयात्रियों की मृत्यु की घटनाओं के संबंध में सरकारी रूप से बताया जा रहा है कि यह लोग भिन्न-भिन्न स्थानों पर हृदय गति रुकने से दम तोड़ गए।
अमरनाथ जी की ऐतिहासिक यात्रा शताब्दियों से चली आ रही है किन्तु 22 वर्ष पूर्व घाटी में उग्रवाद के पनपने के साथ ही अलगाववादी तत्वों ने भिन्न-भिन्न बहाने बनाकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया। पर उग्रवादियों-अलगाववादियों की धमकियों को नकारते हुए यात्रा का क्रम जारी रहा। 2008 में इन अलगाववादियों के अतिरिक्त सरकार के भीतर और बाहर कुछ तत्वों ने श्राइन बोर्ड की भूमि को लेकर विवाद उत्पन्न किया, जिसके विरुद्ध जम्मू में बड़ा आंदोलन हुआ। उसमें 15 से अधिक लोग मारे गए, जिसके पश्चात राज्य सरकार ने स्वामी अमरनाथ संघर्ष समिति की लगभग सभी मांगें मान लीं, यद्यपि उन्हें अभी ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है।
इस बार विवाद का बड़ा कारण यात्रा की अवधि को लेकर बना। हिन्दू संगठनों का कहना था कि परम्परानुसार यह यात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा से लेकर श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन तक, दो मास की होनी चाहिए। किन्तु श्राइन बोर्ड ने इसे घटाकर 39 दिनों तक सीमित कर दिया, जिसका आरंभ 25 जून से किया गया है। सरकार की ओर से तर्क यह दिया गया कि यात्रा मार्ग में भारी बर्फ के कारण इसे खोला नहीं जा सका है, किन्तु हिन्दू संगठनों का आरोप है कि यह अवधि अलगाववादियों के दबाव में आकर घटाई गई है। बर्फ और व्यवस्था की आड़ लेकर यात्रा की अवधि घटाने वाली राज्य सरकार और राज्यपाल के नेतृत्व में चलने वाला श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड अब इस बात का उत्तर नहीं दे पा रहा है कि आखिर तीर्थयात्रियों की इतनी बड़ी संख्या में मृत्यु कैसे हुई? हालांकि हृदयगति रुकने से सभी की मृत्यु होने का दावा बेमानी है, पर यदि हृदयगति रुकने के इतने मामले सामने आए तो सरकार और श्राइन बोर्ड तुरंत कोई चिकित्सा सहायता उपलब्ध क्यों नहीं करवा सका? चिकित्सा सुविधा का अभाव और यात्रा मार्ग में असुविधा क्या अब्दुल्ला सरकार की उसी योजना का हिस्सा नहीं है कि लोग इस पवित्र यात्रा पर आना कम कर दें और अलगाववादियों का षड्यंत्र सफल हो? पर इन सबके बावजूद इस ऐतिहासिक और पवित्र यात्रा पर आने वालों का न ही उत्साह कम हुआ है और न आगे कभी कम होगा।
दिल्ली/ प्रतिनिधि
'फ्लोटिंग वारंट' से रोकें काला धन
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामन्त्री एवं मुख्य प्रवक्ता श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार तथा निजी क्षेत्र के बीच साठगांठ से राष्ट्रीय संसाधनों को मनमाने तौर पर लूटा जा रहा है। 2 जी स्पैस्ट्रम घोटाले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने वेबसाइट पर केवल 45 मिनट का समय देकर 'ंपहले आओ पहले पाओ' की नीति अपनाते हुए करोड़ों रुपयों की शर्मनाक तरीके से हेरा-फेरी की। पर याद रखें, जनता कभी भी भ्रष्ट नेताओं को माफ नही करती है। राजीव गांधी को तीन चौथाई बहुमत देने वाली जनता ने बोफोर्स कांड के चलते अगले ही चुनावों में कांग्रेस सरकार को अल्पमत में ला दिया। जो लालू यादव जातिवाद के दम पर दशकों तक सत्ता का सुख भोगने की सोच रहे थे, वे चारा घोटाले के चलते सत्ता से बाहर कर दिये गये। श्री प्रसाद गत दिनों भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ द्वारा नई दिल्ली के सत्य साईं इंटरनेशनल सभागार में आयोजित एक समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोपाल अग्रवाल ने घोषणा की कि आगामी सत्र में लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता श्रीमती सुषमा स्वराज द्वारा काले धन की वापसी से सम्बंधित 'फ्लोटिंग वारंट' नामक एक निजी विधेयक सदन में प्रस्तुत किया जाएगा। इससे पूर्व श्री प्रकाश जावडेकर द्वारा एक निजी विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किया जा चुका है। 'फ्लोटिंग वारंट' अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे 'फ्लोटिंग वारंट' की मांग कर रहे हैं जैसा कि अमरीका में 'जॉन डो लॉसूट' के नाम से प्रसिद्ध है। जब दोषी की पहचान नही हो पाती तो हम अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी कर सकते हैं। इस वारंट के आधार पर विदेश में खाता रखने वाले उस व्यक्ति को, जिसे हम नही जानते हैं, अपराधी घोषित किया जा सकता है और उसके बारे में जानकारी मांगी जा सकती है।
भाजपा सांसद श्री हंसराज अहीर ने कोयला घोटाले पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस संबन्ध में उन्होंने आठ पत्र प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को लिखे, परन्तु एक भी पत्र का उत्तर नही मिला। हार कर सारे मामले को केन्द्रीय सतर्कता आयोग को सौंपा, परन्तु उसने भी आज तक जांच पूरी नहीं की। बाद में सी.ए.जी. की रपट के कारण इस घोटाले ने तूल पकड़ा। अहीर ने कहा कि 51 लाख करोड़ रुपये मूल्य का 1700 करोड़ मीट्रिक टन कोयला निजी कंपनियों को लगभग मुफ्त में दे दिया गया।
भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ के सह संयोजक श्री सी.राजशेखर ने कहा कि संतोष का विषय यह है कि देश का जन साधारण भ्रष्टाचार के विरोध में एकजुट हो लम्बी लड़ाई के लिए तैयार हो रहा है। कार्यक्रम के अन्त में जलाधिकार द्वारा पानी के निजीकरण के विरुद्ध एक नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस सभा में 400 से अधिक आर्थिक जगत के गण्यमान्य जन ने भाग लिया, जिसमें सभी प्रमुख आर्थिक एवं व्यापारिक संगठन जैसे कि इन्सटीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से श्री विनोद जैन, कम्पनी सेक्रेटरी के अध्यक्ष श्री निसार अहमद, पी.एच.डी. चैम्बर आफ कामर्स के श्री विजय मेहता, नेशनल स्टाक एक्सचेन्ज मैम्बर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष श्री नरेश माहेश्वरी, भारतीय वित्त सलाहकार समिति के श्री अनिल गुप्ता एवं श्री अनिल शर्मा ने भी इस विधेयक के समर्थन में अपने विचार रखे।
अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मन्त्री श्री सुनील अम्बेकर ने बताया कि इस विधेयक के समर्थन में एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ विद्यार्थी परिषद् ने राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ रखा है और आगे इसे और अधिक गति से बढ़ाएंगे।
पटना/ संजीव कुमार
मस्तिष्क ज्वर
फिर बरपा कहर
बिहार में इस बार फिर मस्तिष्क ज्वर का कहर बरपा है। अब तक ढाई सौ से अधिक बच्चे इसकी भेंट चढ़ चुके हैं। सबसे ज्यादा 172 बच्चों की मौत मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल तथा केजरीवाल चेरिटेबल अस्पताल में हुई। इसी बीमारी से 63 बच्चों की मौत पटना के पीएमसीएच में तथा 11 बच्चों की मौत गया के एएनएमएमसीएच में हुई। वैशाली जिले में इसी प्रकार के लक्षण से पांच बच्चे मर गये। अभी अनेक बच्चों का इलाज राज्य के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री आरपी ओझा ने बताया कि राज्य के 662 बच्चों में इस बीमारी के लक्षण देखे गये हैं। राज्य सरकार में मृत बच्चों के निकट परिजनों को 50 हजार रुपए देने की घोषणा की है।
मस्तिष्क ज्वर बिहार में एक आपदा है। प्रत्येक वर्ष इससे अनेक बच्चे प्रभावित होते हैं। सबसे पहले 1978-79 में इसका कहर बरपा था, पर तब यह अज्ञात बीमारी थी। बाद में पता चला यह इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) है। बीच के कुछ समय में इससे मरने वाले लोगों की संख्या नगण्य हो गई थी, परन्तु पिछले कुछ वर्षों में यह फिर आपदा के रूप में बच्चों को निगल रहा है। गर्मी का पारा जैसे-जैसे ऊपर चढ़ता जाता है वैसे-वैसे इस बीमारी का कहर बढ़ता जाता है। इसमें प्रभावित व्यक्ति को तेज बुखार, सर दर्द, उल्टी या उसका जी मिचलाता है। कई बार प्रभावित व्यक्ति विक्षिप्त जैसा व्यवहार करता है। बिहार में ढाई से छ: वर्ष तक के बच्चे इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। इस बार बिहार के छ: जिलों- मुजफ्फरपुर, पटना, गया, सीतामढ़ी, पूर्वी चम्पारण तथा वैशाली सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पुणे की एक संस्था ने सर्वेक्षण कर बताया है कि बिहार में जापानी इन्सेफेलाइटिस नहीं है। हालांकि एनआइवी के सर्वेक्षण पर कुछ चिकित्सकों ने सवाल भी उठाये हैं, क्योंकि इस दल ने मृत बच्चों के मस्तिष्क से कोई नमूना एकत्र नहीं किया।
मच्छरों से फैलने वाली इस जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए सरकार ने अपने स्तर पर कई प्रयास भी किये हैं। राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री अश्वनी कुमार चौबे ने बताया कि इस बीमारी के फैलने की जानकारी मिलते ही पूरे राज्य में 'अलर्ट' घोषित कर दिया गया। प्रभावित जिले के चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं तथा सभी सरकारी अस्पतालों को त्वरित चिकित्सा के लिए तैयार किया गया। राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालयों ने इस बीमारी से प्रभावित रोगियों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराई गई। श्री चौबे ने बताया कि राज्य के छ: सर्वाधिक प्रभावित जिलों में चिकित्सकों का दल गठित किया गया, जो इस बीमारी से प्रभावित रोगियों की पहचान कर त्वरित चिकित्सा उपलब्ध करायेगा। राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से भी इस मामले में मदद की गुहार लगाई है।
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