हिन्दुओं की नहीं परवाह
December 1, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • वेब स्टोरी
  • My States
  • Vocal4Local
होम Archive

हिन्दुओं की नहीं परवाह

by
Jun 30, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हिन्दुओं की नहीं परवाह

दिंनाक: 30 Jun 2012 14:50:00

तुष्टीकरण आधारित अलगाववादी रपट-1

पाक समर्थित जिहादी आतंकवाद की आग में जल रही कश्मीर घाटी में

नरेन्द्र सहगल

कश्मीर समस्या का समाधान निकालने की मशक्कत करने वाले सरकारी वार्ताकारों ने जो रास्ते तलाशे हैं, वे सभी इस सीमावर्ती प्रदेश को स्वतंत्र 'इस्लामी राष्ट्र' बनाने अथवा पाकिस्तान में शामिल करने के अलगाववादियों के उद्देश्य की ओर ही जा रहे हैं। एक वर्ष का समय और 50 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करके वार्ताकारों ने 178 पृष्ठ की जो रपट तैयार की है, उसमें कश्मीर घाटी में अपने घरों से उजड़कर विस्थापित हुए कश्मीरी पण्डितों यानी लाखों हिन्दुओं के कष्टों और उनकी घरवापसी के मुद्दे को मात्र दो ही पृष्ठों में समेट दिया गया है।

कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने अथवा स्वतंत्र इस्लामिक राष्ट्र बनाने के उद्देश्य के लिए सक्रिय भारत विरोधी शक्तियों की सबसे बड़ी विजय है कश्मीर की धरती से हिन्दुओं का सामूहिक बलात विस्थापन। ये कथित पलायन अथवा विस्थापन कश्मीर में रहने वाली पंडित जाति का न होकर भारत का विस्थापन है। पिछले 600 वर्ष से कश्मीर में चल रहे बलात् मतान्तरण और हिन्दू विस्थापन के इतिहास का यह अंतिम और सबसे बड़ा दर्दनाक और अमानवीय अध्याय है।

'दारुल इस्लाम' की ओर

अपनी तथाकथित प्रगतिशील और वास्तविक अलगाववादी मनोवृत्ति के कारण यद्यपि वार्ताकारों ने इस सच्चाई को न समझते हुए कश्मीर में हिन्दुओं की राष्ट्रवादी भूमिका पर एक शब्द भी नहीं कहा तो भी भारत सरकार, राजनीतिज्ञों और वार्ताकारों को यह भली भांति समझना चाहिए कि कश्मीरी हिन्दुओं को फिर से अपने घरों में बसाए बिना कश्मीर समस्या का कोई भी समाधान इस क्षेत्र को दारुल इस्लाम घोषित करने के समान होगा और यही खतरनाक और अदूरदर्शी कदम दूसरे पाकिस्तान का शिलान्यास साबित होगा।

1989 में जम्मू-कश्मीर में प्रारंभ हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का पहला शिकार ये कश्मीरी हिन्दू ही हुए हैं। यह पाकिस्तान समर्थित और कश्मीर में सक्रिय जिहादी आतंकवादियों, अलगाववादियों, कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों और इन तीनों के आका पाकिस्तान की विजय है। पाक समर्थक और समर्थित पृथकतावाद के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा कश्मीर के ये हिन्दू ही थे जो अनेक शताब्दियों तक अपने हाथों में भारत का ध्वज थामे देशद्रोहियों के जुल्म सहकर भी अपनी मातृभूमि पर डटे रहे।

इस्लामीकरण की अबाध मुहिम

6000 वर्ष पुरानी भारतीय कश्मीरियत को अपने कलेजे से लगाकर कश्मीर के ये हिन्दू स्वाभिमानपूर्वक संघर्ष करते हुए अपने धर्म और धरती से जुड़े रहे। देश के लिए बलिदान देते रहे। उल्लेखनीय है कि 14वीं शताब्दी प्रारंभ होने से पूर्व कश्मीर में हिन्दुत्व और भारत सुरक्षित रहे। परंतु उसके पश्चात् शुरू हुए कश्मीर के इस्लामीकरण से विधर्म और विदेश का वर्चस्व बढ़ने लगा तो बढ़ता ही चला गया। इस दौरान चली मतान्तरण की खूनी चक्की में पिसकर कश्मीर की भारतीय और हिन्दू पहचान ही बदल गई। इस्लामीकरण के इसी इतिहास का अंतिम चरण है, कश्मीरी हिन्दुओं का सामूहिक विस्थापन। 1947 में हुए भारत विभाजन के बाद जमायते इस्लामी जैसी कट्टरवादी इस्लामिक संस्थाओं ने पाकिस्तान की मदद से बचे हुए भारतीय अर्थात् हिन्दुओं को खदेड़ना शुरू कर दिया।

1989 आते-आते कश्मीर में पाकिस्तान-परस्त तत्व, मजहबी रंग में रंगे अलगाववादी और हथियारबंद आतंकवादी इतने सशक्त हो चुके थे कि उनके आगे कश्मीर का हिन्दू समाज पूर्णत: बेबस हो गया। ये सब कुछ भारत सरकार की अदूरदर्शिता और कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की देशघाती राजनीति के कारण हुआ।

कश्मीरी हिन्दुओं के आगे दो ही विकल्प थे। इस्लाम कबूल करो अथवा कश्मीर छोड़कर पलायन कर जाओ। कश्मीर घाटी की मस्जिदों पर लगे बड़े-बड़े लाउड स्पीकरों पर घोषणाएं होने लगीं….'कश्मीर इस्लामी मुल्क है, इसे न मानने वाले को गद्दार माना जाएगा, भारत के एजेंट हिन्दुओं को हम नहीं छोड़ेंगे।'

हिन्दुओं का बलात् विस्थापन

घाटी की परिस्थितियां इतनी भयावह हो गईं कि चार लाख से ज्यादा हिन्दुओं को अपने घर, जमीन-जायदाद, सरकारी नौकरियां और व्यापार आदि छोड़कर भागना पड़ा। आश्चर्य है कि हमारे इन प्रगतिशील वार्ताकारों ने संसार की इस सबसे बड़ी अमानवीय घटना (सामूहिक पलायन) पर एक शब्द नहीं लिखा।

एक कश्मीरी विस्थापित हिन्दू विद्वान पंडित द्वारकानाथ मुंशी ने अपनी पुस्तक 'कश्मीर की वेदना' के अंतिम अध्याय 'कश्मीर की करुण पुकार' में विस्थापित हिन्दुओं की अत्यंत दयनीय स्थिति को इन शब्दों में उतारा है 'हम कश्मीर के पंडितों के लिए अपनी प्यारी जन्मभूमि से बिछोह तो दुखदाई था ही, पर उससे भी अधिक दुखदाई है सैकड़ों मील दूर ऐसी उष्ण जलवायु में रहना जिसका तापमान नितांत भिन्न है। वहां वर्षा जल की नमी वाले खचाखच भरे सीवर हैं, गंदगी है, नाममात्र की सुविधाएं हैं और इससे भी भयावह यह कल्पना है कि हममें से प्रत्येक का और समूचे पंडित समुदाय का भविष्य क्या होगा? क्या हम अपनी जन्मभूमि पर वापस जा सकेंगे? भारतवासियो केवल आपके पास ही इस प्रश्न का उत्तर है।' परंतु देश और कश्मीर के हिन्दू समाज के दुर्भाग्य से इस प्रश्न का उत्तर वार्ताकारों ने ढूंढने की कोशिश नहीं की।

घरवापसी की हवाई योजनाएं

कश्मीरी हिन्दुओं के उपरोक्त वेदनापूर्ण प्रश्न को हम अपने इन तीनों सरकारी वार्ताकारों के आगे रखकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहते हैं। भारत के विभिन्न शहरों में बसे इन कश्मीरी हिन्दुओं की दयनीय स्थिति रौंगटे खड़े कर देती है।

कश्मीर के ये हिन्दू अपने घरों में वापस जाना चाहते हैं। 'अगली शिवरात्रि अपने घरों में मनाएंगे' प्रत्येक वर्ष इस प्रकार का संकल्प दोहराते-दोहराते 22 वर्ष बीत गए हैं। इन 22 वर्षों में देश और प्रदेशों की सरकारों ने नाम के लिए इन विस्थापित हिन्दुओं की सकुशल घरवापसी की बीसियों योजनाएं बनाई होंगी। परंतु राजनीति से प्रेरित इन योजनाओं का वही हाल हुआ जो कश्मीरी हिन्दुओं का हुआ है।

इस कालखंड में जम्मू-कश्मीर की सत्ता पर काबिज हुए सभी मुख्यमंत्रियों डा.फारुख अब्दुल्ला (नेशनल कांफ्रेंस), मुफ्ती मुहम्मद सईद (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी), गुलाम नबी आजाद (कांग्रेस) और उमर अब्दुल्ला (एन.सी.) ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा 'पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है-इन्हें सम्मानपूर्वक इनके घरों में लाया जाएगा'। परंतु ये सभी घोषणाएं हवाई साबित हुईं।

विस्थापित हिन्दुओं के एक नेता हृदयनाथ गंजू पूछते हैं कि यदि सरकार वास्तव में हमें कश्मीर में वापस भेजने में ईमानदार है तो हमारे शरणार्थी शिविरों को स्थाई रूप क्यों दिया जा रहा है? कश्मीरी पंडितों द्वारा छोड़े गए घरों और दुकानों पर भारत विरोधी तत्वों द्वारा कब्जे क्यों करने दिए गए? हमारे पूजा स्थलों और जमीन जायदाद को सार्वजनिक सम्पत्ति घोषित करके उन पर सरकारी इमारतें खड़ी क्यों की जा रही हैं? हिन्दुओं के सामूहिक पलायन के कारण सरकारी नौकरियों में बने रिक्त स्थानों को मुसलमान कश्मीरी युवकों से क्यों भरा जा रहा है? विस्थापित पंडित नेताओं के अनुसार इनके घरों, दुकानों और खेतों पर अलगाववादियों और आतंकवादियों ने कब्जे कर लिए हैं।

विदेशी तहजीब का बोलबाला

ये कितने दु:ख और दुर्भाग्य की बात है कि कश्मीर पर हुए विदेशी हमलावरों का डटकर सामना करने और अपनी कुर्बानियां देकर कश्मीर की प्राचीन और सनातन संस्कृति को बचाकर रखने वाले कश्मीरी हिन्दुओं को अपनी धरती से विस्थापित होना पड़ा और उधर उन विदेशी हमलावरों के आगे कायरतापूर्वक घुटने टेककर कश्मीरियत के असली चेहरे को बिगाड़ने वाले लोग आज कश्मीर के मालिक बन बैठे हैं और कश्मीर को स्वतंत्र 'इस्लामी देश' मानकर देशद्रोह पर उतर आए हैं।

इन लोगों ने अपने ही पूर्वजों की भारतीय कश्मीरियत को तहस-नहस करके विदेश से आए आक्रमणकारियों की हमलावर तहजीब को 'कश्मीरियत' बना दिया। ऐसी कश्मीरियत जिसमें कश्मीरी हिन्दुओं का कोई जगह नहीं, जिसमें कश्मीर की छह हजार वर्ष पुरानी वास्तविक संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के लिए कोई स्थान नहीं है और जो कश्मीरियत कश्मीर की धरती पर नहीं जन्मी वह कश्मीरियत नहीं अपितु आक्रमणकारी विदेशी तहजीब है। ये हिन्दू अर्थात् भारत-विहीन कश्मीरियत वास्तव में मुस्लिम पहचान है। इस तथ्य का सरकारी वार्ताकारों ने जानबूझकर संज्ञान नहीं लिया।

भारत सरकार, प्रत्येक राजनीतिक दल और वर्तमान वार्ताकारों को यह समझ में आ जाना चाहिए कि कश्मीर में भारत को सुरक्षित रखने के लिए कश्मीरी हिन्दुओं का वहां बसना आवश्यक है। यदि समय बीतने के साथ ये कश्मीरी हिन्दू देश के भिन्न-भिन्न भागों में बिखरते चले गए तो कश्मीर को भारत में बनाए रखने का आधार ही समाप्त हो जाएगा।

खतरे में भारतीय कश्मीरियत

इन लोगों के स्थान-स्थान पर बिखरने से इनकी पहचान पर तो खतरा मंडराएगा ही, धीरे-धीरे इनके मन में अपनी मातृभूमि कश्मीर घाटी में जाने की उमंग, उत्साह और जरूरत ही समाप्त होती चली जाएगी। अनेक राष्ट्रभक्त विद्वानों और इतिहास के समीक्षकों द्वारा समय-समय पर प्रकट इस ऐतिहासिक ठोस सच्चाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि देश का जो भाग हिन्दू- विहीन होगा वह भारत से कट जाएगा।

1952 के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू भारतीय संसद के कानूनों की समीक्षा करने, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान और पीओके को भी एक पक्ष बनाने, पाक अधिकृत कश्मीर को पाक प्रशासित जम्मू-कश्मीर कहने, अलगाववादी संगठनों को भी एक पक्ष मानकर बातचीत में शामिल करने, उनके एजेंटों को रपट का आधार बनाने, भारतीय सुरक्षाबलों की वापसी और उनके विशेषाधिकारों को समाप्त करने जैसी खतरनाक भारत विरोधी सिफारिशें करने वाले तीनों वार्ताकारों ने कश्मीर घाटी से बलात् विस्थापित कर दिए गए उन हिन्दुओं से कोई हमदर्दी नहीं जताई, जो देश के कोने-कोने में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

प्रगतिशीलता, इंसानियत और पंथनिरपेक्षता का शोर मचाने वाले इन सरकारी वार्ताकारों से पूछा जाना चाहिए कि आपने चार लाख से ज्यादा कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर मुद्दे पर एक पक्ष क्यों नहीं माना? जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में मात्र कश्मीर घाटी के पांच जिलों के दस प्रतिशत संदिग्ध लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस को कश्मीर मुद्दे पर पक्ष क्यों माना गया? इसी तरह हमलावर पाकिस्तान और पीओके को भी पक्ष मानकर वार्ताकारों ने अपनी किस मानसिकता का परिचय दिया है?

कश्मीरी हिन्दू बनाम कश्मीर?

वार्ताकारों ने पाकिस्तान और पीओके से विस्थापित होकर आए 14 लाख हिन्दू शरणार्थियों, आतंकवाद से पीड़ित लोगों, जातिगत भेदभाव के शिकार जम्मू एवं लद्दाख के लोगों के अधिकारों पर हो रहे एकतरफा आघातों को भी पूर्णत: अनसुना कर दिया है।

वार्ताकारों को ऐसी कोई सिफारिश भी करनी चाहिए थी, जिससे कि 'सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है' और 'पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है' जैसी घोषणाओं को व्यवहार में लाने के लिए देश और विदेश में भटक रहे कश्मीर के सभी हिन्दुओं को उनकी जन्मभूमि में बसाने की कानूनी प्रक्रिया की गति तेज हो सके।

देश और प्रदेश की विभिन्न सरकारों द्वारा राजनीतिक नाटकबाजी को समाप्त करके कश्मीरी हिन्दुओं को सुरक्षा और सम्मान के साथ अपने घरों में भेजने का प्रथम और मुख्य प्रयास किया जाना चाहिए। जिस दिन सरकार ने इन देशभक्त हिन्दुओं को कश्मीर में सुरक्षित बसाने का राष्ट्रीय महत्व का काम कर लिया, उसी दिन धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर विजय होगी।

ShareTweetSendShareSend

संबंधित समाचार

ईको पर्यटन स्थलों की मार्केटिंग एवं ब्रान्डिंग करने के लिए विदेशी टूर ऑपरेटरों की परिचय यात्रा शुरू

ईको पर्यटन स्थलों की मार्केटिंग एवं ब्रान्डिंग करने के लिए विदेशी टूर ऑपरेटरों की परिचय यात्रा शुरू

जरूरतमंदों के आवास एवं इलाज का करें इंतजाम, माफिया पर लगाम जरूरी : सीएम

जरूरतमंदों के आवास एवं इलाज का करें इंतजाम, माफिया पर लगाम जरूरी : सीएम

Karnataka news, Karnataka Crime, Crime in Karnataka, Mysuru news, Father murder son, Father killed son, Murder over mobile

कर्नाटक: बेटे को थी मोबाइल की लत, झगड़ा होने पर पिता ने चाकू से गोदकर उसे मार डाला

दिल्ली में नारी शक्ति संगम

दिल्ली में नारी शक्ति संगम

अयोध्या: 9 वर्ष की तपस्या से तैयार शुद्ध देशी घी से जलेगी श्रीराम मंदिर में अखंड ज्योति, 1100 KM दूर से रथ से आ रहे कलश

अयोध्या: 9 वर्ष की तपस्या से तैयार शुद्ध देशी घी से जलेगी श्रीराम मंदिर में अखंड ज्योति, 1100 KM दूर से रथ से आ रहे कलश

Pakistan: पुलिस के वेष में आए लुटेरों के हाथों लुटा भारत से तीर्थयात्रा पर गया सिख परिवार

Pakistan: पुलिस के वेष में आए लुटेरों के हाथों लुटा भारत से तीर्थयात्रा पर गया सिख परिवार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ईको पर्यटन स्थलों की मार्केटिंग एवं ब्रान्डिंग करने के लिए विदेशी टूर ऑपरेटरों की परिचय यात्रा शुरू

ईको पर्यटन स्थलों की मार्केटिंग एवं ब्रान्डिंग करने के लिए विदेशी टूर ऑपरेटरों की परिचय यात्रा शुरू

जरूरतमंदों के आवास एवं इलाज का करें इंतजाम, माफिया पर लगाम जरूरी : सीएम

जरूरतमंदों के आवास एवं इलाज का करें इंतजाम, माफिया पर लगाम जरूरी : सीएम

Karnataka news, Karnataka Crime, Crime in Karnataka, Mysuru news, Father murder son, Father killed son, Murder over mobile

कर्नाटक: बेटे को थी मोबाइल की लत, झगड़ा होने पर पिता ने चाकू से गोदकर उसे मार डाला

दिल्ली में नारी शक्ति संगम

दिल्ली में नारी शक्ति संगम

अयोध्या: 9 वर्ष की तपस्या से तैयार शुद्ध देशी घी से जलेगी श्रीराम मंदिर में अखंड ज्योति, 1100 KM दूर से रथ से आ रहे कलश

अयोध्या: 9 वर्ष की तपस्या से तैयार शुद्ध देशी घी से जलेगी श्रीराम मंदिर में अखंड ज्योति, 1100 KM दूर से रथ से आ रहे कलश

Pakistan: पुलिस के वेष में आए लुटेरों के हाथों लुटा भारत से तीर्थयात्रा पर गया सिख परिवार

Pakistan: पुलिस के वेष में आए लुटेरों के हाथों लुटा भारत से तीर्थयात्रा पर गया सिख परिवार

उत्तराखंड: 18 पहाड़ी उत्पादों को मिला जीआई टैग, सूची में ज्यादातर श्रीअन्न

उत्तराखंड: 18 पहाड़ी उत्पादों को मिला जीआई टैग, सूची में ज्यादातर श्रीअन्न

दीनदयाल गो विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन

दीनदयाल गो विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन

wrong upi transaction complaint online, UPI payment, upi id, UPI, money transfer, Money transferred to a wrong account, online money transfer, Transferred Money To A Wrong UPI ID, Sent Money To A Wrong UPI ID

Wrong UPI Payment: गलत अकाउंट में हो गया है UPI से पेमेंट? तो तुरंत करें ये काम, वापस मिलेंगे पूरे पैसे

Giriraj Singh on Islamic radicalization in Bihar

बिहार: अवैध मदरसों और मस्जिदों की बाढ़, गिरिराज सिंह बोले- डेमोग्राफी में बदलाव, PFI सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Web Stories
  • पॉडकास्ट
  • Vocal4Local
  • पत्रिका
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies