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सत्य सामने आना चाहिए
पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल के भगवान बुद्ध पर दो आलेख पढ़ने को मिले। वे दोनों लेख उनकी चिन्तन-परक रचना का प्रमाण हैं, सन्तुलित हैं और भारतीय जीवन-मूल्यों से सम्पन्न हैं। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था भगवान बुद्ध हिन्दू धर्म के बौद्धिक पक्ष के प्रतिनिधि हैं। उन्हें सनातन धर्म से अलग नहीं किया जा सकता। आज इसी दृष्टि की अपेक्षा है। श्री नरेन्द्र सहगल कश्मीर के गौरवपूर्ण इतिहास का प्रभावी वर्णन कर रहे हैं। श्री देवेन्द्र स्वरूप ने अपनी लेखमाला 'भारत कैसे बना रहे भारत' में समकालीन इतिहास का सप्रमाण विश्लेषण किया है। गांधी जी की हिन्दू-मुस्लिम एकता की साधना तो मुस्लिम लीग की कट्टरता के आगे विफल हो गई। भारत विभाजन प्रमाण है। आज का सेकुलरवाद तो मुस्लिम कट्टरता के आगे समर्पण का ज्वलंत रूप है। भारत कब समझेगा? श्री आनन्द मिश्र 'अभय' ने '1857 की क्रांति की कुछ भ्रांतियां' में एक अज्ञात अध्याय को खोला है। नाना साहेब तो उस क्रांति के नायक नहीं बन सके और वृद्ध बहादुरशाह जफर बना दिए गए। यदि यह सत्य है कि सबने जफर को नेता मान लिया तो फिर 20वीं सदी के स्वतंत्रता संग्राम में तिलक, गांधी और नेताजी को सबने अपना नेता क्यों नहीं माना? मुस्लिम अवाम ने गांधी जी के साथ मौलाना आजाद को भी ठुकरा दिया था, यह सत्य सामने आना चाहिए।
–शत्रुघ्न प्रसाद
बी-3, त्रिभुवन विनायक रेजीडेंसी, बुद्ध कालोनी, पटना (बिहार)
देश को मांसाहारी बनाने का सरकारी षड्यंत्र
प्रतिदिन टीवी के विभिन्न चैनलों पर सरकारी गीत गाया जा रहा है- रोज खाओ अंडे। यह भी कहा जा रहा है कि 'एनर्जी' अर्थात् शारीरिक शक्ति, स्फूर्ति अंडों से मिलेगी। आश्चर्य है कि गांधी जी की अहिंसा को परम धर्म मानने वाली सरकार देश के बच्चों को गुमराह कर रही है और हर बच्चे को मांसाहारी बनाने का षड्यंत्र सरेआम भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकार हमारे बच्चों को गुमराह न करे और यह बताए कि क्या अंडे के अतिरिक्त किसी भी सब्जी, फल, दूध, दही आदि से शरीर को शक्ति नहीं मिलती है? क्या सरकार भूल गई कि काले चने, हरी सब्जियां, गुड़, आंवला और दूध सबसे अधिक पौष्टिक और सात्विक आहार हैं। भारत सरकार इस कुप्रचार को तुरंत बंद करवाए। यह हमारी धार्मिक भावनाओं पर भी आघात है। हमारे बच्चों को पथभ्रष्ट करने का एक षड्यंत्र है। सरकार यह भी बताए कि जिनको राष्ट्रपिता कहते हो क्या वह गांधी जी रोज अंडे खाकर ही शक्तिशाली बने थे? बाबा रामदेव और श्री अण्णा हजारे को शक्ति अंडों से मिलती है? अच्छा तो यह है कि सरकार देश के बच्चों को उन महापुरुषों का उदाहरण दे जो शाकाहारी रहकर सशक्त एवं स्फूर्तिवान बने हैं। यह भी याद रखिए कि घोड़ा घास खाता है मांस नहीं, चने खाता है अंडे नहीं।
–लक्ष्मीकांता चावला
अमृतसर (पंजाब)
विशेषांक गुजरात के गौरव को पाठकों तक पहुंचाने में सफल रहा। आवरण पृष्ठ पर सोमनाथ मन्दिर का चित्र बहुत ही सुन्दर लगा। भाजपा-शासित गुजरात आज विकास का प्रतीक बना हुआ है। वहां हुए विकास का अनुकरण अन्य राज्य सरकारों को करना चाहिए। गुजरात के विकास की चर्चा देश-विदेश में हो रही है, यह गुजरातियों के लिए गर्व का विषय है।
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुखनगर, हैदराबाद-60 (आं.प्र.)
संवाद 'गुजरात ने दिखाई नई राह' सारे भारतवर्ष के लिए एक मार्गदर्शक है। क्या हमारे कर्णधार गुजरात के पद-चिह्नों पर चलेंगे? अन्य राज्यों के नेताओं को यह जरूर सोचना चाहिए कि गुजरात ने विकास किस प्रकार किया है। नरेन्द्र मोदी जैसे मुख्यमंत्री हर राज्य को मिल जाएं तो कहना ही क्या। गुजरात हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
–लक्ष्मी चन्द
गांव–बांध, डाक–भावगड़ी, तह.-कसौली, जिला–सोलन (हि.प्र.)
गुजरात में सचमुच विकास कार्य हुए हैं। फिर भी वहां के मुख्यमंत्री को 'विकास पुरुष' कहने में कुछ लोग हिचकते हैं। आज देश को नरेन्द्र मोदी जैसे शासकों की जरूरत है। वही शासक अपने राज्य का विकास कर सकता है, जो दृढ़ इच्छाशक्ति वाला हो। मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इच्छाशक्ति के बल पर ही गुजरात को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाया है।
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
सेकुलर नेता और बुद्धिजीवी नरेन्द्र मोदी को 'साम्प्रदायिक', 'मुस्लिम-विरोधी', 'मौत के सौदागर' आदि कहते रहते हैं। मानना पड़ेगा कि मोदी ने अपने इन विरोधियों को जुबानी जवाब कभी नहीं दिया और वे गुजरात के विकास में लगे हैं। उन्होंने अपने विरोधियों की आलोचनाओं को ही विकास का हथियार बना लिया है, यही उनकी असली ताकत है।
–मनीष कुमार
तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)
मोदी सरकार ने गुजरात में न केवल मनुष्य, बल्कि पशु-पक्षियों की भी चिन्ता की है। लुप्त होते पक्षियों के संरक्षण के लिए तेजी से काम हो रहा है। गुजरात का आयात-निर्यात में भी योगदान जबर्दस्त बढ़ा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए भी गुजरात में अनेक कार्य हो रहे हैं। हरित पट्टियां बढ़ी हैं। किसानों को पर्याप्त पानी मिल रहा है। बिजली की कटौती न के बराबर है। फिर भी मोदी सेकुलरों को नहीं सुहा रहे हैं।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया
इन्दौर-452001 (म.प्र.)
गुजरात विशेषांक वहां की विकास गाथा की अमिट छाप छोड़ गया। नरेन्द्र मोदी से वैमनस्य वही लोग रखते हैं, जो अपने स्वार्थों से ऊपर उठ ही नहीं पाते हैं। विरोधी भी दबी जुबान से स्वीकारते हैं कि गुजरात देश के अन्य राज्यों से बहुत आगे है और इसका श्रेय भाजपा की सरकारों को जाता है। किन्तु वे लोग भाजपा और मोदी विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्हें विकास दिखता ही नहीं है।
–बी.आर. ठाकुर
सी-115, संगम नगर, इन्दौर (म.प्र.)
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी है। इस कारण कांग्रेस को डर लगने लगा है कि यदि मोदी का रुतबा यूं ही बढ़ता रहा तो उसके लिए संकट खड़ा हो जाएगा। यही कारण है कि मोदी पर कांग्रेस और अन्य कथित सेकुलर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। शायद इन लोगों को यह पता नहीं है कि सोना तपाने से वह कुन्दन बन जाता है।
–हरेन्द्र प्रसाद साह
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
घातक होती है घुटनाटेक नीति
पिछले दिनों अग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र के सफल परीक्षण के पश्चात् कहा गया कि भारत की मारक-क्षमता सागरपारीय हो गई है। किन्तु उन्हीं दिनों उड़ीसा में एक विदेशी नागरिक और एक विधायक को छुड़ाने के लिए सरकार ने कई माओवादियों को छोड़ने का निर्णय लिया। इसका सुरक्षाकर्मियों ने विरोध भी किया। यदि ऐसी ही घुटनाटेक नीति रही तो भारत चाहे कितनी भी मारक-क्षमता हासिल कर ले, समय आने पर वह चूक जाएगा। चीन, अमरीका और इस्रायल से हमें सीख लेनी चाहिए। जो भी हमारी सम्प्रभुता को चुनौती देगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा-ऐसी नीति हो हमारी।
–उपेन्द्रनाथ उपाध्याय
गीता मानस मन्दिर, यादवपुर रोड, गोपालगंज (बिहार)
क्या इतिहास झुठलाया जा सकता है?
कलर्स चैनल पर एक अत्यन्त प्रेरणास्पद ऐतिहासिक धारावाहिक 'वीर शिवा जी' आ रहा था। कितने ही हिन्दू राजाओं को छल-कपट द्वारा मार देने वाला अफजल खान जब ऐसी ही नीयत से शिवाजी को मिलने आया तो दूरदर्शी शिवाजी ने अपने बुद्धि-चातुर्य द्वारा उसका ही वध कर दिया और उसके बाद यह धारावाहिक दिखाना बन्द कर दिया गया। कारण तो कोई नहीं बताया गया, लेकिन ऐसा लगता है कि अफजल खान का वध होते ही पंथनिरपेक्षता आड़े आ गई होगी और हमारी सरकार इन बातों को लेकर बड़ी संवेदनशील है। लेकिन यह तो इतिहास था- क्या इसे झुठलाया जा सकता है? क्या ऐसी बातों से सद्भावना और भाईचारे का निर्माण हो पाता है?
–अरुण मित्र
324, रामनगर, दिल्ली-110051
बारूदी गंध
श्री नरेन्द्र सहगल की लेखनी से कश्मीर के गौरवशाली इतिहास का पता चल रहा है। कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को षड्यंत्रपूर्वक भगाया गया। भगाने का यह सिलसिला शताब्दियों से चल रहा है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि कश्मीरी युवक मुस्लिम देशों की शह पर आतंकवादी-जिहादी बन रहे हैं। एक समय था जब कश्मीर के महाराजा ललितादित्य ने अपने साम्राज्य के विस्तार के साथ-साथ बेहतर शासन-प्रणाली, व्यापार एवं कला के क्षेत्र में कश्मीर को ऊंचा स्थान दिलाया था। लेकिन आज कश्मीर घाटी में बारूदी गंध फैली हुई है।
–उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)
पञ्चांग
वि.सं.2069 तिथि वार ई. सन् 2012
आषाढ़ शुक्ल 12 रवि 1 जुलाई, 2012
” ” 14 सोम 2 ” “
(त्रयोदशी का क्षय)
आषाढ़ पूर्णिमा मंगल 3 ” “
(गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा)
श्रावण कृष्ण 1 बुध 4 ” “
” ” 2 गुरु 5 ” “
” ” 3 शुक्र 6 ” “
” ” 4 शनि 7 ” “
कुर्सी है भगवान
कुर्सी जिनका धर्म है, कुर्सी है भगवान
वे हमको बतला रहे, कैसा हो इनसान?
कैसा हो इनसान, धर्म का नाम नहीं हो?
मजहबवादी कट्टरता पर खूब भरी हो?
कह 'प्रशांत' नीतीश अकेले लड़कर देखो
छूट जाएगी सत्ता, जरा चलकर तो देखो।।
-प्रशांत
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