सामाजिक समरसता का उपक्रम
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'हरिहरनाथ–मुक्तिनाथ सांस्कृतिक यात्रा'
यात्रा के उद्घाटन के अवसर पर मंचस्थ गण्यमान्यजन
सामाजिक समरसता के जागरण और समाप्त हो चुकी वर्षों पुरानी सांस्कृतिक यात्रा को पुन: प्रारम्भ करने के उद्देश्य से विगत दिनों रा.स्व.संघ के धर्म जागरण विभाग द्वारा 'हरिहरनाथ-मुक्तिनाथ सांस्कृतिक यात्रा' का आयोजन किया गया। करीब 765 कि.मी. की यह यात्रा 7 दिन तक चली। यात्रा का शुभारम्भ सोनपुर (बिहार) में नारायणी नदी के तट पर नारायणी महाआरती से हुआ। महाआरती में धर्म जागरण के अ.भा. प्रमुख श्री मुकुंदराव तथा संघ के क्षेत्र प्रचारक स्वांत रंजन, यात्रा समिति के अध्यक्ष श्री गोपाल नारायण सिंह, सचिव श्री रामबालक, सह सचिव श्री अमिय भूषण सहित 3000 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर धर्म जागरण के क्षेत्र प्रमुख श्री सूबेदार ने यात्रा की योजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में तीर्थ यात्राओं का विशेष महत्व है। ऋषियों ने सामाजिक समरसता तथा तीर्थों के महत्व को बताने हेतु यात्राओं की परंपरा की शुुरुआत की। परन्तु विभिन्न कारणों से अनेक यात्राएं समाप्त हो गईं। इनमें से हरिहरनाथ-मुक्तिनाथ यात्रा भी एक है। यह हजारों वर्ष पुरानी यात्रा है। इसका वर्णन रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य और स्वामीनारायण तक मिलता है। प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने अपने ग्रंथों में इसका वर्णन किया है। वे जहां-जहां रुके उसका भी वर्णन किया है। इसमें नारायणी नदी के महत्व का भी वर्णन है। भगवान शालिग्राम इस नदी की कोख में पाए जाने के कारण इसे भगवान विष्णु की जननी यानी मां का रूप दिया है। पुराणकार तो यहां तक बताते हैं कि मुक्ति क्षेत्र से लेकर हरिहर क्षेत्र तक भगवान विष्णु का ही स्वरूप है। श्री सूबेदार ने कहा कि संगठन द्वारा यह पहला प्रयास है। परन्तु अब यह यात्रा हर वर्ष आयोजित की जाएगी। यह भारत-नेपाल के रिश्तों के लिहाज से भी उपयोगी है।
3 अप्रैल से यात्रा विधिवत प्रारम्भ हुई। यात्रा में 14 वाहनों में 80 लोग थे। इनमें 35 साधु-संत भी थे। इस अवसर पर एक सभा आयोजित हुई, जिसमें श्री मुकुंदराव, श्री स्वांत रंजन, स्थानीय विधायक श्री विनय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।
श्री मुकुंदराव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश की सबसे बड़ी समस्या मतांतरण है, जिससे हिन्दू समाज की संख्या घट रही है। उन्होंने उत्तर-पूर्व भारत की स्थिति को चिंताजनक बताया। श्री स्वांत रंजन ने अपने उद्बोधन में चर्च के षड्यंत्र को उजागर किया।
यात्रा के दौरान 17 स्थानों पर धर्मसभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और नारायणी नदी की महाआरती हुई, जिनमें 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अनेक स्थानों पर यात्रा का भव्य स्वागत हुआ। 9 अप्रैल को यात्रा नेपाल के मुक्तिनाथ में सम्पन्न हुई। यहां यात्रा का स्वागत संभाग कार्यवाह श्री कमलेश गुप्ता ने किया। उनके साथ श्री अनूप तथा अखिलेश्वर सिंह उपस्थित थे। यात्रा ने सोनपुर, हरिपुर, लालगंज, अम्बारा, फतेहाबाद, साहबगंज, केसरिया, अरेराज, बगहा होते हुए नेपाल के त्रिवेणी में प्रवेश किया। प्रतिनिधिEnter News Text.
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