भारत-श्रीलंका संबंधों पर चर्चा
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इंडिया फाउण्डेशन का आयोजन
गत 9 मई को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में इंडिया फाउण्डेशन द्वारा 'भारत-श्रीलंका संबंध और नई चुनौतियां' विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए जनता पार्टी के अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि भारत और श्रीलंका के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद श्रीराम ने विभीषण को श्रीलंका का राजा नियुक्त किया था। इतना ही नहीं, वैज्ञानिक रपट में भी यह बात साबित हो चुकी है कि भारत और श्रीलंका के लोगों का डी.एन.ए. एक ही है। इसलिए भारत सरकार को श्रीलंका के आम तमिलों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, लिट्टे की समस्याओं पर नहीं। उन्होंने कहा कि अगर श्रीलंका से हमारे संबंध खराब हुए तो एक और पड़ोसी राष्ट्र हमारा शत्रु बन जाएगा, जिसका फायदा चीन और पाकिस्तान उठाएंगे। तमिलों का मुद्दा स्थानीय महत्त्व का मुद्दा है और स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। वैसे भी वर्तमान सरकार के कार्यकाल में सभी पड़ोसी राष्ट्र हमारे शत्रु बनते जा रहे हैं, जोकि सरकार की बड़ी विफलता है।
राज्यसभा सांसद श्री बलबीर पुंज ने कहा कि श्रीलंका की संसद में विभीषण की प्रतिमा स्थापित है, जिन्हें वो अपना पहला राजा मानते हैं, वहां के लोगों को हिन्दी की ज्यादा समझ नहीं है, फिर भी वे हिन्दी फिल्में देखते हैं और हिन्दी संगीत सुनते हैं। भगवान बुद्ध के अनुयायी होने के कारण वे भारत की ओर बड़े श्रद्धा भाव से देखते हैं। उन्होंने कहा कि तमिल और सिंहली बिल्कुल अलग-थलग रहते हैं। तमिल बहुल क्षेत्रों में सेना लगा दी गई है और हालात ये हैं कि अगर कोई तमिल व्यक्ति किसी उत्सव या समारोह का आयोजन भी करता है तो उसे पहले सेना को सूचित करना पड़ता है। अर्थात कोई भी निर्णय सेना की अनुमति के बिना नहीं लिया जा सकता। हमने श्रीलंका में तमिलों के विभिन्न गुटों से बात की, वे सब एक अखण्ड और अविभाजित श्रीलंका चाहते हैं।
वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता श्री डी. राजा ने कहा कि श्रीलंका सिंहलियों की भूमि है। तमिल वहां रह सकते हैं, लेकिन शासन नहीं कर सकते। सरकारी नौकरियों एवं अन्य जगह सिंहली भाषा को प्राथमिकता दी जाती है, यहां तक कि श्रीलंकाई सेना और पुलिस में तमिलों की संख्या शून्य है। आजादी के बाद भारत और श्रीलंका के बीच समझौता हुआ था, जिसमें श्रीलंका ने कुछ तमिलों को भारत वापस भेज दिया था। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण था। राजीव गांधी की मृत्यु के बाद तमिल आंदोलन एक आतंकवादी आंदोलन में बदल गया। आज श्रीलंका में तमिलों के सारे स्मारक नष्ट किए जा रहे हैं। अब यह आतंक विरोधी अभियान न होकर तमिल विरोधी अभियान में बदलता जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती निर्मला सीतारमन ने किया। इसमें रा.स्व.संघ के अ.भा. सह सम्पर्क प्रमुख श्री राममाधव, राज्यसभा सांसद श्री चंदन मित्रा, श्री तरुण विजय, आर्गनाइजर साप्ताहिक के सम्पादक डा. आर. बालाशंकर सहित राजधानी दिल्ली के अनेक प्रबुद्ध नागरिकों ने भाग लिया। प्रतिनिधि
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