भारत को बनाया जाए मुगलिस्तान
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बंगलादेश स्थित जहांगीर नगर विश्वविद्यालय का दिवा स्वप्न
मुजफ्फर हुसैन
पाकिस्तान बन जाने के 65 वर्ष पश्चात् भी कट्टरवादी मुसलमानों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। हर दिन वे एक नई साजिश रचते रहते हैं। बंगलादेश और पाकिस्तान के सम्बंधों में कितना ही तनाव हो, लेकिन जहां कहीं भारतीय उपखण्ड में कट्टरवादी मुसलमान बसते हैं उनका एक ही लक्ष्य रहता है एक बार फिर मुगलिस्तान स्थापित करना। इसके लिए उनकी नित नई योजना बनती रहती है। इसलिए तालिबान और अलकायदा सहित सभी इस्लामी ताकतों ने मिलकर भारत में इस्लामी सरकारों की स्थापना का लक्ष्य रखा है। भारतीय उपखण्ड में जितने भी कट्टरवादी संगठन हैं उन्हें ये ताकतें इसके लिए बाध्य कर रही हैं कि सम्पूर्ण भारतीय उपखंड पर इस्लामी ध्वज लहराना चाहिए। जिहादियों ने इस मामले में अपना केन्द्र बंगलादेश में बनाया है। उनका यह मानना है कि भारत की सीमाएं चारों और से बंगलादेश से मिलती हैं इसलिए यहां अपनी घुसपैठ करके वे विश्वस्तरीय मुस्लिम ताकतों के फरमान को यथार्थवादी रूप दे सकेंगे। इसकी जिम्मेदारी बंगलादेश के जहांगीर नगर स्थित 'मुगल रिसर्च इन्स्टीट्यूट' को सौंपी गई है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. और बंगलादेश की गुप्तचर संस्था डी.जी. एफ.आई. इस इन्स्टीट्यूट की मदद कर रही है। इस संस्था से प्राप्त जानकारी के अनुसार बंगलादेश ने अपनी सीमा से लगे भारतीय क्षेत्रों का एक खाका तैयार किया है। बंगलादेश और पाकिस्तान को फिर से मिला देने वाली इस योजना का आकार प्रकार बिल्कुल भिन्न है। जानकार सूत्रों का कहना है कि यह योजना जनरल जिया के समय में बनी थी। बंगलादेश जुल्फिकार अली भुट्टो के समय में पाकिस्तान से कट गया था। उस समय पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान की जनता हीन-भावना से ग्रस्त हो गई थी, जिन्हें उबारने के लिए उक्त योजना बनी थी।
खतरनाक योजना
यह योजना है तो बहुत पुरानी लेकिन इसको ठोस आधार जनरल जिया के समय में मिला। भारत में जिहादी ताकतों को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर धन की व्यवस्था की गई थी। इस योजना के सूत्रधारों का कहना है कि भारत के हाथ से निकल जाने के कारण दक्षिण-पूर्वी एशिया के इस्लामीकरण की गति धीमी हो गई। यदि विश्व में इस्लाम को सबसे बड़ी ताकत बनाना है तो भारतीय उपखण्ड का इस्लामीकरण जरूरी है। ओबामा बिन लादेन का अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय होना और वहां सैनिक शैली में जिहादी शिविरों की स्थापना करना इस योजना का भाग था। भारत में दाऊद इब्राहीम जैसे व्यक्ति, लश्करे तोयबा, जैशे मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और जमाते इस्लामी जैसे संगठनों की ताकत बढ़ाना इसका बुनियादी उद्देश्य है। इन सभी का उद्देश्य इस क्षेत्र में एक ऐसा इस्लामी देश स्थापित करना है, जिसमें मुगल साम्राज्य की झलक दिखाई पड़ती हो। सिमी और इंडियन मुजाहिदीन को हिन्दुओं के विरुद्ध जिहादी कार्रवाई करना और हिन्दुओं को चारों ओर से घेर कर उन पर हमला करना है। लश्करे तोयबा ने पिछले दिनों इसी आन्दोलन के एक भाग स्वरूप यह घोषणा की थी कि हिन्दू इस्लाम के दुश्मन हैं इसलिए या तो वे इस्लाम स्वीकार कर लें अथवा कत्लेआम के लिए तैयार हो जाएं। खिलाफत की स्थापना करना अब उनका प्रथम उद्देश्य है। भारत में लखनऊ, बनारस, फैजाबाद, बंगलूरू, जयपुर और नई दिल्ली में इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए धमाके किए गए। इस ब्लूप्रिंट के तहत कश्मीर और असम में इस्लामी हुकुमतें कायम हों। इसके लिए योजनाबद्ध काम करने की विस्तृत जानकारी दी गई है। 'मुगलिस्तान रिसर्च इन्स्टीटयूट' की जानकारी के अनुसार भारत के जिन नगरों में मुस्लिम आबादी घनी है और उनको स्थानीय मुस्लिमों की ओर से सम्पूर्ण रक्षा मिल रही है उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनमें दिल्ली और मलेर कोटला से लेकर उत्तर प्रदेश के मुस्लिम क्षेत्र आगरा, अलीगढ़, मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फर नगर, सहारनपुर और मुरादाबाद जैसे शहर शामिल हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में मुस्लिम मतदाता करीब 18 प्रतिशत तक पहुंच गए हैं। इसलिए उनकी कुल जनसंख्या कितनी होगी इसका सहज ही विचार किया जा सकता है। हम देख सकते हैं कि इस्लाम के प्रति उनका जोश इन दिनों कितना बढ़ गया है। नेपाल में पिछले दिनों दो बार मुसलमानों का एकत्रीकरण हुआ था। वहां जिहाद पर अच्छी बहस हुई जिसके दूरगामी परिणाम आने वाले हैं। नेपाल से जुड़े भारतीय क्षेत्रों में मस्जिदों और मदरसों का जाल बिछ गया है। यह सारा काम अपने आप नहीं हुआ है, बल्कि एक योजना के तहत हुआ है। जिहादियों की ये सारी बातें भले ही बड़बोलेपन का प्रतीक हों, लेकिन मुसलमान जिहाद और खिलाफत के लिए सक्रिय हुआ है इसमें दो राय नहीं है। इसके अनेक उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। उक्त लेख में यह बात भी स्पष्ट कर दी गई है कि जो नया मुस्लिम क्षेत्र बनेगा उसका नाम मुगलिस्तान होगा। मुगलों ने अपनी तलवार के दम पर और साथ ही अपनी बौद्धिक शक्ति के बलबूते पर जिस तरह से भारत में इस्लामी झंडा लहराया जहांगीर नगर विश्वविद्यालय उसी को अपना आदर्श मानकर इस योजना को पूर्ण करेगा। मुगलों ने पहले अपनी ताकत बताई और बाद में भिन्न-भिन्न प्रकार के मार्ग तय कर अपना कुटिल उद्देश्य पूरा किया। और जहां सफलता हाथ लगी वहां जजिया जैसा कर लगाकर अपनी ताकत का परिचय देने में कोई हिचकिचाहट नहीं बरतने का संकल्प किया है।
मुंगेरीलाल का सपना
कट्टरवादियों ने इस महत्वाकांक्षी योजना को नाम ही मुगलिस्तान दिया है। इन्स्टीट्यूट ने अपनी रपट में कहा है कि उन दिनों को याद करो जब बाबर ने भारत में आकर मुगलिस्तान की नींव रखी थी। फरादान की घाटी से आया बाबर तो लौट गया। काबुल में उसकी कब्र बन गई। लेकिन उसकी संतानों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हुमायूं से लेकर औरंगजेब तक ने जो नीति अपनाई उसने हिन्दू वंशजों का नामोनिशान मिटा दिया। इस क्षेत्र में इस्लाम इतनी तेजी से फैला कि दुनिया देखकर दंग रह गई। अब तक भारत में आने वाले मुस्लिम शासक इस मामले में सफल नहीं हुए थे, लेकिन मुगलों ने अपना साहस दिखाया और भारत के विशालतम भाग पर कब्जा कर लिया। जिसे अखण्ड भारत कहा जाता है वह स्वरूप तो केवल मुगलों के ही समय में था। उत्तर भारत पर उनका झंडा लहराता था। भारत के छोटे-बड़े शासक उनके नाम से कांपते थे इसलिए इन सम्राटों ने जो नीति तय की थी यहां के रहने वालों ने सब स्वीकार कर ली। इस्लाम जिस तेजी से यहां फैला शायद ही दुनिया में कहीं फैला होगा। ईरान के पश्चात् भारत ही ऐसा देश था जिस पर कब्जा कर लेने के बाद मुसलमानों का दबदबा बढ़ता गया। इसलिए हमारे सम्मुख केवल मुगलों का आदर्श हो और वही भारत हो जिस पर उन्होंने कब्जा करके इस्लाम का डंका बजाया था।
सीमाएं चिन्हित
जहांगीर नगर विश्वविद्यालय ने इस मामले में एक मानचित्र भी प्रसारित किया है जो यह बताता है कि मुगलिस्तान की सीमाएं क्या होंगी? भारत के किन क्षेत्रों पर सरलता से हमारा कब्जा हो सकता है और किन पर हमें संघर्ष करना पड़ सकता है। कश्मीर के भाग को दर्शाते हुए कहा गया है कि यह शत-प्रतिशत मुस्लिम क्षेत्र है इसलिए उसे मुगलिस्तान में शामिल करने में कोई कठिनाई होगी। पाकिस्तान से इसकी सीमा जुड़ी हुई है इसलिए 92 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है। यहां पाकिस्तान सहित अन्य मुस्लिम देशों की भी घुसपैठ है इसलिए इस भाग को मुगलिस्तान में शामिल करने में तनिक भी कठिनाई नहीं होने वाली है। कश्मीर में इस समय अनेक जिहादी गुट सक्रिय हैं। यहां की जनता की भावना भी भारत से अलग होने की है। इसलिए मुगलिस्तान में इसे शामिल करने में कठिनाई नहीं होगी। नेपाल की सीमा का वह भाग जो दक्षिण में भारत के दो बड़े प्रदेशों से मिलता है। उनमें उत्तर प्रदेश और बिहार बसे हुए हैं। इस क्षेत्र के कई जिलों में तो मुस्लिम आबादी लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इन भागों में मदरसों का बड़ा दबदबा है। इसलिए मुगलिस्तान के लिए यहां विशेष संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। बिहार और बंगाल के वे सीमावर्ती क्षेत्र, जो बंगलादेश से मिलते हैं, वे मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं। विभाजन के समय इसी भाग को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए मुस्लिम लीग ने कड़े प्रयास किए थे।
उत्तर प्रदेश के नीचे के जो भाग हैं वहां 25 से 35 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने की बात कही गई है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि राजपूताना, गुजरात का दक्षिणी भाग, तमिलनाडु, केरल एवं कर्नाटक तथा महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में कम जनसंख्या होना दर्शाया गया है। आबादी के आधार पर ही इन क्षेत्रों को मुगलिस्तान में शामिल करते समय कठिनाई के संकेत दिए गए हैं। सम्पूर्ण भाग को मुस्लिम बाहुल किस प्रकार बनाना है, उसके लिए दूरगामी नीति अपनाई गई है।
मुगलिस्तान की आड़ में जहांगीर नगर विश्व विद्यालय चाहे जैसे तथ्य प्रस्तुत कर अपने मन की भड़ास निकाल ले। लेकिन उन्हें इस बात का भान होना चाहिए कि भारत की 85 प्रतिशत आबादी अब भी हिन्दू है। यही नहीं, विदेशों में रहने वाले दो करोड़ हिन्दू इन सारी शरारतों के प्रति जागरूक हैं। इसलिए मुगलिस्तान 'मुंगेरी लाल' का सपना हो सकता है। लेकिन जिहादियों को यह भी विचार करना पड़ेगा कि भारत पर 800 साल राज करने वाले मुसलमान गुलामी के समय में भी हिंदवी साम्राज्य, खालसा साम्राज्य एवं दक्षिण भारत के विजयनगर हिन्दू साम्राज्य को जीत नहीं सके तो आज दुनिया की इस महाशक्ति को अपने वश में करने का जो सपना देख रहे हैं वह पूर्ण नहीं हो सकता है। लेकिन भारत के बहुसंख्यकों के विरुद्ध इस षड्यंत्र से सरकार और जनता को सावधान तो रहना ही चाहिए।
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