सम्पादकीय
दिंनाक: 05 May 2012 17:14:08 |
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सम्पादकीय
'…अगर हिन्दू धर्म मेरे सहारे को नहीं आता तो मेरे लिए आत्महत्या के सिवाय और कोई चारा नहीं होता। मैं हिन्दू इसीलिए हूं कि हिन्दू धर्म ही वह चीज है जो संसार को रहने लायक बनाता है।.. –महात्मा गांधी
मजहब के आधार पर बना पाकिस्तान मानो विभाजन के बाद वहां रह गए हिन्दुओं की कत्लगाह और यातनागृह बन गया है। 1947 में वहां मौजूद लगभग 15 प्रतिशत हिन्दू अब 2 प्रतिशत से भी कम रह गए हैं। पाकिस्तान में हिन्दुओं के उत्पीड़न की आवाज भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में उठाकर एक बार फिर देशवासियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मुस्लिमों की उंगली में खरोंच आने पर भी तड़प उठने वाली कांग्रेसनीत संप्रग सरकार हिन्दुओं पर हो रहे इन अनगिनत अत्याचारों पर मौन क्यों है? लूट, हत्या, उत्पीड़न, जबरन मतांतरण के शिकार पाकिस्तानी हिन्दुओं की दुर्दशा केवल इतनी ही नहीं है कि उनके धर्मस्थल–मंदिरों का ध्वंस हो रहा है और उनके मृत परिजनों को विधि–विधानपूर्वक अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक नसीब नहीं, बल्कि उनकी बहू–बेटियों की इज्जत तक पर हमला हो रहा है। हिन्दू लड़कियों का जबरन मतांतरण कराकर मुस्लिम युवकों के साथ जबर्दस्ती उनका निकाह कराया जा रहा है, उनके माता–पिता अपनी बेटियों के लिए हृदय विदारक चीत्कार कर रहे हैं, लेकिन न तो पाकिस्तानी अदालतें और न ही वहां की सरकार उनकी कोई सुनवाई कर रही है। मीरपुर की रिंकल कुमारी हो या जैकबाबाद की आशा अथवा डा. लता कुमारी, सबकी नियति एक है। रिंकल कुमारी को फरयाल बनाकर नवीद शाह से जबरन निकाह करा दिया गया। वह चीखती रही कि 'पाकिस्तान में इंसाफ सिर्फ मुसलमानों के लिए है, हिन्दुओं के लिए कोई इंसाफ नहीं, मुझे यहीं कोर्टरूम में मार डालो। ये सब मिले हुए हैं, हमें मार डालेंगे।' और यह सब हुआ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के विधायक मियां अब्दुल हक (मियां मिठो) की देखरेख में।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पाकिस्तानी हिन्दुओं की लगभग 90 प्रतिशत आबादी रहती है, आंकड़ों के अनुसार हर माह वहां करीब 25 हिन्दू लड़कियों को अपहरण, बलात्कार व मतांतरण का दंश झेलना पड़ता है। आश्चर्य तो यह है कि पाकिस्तान में कट्टरवादी मुस्लिम तत्व अहमदिया और शिया मुसलमानों के भी दुश्मन बने हुए हैं। ईश निंदा कानून के तहत किसी की भी गर्दन पर तलवार चला दी जाती है। पिछले दिनों गिलगित-बाल्टिस्तान में 300 से ज्यादा शियाओं का नरसंहार कर दिया गया। पाकिस्तानी सेना व कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से हो रहे हिन्दू उत्पीड़न पर वहां का मानवाधिकार आयोग भी कहता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय सुरक्षित नहीं है। 'यूरोपियन आर्गेनाइजर फॉर पाकिस्तानी माइनारिटीज' ने इसके लिए खुलेआम पाकिस्तानी सेना की आलोचना की है। इस उत्पीड़न के शिकार हिन्दुओं का पाकिस्तान से भारत में पलायन लगातार जारी है। यहां तक कि सिंध असेम्बली के एक हिन्दू विधायक रामसिंह लोढ़ा इस उत्पीड़न व शोषण से त्रस्त होकर सदन से त्यागपत्र देकर जान बचाने के लिए भारत आ गए और गुजरात में रह रहे हैं। पिछले दस महीनों में ही ऐसे करीब 400 परिवार भारत आकर विभिन्न जगहों पर अपनी-अपनी जिंदगी से जूझ रहे हैं, जहां अवैध निवास के लिए उन्हें पुलिस प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही है और वह भारत सरकार से गुहार लगाते हैं कि वह उनकी मजबूरी समझे तथा भारत में उनके स्थायी निवास की चिंता करे, क्योंकि उनमें से अधिकांश का कहना है कि मर जाएंगे, लेकिन पाकिस्तानी नर्क में नहीं जाएंगे। पाञ्चजन्य ने कई बार उनकी दुर्दशा और व्यथा को सामने लाने का प्रयास किया है, लेकिन सत्ता और वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण में लगी कांग्रेस नीत सरकार व सेकुलर दल इस ओर आंखें मूंदे बैठे हैं। वे भूल जाते हैं कि आज इन हिन्दुओं का तो कोई वतन ही नहीं है, न तो भारत, जहां उन्हें विदेशी माना जा रहा है और न पाकिस्तान, जहां मजहबी दरिंदे उन्हें जीने नहीं देते। क्या इनका हिन्दू होना गुनाह हो गया? हिन्दू वोट बैंक नहीं हैं, क्या इसलिए सरकार उनकी अनदेखी करती है और उन्हें उनके हाल पर छोड़ देती है? देशवासियों के सामने यह एक गंभीर प्रश्न है।
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