क्या पाकिस्तान और बंगलादेश हिन्दू-विहीन हो जाएंगे?
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क्या पाकिस्तान
हो जाएंगे?
अरुण कुमार सिंह
पाकिस्तान और बंगलादेश में प्राय: रोज ही हिन्दू मारे जा रहे हैं। इन दोनों देशों में हिन्दू के नाते हिन्दुओं का रहना बहुत ही कठिन हो चुका है। दोनों देशों के हिन्दू हिन्दू-बहुल भारत की ओर इस आस के साथ टकटकी लगाए देख रहे हैं कि वहां की सरकार उनकी रक्षा के लिए पाकिस्तान और बंगलादेश की सरकारों से कुछ कहेगी। किन्तु सेकुलर रोग से पूरी तरह ग्रस्त भारत सरकार पाकिस्तान और बंगलादेश में हो रही हिन्दुओं की हत्या की निन्दा में दो शब्द बोलना भी ठीक नहीं समझती है। इस मामले में अमरीका ने पहल करके कम से कम हिन्दुओं की हत्या पर कड़ी प्रतिक्रिया तो जाहिर की है।
उल्लेखनीय है कि ईद-उल-जुहा (7 नवम्बर) के दिन कराची से 400 मील दूर चक कसबे में कट्टरवादी मुस्लिमों ने तीन हिन्दुओं (डा. अजीत कुमार, डा. नरेश कुमार और डा. अशोक कुमार) की हत्या कर दी थी, जबकि डा. सेतिया पाल को बुरी तरह घायल कर दिया था। अभी इनका इलाज चल ही रहा है। इस हत्या के खिलाफ पाकिस्तानी हिन्दुओं ने हड़ताल की, विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। अमरीकी विदेश विभाग ने भी हिन्दुओं की हत्या की निन्दा की और कहा कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाना जायज नहीं है। पाकिस्तान सरकार को हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। किन्तु भारत सरकार ने हिन्दुओं की हत्या पर चुप्पी साधे रखी।
पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ जो व्यवहार हो रहा है, वह रोंगटे खड़े देने वाला है। होली, दिवाली, दशहरा जैसे प्रमुख त्योहारों पर भी पाकिस्तान में सार्वजनिक छुट्टी नहीं होती है। हिन्दुओं को मन्दिर जाने से रोका जाता है। कोई हिन्दू मर जाता है तो उसको दफनाने को कहा जाता है।… इसलिए बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिन्दू भारत आ रहे हैं, और यहां मरना पसन्द करते हैं, पर पाकिस्तान लौटना नहीं। ऐसे ही एक पाकिस्तानी हिन्दू ने बताया कि कट्टरवादी कभी भी किसी हिन्दू के घर आ जाते हैं और बहू-बेटी मांगने लगते हैं। नहीं देने पर घरों में आग लगा देते हैं, पुरुषों को मारते-पीटते हैं और हमारे सामने ही हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म करते हैं। अब आप ही बताओ कोई हिन्दू पाकिस्तान में कैसे रह सकता है?
हिन्दुओं का यही हाल बंगलादेश में भी है। शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता होगा, जब किसी हिन्दू महिला के साथ कट्टरवादी बदतमीजी न करते होंगे। कोई महिला कट्टरवादियों का विरोध करती है तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। 1 अक्तूबर, 2011 की एक घटना है, जो बगंलादेश में कट्टरवादियों की करतूत को बताती है। इस घटना की विस्तृत जानकारी 'बंगलादेश माइनोरिटी वॉच' द्वारा दुनियाभर में भेजी गई। उसी जानकारी के अनुसार उपर्युक्त घटना गांव-वोलावो, थाना-रूपगंज, जिला-नारायणगंज (बंगलादेश) की है। 1 अक्तूबर को दोपहर बाद रूमा रानी दास (15) घर पर अकेली थी। तभी मो. दलीम (22), मो. रफीकुल इस्लाम (23) और मो. शमीम मियां उसके घर में दाखिल हो गए। इन तीनों ने पहले उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में फांसी लगाकर हत्या कर दी। कुछ देर बाद घर वालों को इस घटना की जानकारी मिली। वे लोग पुलिस थाने जाने को तैयार हुए तो अपराधियों ने उन्हें मुकदमा दर्ज न करने की चेतावनी दी। इस कारण दो दिन तक रूमा रानी दास का शव घर पर पड़ा रहा। तीसरे दिन यानी 3 अक्तूबर, 2011 को रूपगंज थाने में 'नारी ओ शिशु निरजतन दमन अीन, 2000 (संशोधित-2003) की धारा 9 (1)' के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। किन्तु किसी दबाव की वजह से पुलिस आरोपियों को बचाने में लगी है।
15 वर्षीया रूमा रानी दास अपने पिता पूर्णो रोबी दास एवं माता मालती रानी दास की इकलौती सन्तान थी। कुछ समय से आरोपी उसके पीछे लगे थे और निकाह के लिए दबाव डाल रहे थे। इन बदमाशों से अपनी बेटी को बचाने के लिए दास दम्पति ने अपना घर भी बदल लिया। किन्तु वे गुण्डे वहां भी पहुंच गए।
चाहे पाकिस्तान हो या बंगलादेश दोनों देशों में हिन्दू महिलाओं को विशेष रूप से निशाने पर रखा जा रहा है। राह चलती किसी लड़की को सरेआम उठाकर कहा जाता है कि उसने इस्लाम कबूल कर लिया है और उसका निकाह किसी मुस्लिम से कर दिया जाता है। ऐसी घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। इसलिए दोनों देशों के हिन्दू भारत आना चाहते हैं। यही वजह है कि कुछ लोग सवाल उठाने लगे हैं कि क्या कुछ साल बाद पाकिस्तान और बंगलादेश हिन्दू-विहीन हो जाएंगे?
पाकिस्तान और बंगलादेश की ये घटनाएं क्या उन मानवाधिकारियों तक नहीं पहुंचती हैं, जो कश्मीर में सेना पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाकर हो-हल्ला मचाते हैं? क्या हिन्दुओं के उत्पीड़न की खबरें उन भारतीय सेकुलर नेताओं तक नहीं पहुंचती हैं, जो हमास के किसी आतंकी को मारने पर इस्रायल को पानी पी-पीकर कोसते हैं? भारत में कुछ लोग अक्सर यह भी कहते हैं कि पाकिस्तान और भारत के राजनेता अपने स्वार्थ के लिए दोनों देशों के बीच खटास पैदा करते हैं, जबकि दोनों देशों के लोग अमन चाहते हैं, एक-दूसरे से मुहब्बत करते हैं। ऐसे लोग अपने पाकिस्तानी मित्रों से यह क्यों नहीं पूछते कि पाकिस्तान में हिन्दू 1 प्रतिशत से भी कम क्यों रह गए हैं? यदि पाकिस्तानी मुस्लिम अपने यहां के हिन्दुओं से मुहब्बत करते तो वे लुट-पीटकर भारत नहीं आते? पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी कम होने की सबसे बड़ी वजह है मतान्तरण। हिन्दुओं को जबर्दस्ती इस्लाम कबूलवाया जाता है। इस पर भारतीय सेकुलर कभी कुछ क्यों नहीं बोलते हैं? पाकिस्तान व बंगलादेश में हिन्दुओं के साथ हाल में घटी ये नृशंस घटनाएं क्या उनकी संवेदनाएं झकझोर पाएंगी? वहां हिन्दुओं के लिए बनाई जा रहीं अमानवीय स्थितियों पर भारत सरकार क्यों चुप्पी साधे रहती है
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