दृष्टिपात
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दृष्टिपात
आलोक गोस्वामी
पाकिस्तानी तालिबानी महसूद की धमकी
पाकिस्तान के तालिबानी गुट तहरीके तालिबान ने एक बार फिर पाकिस्तानी हुक्मरानों को धमकी दी है कि उसके लड़ाके सरकार और फौज के खिलाफ सुनियोजित हमलों की तैयारी कर रहे हैं। तहरीके तालिबान के सरगना हकीमुल्ला महसूद ने अभी ईद के मौके पर तालिबानी वेबसाइट पर अंग्रेजी, उर्दू, अरबी और पश्तो में धमकी भरे संदेश में लिखा है कि पाकिस्तान के उत्तर- पश्चिम में जो इलाके उनके हाथ से निकल गए हैं उन्हें फिर से कब्जाने के लिए बड़े पैमाने पर हमले बोले जाएंगे। महसूद कहता है कि उसकी जंगी नीति के तहत जिन कुछ इलाकों से उनके लड़ाके पीछे हट गए थे, उन स्वात, मलखंड और दूसरे कबीलाई इलाकों पर फिर से काबिज होने के लिए हमले किए जाएंगे।
अमरीकी ड्रोन हमलों और महसूद व उसके लड़ाकों के खिलाफ पाकिस्तानी फौज के अभियानों के चलते महसूद पिछले कुछ वक्त से शायद ही सार्वजनिक रूप से कहीं दिखा है। लेकिन वेबसाइट के जरिए उसने तहरीक को खड़ा करने वाले मारे जा चुके बहतुल्ला महसूद के द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ जनवरी 2008 में छेड़ी गई 'खुली जंग' को जारी रखने का ऐलान किया है। मुल्ला उमर के तालिबान की वफादारी का दम भरते हुए उसने कहा है कि मुसलमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा रेखा 'डूरंड लाइन' को नहीं मानते।
उधर, पाकिस्तान की सियासी पार्टी तहरीके इंसाफ के नेता पूर्व क्रिकेटर इमरान खान ने एक प्रेस कांफ्रेंस में साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान में आईएसआई का सिक्का चलता है। इस खुफिया एजेंसी की इतनी तूती बोलती है कि सरकार के नेता भी उसके आगे कुछ बोलने से कतराते हैं। जम्मू-कश्मीर पर पिछले दिनों अपनी पाकिस्तानी सोच जाहिर करके वहां सुर्खियां बटोरने वाले इमरान ने एक बयान जारी करके शिकारपुर जिले में चार हिन्दू डाक्टरों पर कातिलाना हमले में तीन डाक्टर भाइयों की मृत्यु पर 'अफसोस' जताया। ये तीन डाक्टर थे डा.अशोक, डा.नरेश और डा.अजीत कुमार। चौथे डाक्टर सत्यपाल हमले में गंभीर रूप से घायल हुए थे। इमरान ने इसे पाकिस्तान के लिए दुखद दिन बताया। अमरीका के दबाव पर, प्रधानमंत्री गिलानी ने भी हमले की भर्त्सना करते हुए गुनाहगारों को तुरंत पकड़ने के हुक्म जारी कर दिए थे। इन पंक्तियों के लिखे जाते वक्त पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक का बयान आया है कि डाक्टर भाइयों की हत्या के मामले में 11 को पकड़ा जा चुका है।
मालदीव आ पहुंचा चीन
एंटोनी ने कहा–चिंता छोड़ो, सुख से जियो
ऐसी खबरें बार-बार आती रही हैं कि चीन भारत के चारों तरफ अपना रणनीतिक घेरा डाल रहा है। उसने पाकिस्तान से दायरा बढ़ाते हुए तिब्बत, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका तक अपने पैर शुरू में पसारे और अब जमाने की तैयारी कर ली है। इसके साथ ही उसकी फौजी ताकत पर ढेरों युआन खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन चीन के इन उग्र पैतरों को भारत ने कभी अनदेखा किया, तो कभी उनकी गंभीरता को समझकर भी हल्के में लिया है। नतीजे रह-रहकर सामने आते जा रहे हैं। पीओके में दस हजार से ज्यादा चीनी फौजियों की मौजूदगी में सीमा पार सड़कों, हवाई पट्टियों का ताना-बाना बुना जा रहा है तो उधर उत्तर-पूर्व के मुहाने पर ब्रह्मपुत्र को बांधने की तैयारी है।
इस कड़ी में ताजा पन्ना जुड़ा है मालदीव का। अभी पिछले दिनों ही भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने वहां गए थे। चीन की हेकड़ी देखिए कि मनमोहन सिंह के उस देश में आने से ठीक चंद रोज पहले उसने मालदीव में अपना नया दूतावास खोल दिया। कूटनीतिक रिश्ते बढ़ाने की गरज बताकर खोला गया यह नया दूतावास, जाहिर है, मालदीव में चीनी हलचलें तेज करने में मदद देगा। उस पर भी भारत सरकार का मुलायमी अंदाज सामने आया। इस नए दूतावास के साथ हिन्द महासागरीय इलाके में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री एंटोनी ने बड़े दार्शनिक अंदाज में कहा, 'अब भई, कोई देश दुनिया के किसी दूसरे देश के साथ रिश्ते बढ़ाने के लिए वहां दूतावास खोलता है तो हम क्या कर सकते हैं। हमें उसकी कोई खास परवाह नहीं है। ये एक कुदरती बात है।' लेकिन मि.एंटोनी को, गनीमत है, इस बात पर हामी भरनी पड़ी कि भारत से सटी सीमाओं पर चीन अपनी फौजी ताकत बढ़ाता जा रहा है। एक बार फिर ठुड्डी पर हाथ धरते हुए उनकी दार्शनिकी टिप्पणी आई, 'हूंह, ये जरूर फिकर करने की बात है जी।' कौन सी बात फिक्र करने की है, कौन सी नहीं यह चीन बखूबी जानता है। अभी आस्ट्रेलिया गए अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने जब वहां 2,500 अमरीकी फौजी रखने का करार किया तो सबसे पहले चीन ही बिफरा था। उसने कहा कि अमरीका फौजी और आर्थिक तौर पर उसकी घेराबंदी कर रहा है।
पाकिस्तान सरकार की मनमानी
गुरु पर्व पर आतिशबाजी पर नहीं मानी
गुरुद्वारा ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में इस बार गुरु पर्व के दिन वहां के प्रशासनिक अधिकारी मोहम्मद हसन के अड़ियल रुख के चलते आतिशबाजी नहीं हो पाई। ननकाना साहिब सूबे के कॉर्डिनेशन अफसर हसन ने पहले तो आतिशबाजी करने देने पर हामी भरी थी, लेकिन मुख्य कार्यक्रम शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही उस पर रोक के हुक्म जारी कर दिए। सिख श्रद्धालुओं में इससे गुस्सा भर गया, उन्होंने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। कुछ श्रद्धालुओं और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं। पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नाराज प्रतिनिधियों ने प्रेस वार्ता में अपने इस्तीफों की घोषणा कर दी। हसन को, जाहिर है, ऊपर से आदेश हुआ होगा कि मत मनाने दो सिखों को जश्न। हसन ठहरा फरमाबरदार, सो ठोक दी पाबंदी।
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