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उत्तर पूर्व राज्यों में घुसपैठ की समस्या से निपटने के संबंध में केन्द्र और असम सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। मेरा व्यक्तिगत मत है कि दोनों ही सरकारें घुसपैठियों का पता लगाने और उन्हें वापस भेजने के मामले में गंभीर नहीं हैं। उक्त बातें राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री अरुण जेटली ने गत 20 सितम्बर को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी पूर्वोत्तर भारत सम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित उत्तर पूर्व भारत के वर्तमान मुद्दे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।
श्री जेटली ने कहा कि अवैध घुसपैठ के चलते इन राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। संस्कृति से लेकर जनसांख्यिकी तक सबकुछ बदल गया है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए छिद्रित सीमा को बंद करने के साथ-साथ सख्त कानूनी तंत्र तथा अलग न्यायाधिकरण बनाने की जरूरत है। इन राज्यों की समस्याओं को जम्मू-कश्मीर की समस्या की तरह ही देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह राज्य बहुत क्षमता वाले हैं, यदि यहां तक पहुंच के साधन अच्छे हो जाएं तो अनेक निवेशक यहां आ सकते हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. कर रहे उत्तर पूर्व के छात्र द्वारा आतंकवाद के संबंध में पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि आतंकवाद के सफाए लिए सरकार गंभीर नहीं है। हमें सोचने की जरूरत है कि आखिर क्यों 9/11 के बाद अमरीका में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ।
प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री सुनील देवधर ने कहा कि राजधानी दिल्ली में उत्तर पूर्व राज्यों की 5 लाख से अधिक आबादी रहती है। लेकिन यहां उनके चेहरे के अलगाव के कारण भेदभाव किया जाता है। इन राज्यों के छात्र-छात्राओं के साथ उत्पीड़न की अनेक घटनाएं हमारे समाने आ चुकी हैं। मंच पर श्री अरुण जेटली एवं श्री सुनील देवधर के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री प्रकाश जावड़ेकर, राष्ट्रीय मंत्री श्री महेन्द्र पांडे तथा दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता भी आसीन थे।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में विगत दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय में हुए बम धमाके एवं उत्तर पूर्व में आए भूकंप में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी गई। इसके बाद वंदेमातरम् का गान हुआ। इस अवसर पर भाजपा के पदाधिकारी एवं उत्तर पूर्व राज्यों के छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन प्रकोष्ठ के दिल्ली प्रदेश संयोजक श्री निर्मल मिश्रा ने किया।
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