असम/ बासुदेब पाल
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असम/ बासुदेब पाल

by
Dec 12, 2010, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Dec 2010 00:00:00

विस्फोटक खुलासाभारत तक हथियार पहुंचाने के बदले खालिदा सरकार ने ली थी 4.47 अरब की घूसभारत के विरुद्ध देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त संगठनों को भारत के पड़ोसी देश सुविधाएं देते हैं, संसाधन देते हैं, अपनी धरती का प्रयोग करने देते हैं, इसकी जानकारी तो बहुत पहले से है, पर तथ्यों एवं प्रमाणों सहित इसका खुलासा गत दिनों हुआ। इससे भी बड़ी बात यह है कि भारत के पड़ोसी देश बंगलादेश की तत्कालीन सरकार ने एक अलगाववादी संगठन को सुविधाएं देने के बदले एक मोटी रकम वसूल की। ये रकम या कहें घूस थी 99.4 मिलियन डालर, अर्थात लगभग 4 अरब 47 करोड़ रुपए। इतनी बड़ी धनराशि उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम) नामक अलगाववादी-आतंकवादी संगठन के पास कहां से आयी, यह एक अलग जांच का विषय है। पर यह स्पष्ट हो गया है कि सन 2004 में बंगलादेश में सत्तारूढ़ खालिदा जिया सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों एवं मंत्रियों ने उल्फा से 99.4 मिलियन डालर लिए थे ताकि चट्टग्राम बंदरगाह से होकर चीन निर्मित अत्याधुनिक हथियारों को उल्फा के बंगलादेश स्थित सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जा सके। ये हथियार असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड तथा मणिपुर आदि में सक्रिय आतंकवादी गुटों तक पहुंचाए जाने थे।यह खुलासा किसी जांच एजेंसी या मीडिया ने नहीं किया है बल्कि उस समय (सन् 2001 से 2006 तक) बंगलादेश के गृहराज्यमंत्री रहे लुत्फाज्जामन बाबर ने किया है, जो फिलहाल हिरासत में हैं। पूर्व गृहराज्यमंत्री ने पूछताछ के दौरान बताया कि चट्टग्राम बंदरगाह से 10 ट्रक चीन निर्मित हथियार, जिनमें ए.के. 47 रायफलें अधिक थीं, भारत की सीमा पर स्थित उल्फा के ठिकानों तक पहुंचाने की पूरी जानकारी न केवल बंगलादेश सरकार को थी बल्कि उसने इसमें सहयोग के लिए बाकायदा घूस ली थी। घूस का सारा लेन-देन एक दक्षिण एशियाई देश के ढाका स्थित दूतावास में हुआ था। बाबर का कहना है कि वह इस “डील” में सहभागी नहीं होना चाहता था पर चाहकर भी कुछ न कर सका क्योंकि उस पर “ऊपर से भारी दबाव था।” यह दबाव किसका था और किस दूतावास में लेन-देन हुआ था, इस बात का जवाब लुत्फाज्जामन बाबर नहीं दे रहे हैं, चुप्पी साधे हुए हैं। वे कहते हैं कि बहुत सारी बातें उनके सामने नहीं की गईं पर उनकी जानकारी उन तक अपुष्ट सूत्रों से पहुंची। बाबर का कहना है कि उसे घूस के पैसे में कोई पैसा नहीं मिला, लेकिन इस पर विश्वास करना कठिन है।हालांकि बाबर ने “ऊपर वालों” का नाम नहीं बताया पर पूछताछ में यह पता चला है कि जिस समुद्री जहाज से चीन निर्मित या कहें चीन से प्राप्त मशीनगन, ए.के. 47 रायफलें और कारतूस (मैगजीन) चट्टग्राम के बन्दरगाह तक लाए गए वह जहाज तत्कालीन सत्तारूढ़ दल- बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कद्दावर नेता सलाउद्दीन कादिर चौधुरी ऊर्फ शाका चौधुरी का था। वहां से ट्रकों द्वारा हथियारों की तस्करी के संदर्भ में ही बाबर से आजकल पूछताछ चल रही है। इस मामले में बंगलादेश के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख और खुफिया विभाग के तत्कालीन महानिदेशक से भी पूछताछ की जा चुकी है।बंगलादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जबसे शेख हसीना वाजेद के नेतृत्व में आवामी लीग की सरकार आयी है तब से वहां भारत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगी है। वहां भारत विरोधी संगठनों के शिविर बंद कराए जा रहे हैं, कुछ बड़े आतंकवादी नेताओं को अनधिकृत रूप से सीमा पार कराकर भारतीय सुरक्षा बलों को सौंपा गया है। बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस सहयोग के बदले भारत से काफी आथिर्क सहयोग भी लिया है। बावजूद इसके यह ध्यान रखना चाहिए कि बंगलादेश में शरण लिए उल्फा प्रमुख परेश बरुआ को अब तक हाथ नहीं लगाया गया है, जबकि उसकी पल-पल की जानकारी बंगलादेश सरकार के पास है। सूत्रों के अनुसार हसीना की सरकार बरुआ पर तब तक हाथ नहीं डालेगी जब तक वहां की सेना उसे अपने लिए पूरी तरह अनुपयोगी न मान ले। बंगलादेश में सेना एक बड़ी ताकत है जिसकी अनदेखी करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है। बताते हैं कि बरुआ बंगलादेशी सेना के संरक्षण में ही है और जो अन्तरराष्ट्रीय ताकतें उल्फा और बरुआ के माध्यम से भारत को बर्बाद करना चाहती हैं, बंगलादेशी सेना बरुआ के माध्यम से उन अन्तरराष्ट्रीय ताकतों से लाभ कमाना चाहती है।द18

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