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….जो सुमिरै हनुमत बलबीराअयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा-अशोक सिंहल, अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषदगत 27 नवम्बर को हैदराबाद के एनटीआर स्टेडियम में हनुमत शक्ति जागरण समिति की ओर से हनुमान चालीसा के एक लाख पारायण का वृहद् आयोजन हुआ। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच मंच पर वरिष्ठ साधु-संत विराजमान थे, जिनमें प्रमुख थे, श्री त्रिडंडी श्रीमन्ननारायण रामानुज चिन्ना जीयर स्वामी जी, स्वामी सत्यपादानंद प्रभुजी, पूज्य श्री संग्राम महाराज और पूज्य श्री श्रीनिवास व्रताधार स्वामी। कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल विशेष रूप से सम्मिलित हुए थे। चारों ओर भगवा पताकाएं और बजरंग बली के विशाल चित्र से वातावरण भक्तिमय था। ऐसा लग रहा था मानो पवनपुत्र के भक्तों का जनसागर हिलोरें ले रहा था। “जय बजरंग बली” के नारे रह-रहकर सुनाई दे रहे थे। “जय श्रीराम” का उद्घोष तो पूरे वातावरण को अह्लादित कर रहा था। ऐसे ओजस्वी श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए पूज्य चिन्ना जीयर स्वामी जी ने अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण हेतु रामभक्तों से सम्पूर्ण सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रभु को भी भक्तों की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। इस संदर्भ में उन्होंने सुग्रीव द्वारा प्रभु श्रीराम की सहायता करने का उद्धरण सुनाया। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर का निर्माण केवल भारतवासियों की ही अभिलाषा नहीं है अपितु संसार के सभी लोग चाहते हैं कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बने। स्वामी सत्यपादानंद प्रभुजी ने कहा कि धर्म भारत की आत्मा है। जो धर्म मार्ग पर चलते हैं वही भारतीय परंपरा के सच्चे अनुयायी हैं। यह हनुमान चालीसा पारायण का कार्यक्रम उस आहत भावना को फिर से बलबती करने के लिए है जो अयोध्या में आक्रांता बाबर द्वारा श्रीराम मंदिर ध्वस्त करने के अपमान से आहत हुई थी। उन्होंने कहा कि हमें श्रीराम मंदिर निर्माण की करोड़ों करोड़ भक्तों की अभिलाषा की पूर्ति के लिए त्याग, बल और नीति की आवश्यकता है।विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 482 साल पहले अयोध्या में मुस्लिम आक्रांताओं ने रामालयम् को ध्वस्त किया था और उसके स्थान पर एक विवादित ढांचा खड़ा कर दिया था। उसी विवादित स्थल पर राम के बालस्वरूप यानी रामलला प्रकट हुए थे। उन्होंने कहा कि 30 सितम्बर 2010 को न्यायालय के निर्णय ने पुष्टि की है कि विवादित स्थल ही राम का जन्मस्थान है। इस निर्णय के अनुसार उस स्थल को तीन हिस्सों में बांटकर रामलला विराजमान, वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को बराबर बांटा जाना है। वास्तव में तो पूरी जमीन रामलला को ही दी जानी चाहिए। इसलिए अब रामलला सर्वोच्च न्यायालय में जाएंगे। हमें स्मरण रखना चाहिए कि राम की कभी हार नहीं हुई है। श्री सिंहल ने गत चार माह से जारी हनुमान चालीसा पारायण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि आगे पूरे देश में विशाल धर्म सभाओं का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की हिन्दू विरोधी नीतियों के संदर्भ में कहा कि वे देश में हिन्दू धर्म का अपमान करने का निश्चय किए हुए हैं। देश में धर्म और संस्कृति को ध्वस्त करने के लिए षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। इसी षड्यंत्र के तहत देश भर में साधु- संतों पर हमले किए जा रहे हैं। पूज्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती की गिरफ्तारी के मामले से लेकर अभी हाल ही में रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार पर झूठे आरोप लगाने तक का घटनाक्रम इस ओर संकेत करता है। श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोपा था, पर उन्हें बाद में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। श्री सिंहल ने कहा कि देश के 80 प्रतिशत मुस्लिम भी अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण चाहते हैं। सरकार को संसद में राममंदिर के लिए कानून बनाकर सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि वहां श्रीराम मंदिर ही बनेगा।इस अवसर पर रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री भागैय्या ने कहा कि कश्मीर भारत का अंग है और वहां 6 लाख कश्मीरियों के लिए केन्द्र सरकार 15 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन असम के ढाई करोड़ लोगों के लिए केवल दस हजार करोड़ रुपए ही आवंटित किए जाते हैं। आज तक कश्मीर के वंचित बंधुओं को मतदान के अधिकार नहीं दिए गए हैं। यह हिन्दुओं के साथ बरते जा रहे भेदभाव का जीता- जागता सबूत है।मंच पर उपस्थित अन्य अनेक संतों ने अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण का आह्वान करते हुए श्रद्धालुओं में एक नई ऊर्जा का संचार किया। द वि.सं.के., हैदराबाद12
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