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पुस्तक का नाम – एक जमीनआसमान पर (कविता संग्रह) रचनाकार – राज हीरामन प्रकाशक – स्टार पब्लिकेशन प्रा. लि.4/5-बी, आसफ अली रोड,नई दिल्ली मूल्य – 125 रु., पृष्ठ संख्या – 102कवि राज हीरामन का सातवां कविता संग्रह- “एक जमीन आसमान पर” कुछ समय पूर्व प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह में संकलित कुल एक सौ एक कविताएं जीवन के विविध रंगों को हमारे सामने उभारती हैं। इन कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें गंभीर, क्लिष्ट विषयों और संदर्भों को कविता का मुख्य विषय नहीं बनाया गया है। यानी, कवि ने बिल्कुल सामान्य और अपने जीवन के आस-पास दिखने वाले गैरजरूरी तत्वों या हाशिए पर धकेल दी गई व्यावहारिक जीवन की इबारतों को नए ढंग से परिभाषित किया है। “यादें अलग-अलग” कविता में कवि ने तीन पीढ़ियों की सोच और वैचारिकता में हुए परिवर्तन को व्यक्त किया है। वे लिखते हैं-“मेरे दादा को परतंत्र भारत के सिर्फ विद्वानों, क्रांतिकारियों के ही नाम याद रहते हैं और मुझे तो सिर्फ फिल्मी हीरों-हीरोइनों के ही नाम याद रहते हैं।”पुस्तक में संकलित कविताओं से गुजरते हुए यह महसूस होता है कि कवि का रचना संसार बहुत व्यापक है। इनमें समाज की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के वर्णन के साथ ही ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों पर भी गहन दृष्टि डाली गई है। कवि ने प्राचीन प्रसंगों और मिथकों में वर्णित घटनाक्रमों को आज के संदर्भों से जोड़ते हुए, नए अर्थों में व्याख्यायित किया है। “रामराज्य” और “राम में रावण का गुण” जैसी कविताओं के माध्यम से कवि ने बहुत संक्षेप में वर्तमान समय की विकृत सोच और उसके भयावह परिणामों को उजागर किया है।कुछ कविताओं में कवि राज हीरामन ने वर्तमान जीवन शैली के उथलेपन पर व्यंग्यात्मक प्रहार भी किया है। वानगी के तौर पर “श्रोता”, “एक हाथ ले… पर” और “आंगन टेढ़ा” कविताओं को देखा जा सकता है-“बस एक बार, बिना वैशाखी के तुम चलकर तो दिखा दो मैं समझूंगा कि तुम्हें चलना आता है।” वर्ना तुममें इतनी हिम्मत ही कहां कि तुम चल भी न पाओ तो आंगन को टेढ़ा कर दोगे।”स्वतंत्रता के बाद बदले भारतीय समाज की तस्वीर को तल्खी के साथ कवि ने “जारी है तानाशाही”, “मांगने वाले हाथ” और “गुलामी पीढ़ी-दर-पीढ़ी” जैसी कुछ कविताओं में उकेरा है। आकार और शब्द संख्या के नजरिए से छोटी लगने वाली ये कविताएं भावस्तर पर मन की अतल गहराइयों को स्पर्श करती हैं। “पहले कफन” और “बौना सन्यासी” जैसी कविताएं इस संग्रह की उपलब्धियां कही जा सकती हैं।द25
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