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द राकेश भ्रमरयहां पर क्या हमारा है, सभी तो हक तुम्हारे हैं,जुबां मुंह में हमारी है, लफ्ज पर इसमें तुम्हारे हैं।बने हो पेड़ बरगद के, पनपने क्या हमें दोगे,जड़ों में रेत भर दी है, हवा पानी तुम्हारे हैं।सदा फरमान देते हो, कभी तो प्यार से बोलो,समझ में क्यों नहीं आता, सभी बच्चे तुम्हारे हैं।तुम्हारी नजर में वहशत, अदाओं से डराते हो,कतल कर दो न चीखेंगे, सभी वश में तुम्हारे हैं।कहां किस राह पर चलकर निशां अपने बनाए हैं,बुलन्दी कौन सी नापी, कहां परचम तुम्हारे हैं।बहुत चालाक हो, छिपकर सभी पर वार करते हो,लड़ाई तुम नहीं लड़ते मगर सब गुर तुम्हारे हैं।”भ्रमर” से पूछ लो उसको यहां तकलीफ कितनी है,चरागां हम जलाते हैं, उजाले पर तुम्हारे हैं।22
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