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ऊषा दीदी नहीं रहींविश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल की बहन श्रीमती ऊषा सिंहल का गत 19 नवंबर को दिल्ली में निधन हो गया। 81 वर्षीय ऊषा दीदी सात भाइयों में इकलौती बहन थीं।ऊषा दीदी ने जिस तरह अपना जीवन देश व समाज के लिए समर्पित किया, वह सभी के लिए अनुकरणीय है। उनमें वात्सल्य, क्षमा, कर्तव्यनिष्ठा, साहस, प्रेम, दया, करुणा, कोमल ह्मदयता, निर्भीकता तथा धर्म व राष्ट्र से अटूट प्रेम सभी गुण थे। न कभी थकना, न रुकना, न उदास होना, न उदास होने देना, किसी की भी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहना, गलत कार्य न करना और न करने देना, नाम और पद-प्रतिष्ठा से सदा दूर रहना, भारतीय सभ्यता व संस्कृति में गहन आस्था रखना आदि उनकी विशेषताएं थीं।दीदी ने सन् 1964 में विश्व हिन्दू परिषद के माध्यम से महिलाओं को संगठित करने का कार्य प्रारंभ किया। बाद में “मातृशक्ति” की नींव रखी तथा इसी कार्य हेतु मातृशक्ति सेवा न्यास की स्थापना भी की। 1968 से 1972 के मध्य मॉरीशस से आए बालकों के लिए संस्कार केन्द्र चलाया। 1979 के द्वितीय विश्व हिन्दू सम्मेलन में भी उनकी भूमिका अग्रणी रही। श्री रामशिला पूजन कार्यक्रम की घोषणा प्रयाग की जिस तृतीय धर्म संसद में हुई, उसकी सफलता हेतु वे एक माह तक प्रयाग में ही रहीं और एक-एक कार्य की चिंता की। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रारम्भिक दौर (1984) में उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि पर पहली पुस्तक भी लिखी। हिन्दुत्व व राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के प्रति उनका समर्पण अद्भुत था। दीदी ने अपने जीवन के एक-एक पल को ऐसे जीया कि उसका हर क्षण समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।पश्चिमी दिल्ली के मंगोलपुरी श्मशान घाट पर सम्पन्न हुए अंत्येष्टि के कार्यक्रम में उनके भाई श्री बी.पी.सिंहल, विहिप के उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल सहित बड़ी संख्या में परिजन एवं विहिप के कार्यकर्ता उपस्थित थे। द38
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