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सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों को धता बताकर पाकिस्तान सतलुज नदी में जहरीला कचरा डालकर उसे प्रदूषित कर रहा है। अगर उसे जल्द नहीं रोका गया तो इस नदी का जल पीने के लिए क्या, किसी भी काम के लिए उपयोगी नहीं रह जाएगा।इस नदी के प्रदूषित होने का सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान की तरफ से इस नदी में चमड़ा रंगाई की इकाइयों द्वारा गंदा पानी डालना है। सीमा पार पाकिस्तान में इस तरह की सैकड़ों इकाइयां हैं। बताया जाता है कि केवल कसूर में ही 200 इकाइयां यह काम कर रही हैं, जो अपने प्रदूषित जल को नदी में डालती हैं। कसूर सतलुज के किनारे बसा शहर है जो हुसैनीवाला अंतरराष्ट्रीय सीमा (फिरोजपुर-पंजाब) के बाद अगला शहर है। यह प्रदूषित जल नदी के साथ-साथ भूमिगत जल को भी प्रदूषित कर रहा है और इसका असर भारतीय पंजाब के मालवा क्षेत्र में दिखना शुरू हो चुका है।इसके अतिरिक्त लुधियाना के बुड्ढे नाले व हिमाचल प्रदेश के बद्दी क्षेत्र में लगी औद्योगिक इकाइयों का बिना स्वच्छ किए गंदा पानी इस नदी में डाला जा रहा है। इन सभी कारणों से युगों-युगों से कल-कल बहती यह नदी आज गंदे नाले का रूप धारण कर चुकी है। अब आए दिन समाचार आते हैं कि सतलुज नदी में जहरीले पानी से मछलियां मरी पाई गर्इं या इसका पानी पीने से इतने लोग गंभीर रूप से बीमार हुए। गंदगी समेटे इस नदी का जल हरिके पत्तन (जिला तरनतारन) में गिरता है जहां से राजस्थान के साथ-साथ पंजाब के मालवा क्षेत्र के लिए नहरें निकलती हैं।24
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