|
गत 8 फरवरी को तिरुअनंतपुरम में रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेशराव जोशी और भारतीय विचार केन्द्रम के निदेशक श्री पी.परमेश्वरन ने दैनिक स्वदेश (भोपाल) द्वारा प्रकाशित राष्ट्र-ऋषि श्रीगुरुजी ग्रंथ लोकार्पित किया। इस विशेष स्मारिका में श्रीगुरुजी के विचारों का नवनीत और उस महान विभूति के दुर्लभ छायाचित्र समाहित हैं। उल्लेखनीय है कि इस स्मारिका के भारत के विभिन्न राज्यों की राजधानियों में 17 लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि श्रीगुरुजी के प्रेरक जीवन को एक पुस्तक में नहीं समेटा जा सकता, लेकिन यह पुस्तक युगपुरुष के चरणों में एक पुष्प है। डाक्टर जी और श्रीगुरुजी विचार और चिंतन के साक्षात् प्रतिरूप हैं। हिन्दुत्व, संघ और श्रीगुरुजी में अंतर नहीं किया जा सकता। वे आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। श्रीगुरुजी दृढ़ प्रतिज्ञ विभूति थे, जिन्होंने 1948 में संघ पर प्रतिबंध लगने के बाद संघ की कार्यपद्धति में बदलाव के तमाम दबावों को दृढ़ता से मना कर दिया था। इसी तरह 1950 के दशक की शुरुआत में कम्युनिस्टों द्वारा संघ के विरोध और माकपा के संघ कार्यकत्र्ताओं पर घातक हमलों के बावजूद उन्होंने नेहरू सरकार द्वारा केरल की पहली निर्वाचित ई.एम.एस. नम्बूदरिपाद सरकार को बर्खास्त करने के कदम का विरोध किया था। कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद् के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मणिकांतम् और स्वदेश के प्रधान संपादक श्री राजेन्द्र शर्मा भी उपस्थित थे। प्रतिनिधि30
टिप्पणियाँ