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गंगा एक्सप्रेस वे योजना को स्थगित करने के लिए दो जनहित याचिकाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए स्वीकार हो गई हैं। इसमें से पहली याचिका क्र. 15125/2008 गंगा महासभा की ओर से आचार्य जितेंद्र ने दाखिल की है तो दूसरी याचिका पर्यावरणविद् प्रदीप शुक्ला ने दाखिल की है। गंगा रक्षा के लिए न्यायिक प्रक्रिया चलाने के साथ-साथ जनांदोलन की अनुगूंज भी गंगोत्री से गंगासागर तक सुनाई देने लगी है। लोग एक नए भगीरथ की बेसब्री से राह देख रहे हैं। पिछले दिनों गंगा महासभा ने गंगा सागर से लेकर गंगोत्री तक गंगा संस्कृति प्रवाह यात्रा का आयोजन किया। पहला चरण गंगा सागर से 1 फरवरी को प्रारंभ हुआ और हरिद्वार में 3 मार्च को स्थगित हुआ। इसी बीच एक्सप्रेस वे की परियोजना को लेकर भी महासभा से जुड़े लोगों में चिंताएं बढ़ीे। संप्रति महासभा ने आगामी 25 मई से 13 जून तक के लिए नोएडा से बलिया तक गंगा बचाओ यात्रा निकालने की घोषणा कर दी है। गंगा महासभा के मंत्री श्री गोविन्द शर्मा गंगा संस्कृति रक्षा यात्रा का अनुभव बताते हुए कहते हैं- गंगा के किनारे हजारों वर्षों से बसे हजारों ग्रामों के लोगों को अब गंगा की उदासी सालने लगी है। गंगा को मारने के पाप का अज्ञात भय प्रत्यक्ष आकर नाच रहा है। गंगा की दुर्दशा देख समाज और सन्त सभी सकते में हैं। किंतु सरकार, प्रशासन, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और प्रदूषण नियंत्रण संस्थानों की लापरवाही बदस्तूर जारी है। गंगा एक्सप्रेस वे इसी का नतीजा है।गंगा की दुर्दशा को लेकर सभी वर्गों में आक्रोश-पीड़ा बढ़ रही है। बंगाल में इस्कान और भारत सेवाश्रम संघ के अनेक संत प्रभु भद्र चारूदास, स्वामी प्रदीप्तानंद, स्वामी पुरूषोत्तमानंद, तृणमूल कांग्रेस के विधायक तारक वन्द्योपाध्याय प्रमुख रूप से गंगा यात्रा में शामिल हुए। पटना में गंगा संस्कृति रक्षा यात्रा में रा. स्व. संघ के प.पू. सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, हरमंदिर साहिब, पटना के मुख्य ग्रन्थी राजिंदर सिंह, आचार्य किशोर कुणाल शामिल हुए। विगत माघ मेले में प्रयाग में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद महाराज के शिविर में देश की अनेक प्रमुख हस्तियों ने हजारों लोगों की उपस्थिति में गंगा रक्षा के आंदोलन की रूप रेखा तय की। इसमें शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती. सुप्रसिद्ध स्वदेशी चिंतक गोविन्दाचार्य, महामना मालवीय के पौत्र एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय, स्वामी हरि चैतन्य ब्राहृचारी आदि अनेक प्रमुख लोग शामिल हुए। इसके अतिरिक्त प्रत्येक स्थान पर विश्व हिंदू परिषद से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भी यात्रा में उत्साह के साथ सहभाग किया। उ.प्र. में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भी गंगा रक्षा अभियान को अपना आशीष प्रदान किया। हरिद्वार में पेजावर स्वामी विश्वेश तीर्थ महाराज, गोविंदाचार्य और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्री आशीष शामिल हुए। उल्लेखनीय यह भी है कि विगत 18 जनवरी को गंगा महासभा द्वारा प्रयाग में आयोजित राष्ट्रीय गंगा मुक्ति सम्मेलन में देश की सभी पीठों के शंकराचार्यों, समस्त आचार्य महामण्डलेश्वर तथा संतों-महन्तों के हस्ताक्षर से गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने, प्रवाह अविरल और अबाधित रखने तथा समस्त प्रकार के प्रदूषणों से गंगा को बचाए रखने के समर्थन में ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया।10
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