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राष्ट्रीय सिख संगत ने गत दिनों अपने अन्त:क्षेत्र (बेवसाइट) को लोकार्पित किया। अब आपको सिख इतिहास, सिख गुरुओं का इतिहास एवं उनका जीवन परिचय, गुरुवाणी, जपुजी साहिब, अरदास स्वतंत्रता आंदोलन में सिखों की भूमिका, अंग्रेज-सिख युद्ध या फिर 1984 में सिखों का नरसंहार यानी सिख पंथ के बारे में कोई भी जानकारी प्राप्त करनी हो पर जाइये। आपको यह सारी जानकारी न केवल गुरुवाणी में प्राप्त होगी बल्कि हिन्दी व अंग्रेजी में भी उपलब्ध होगी। सिख इतिहास के इस महत्वपूर्ण और पहले त्रिभाषी अन्त:क्षेत्र का लोकार्पण गत 31 जनवरी को नई दिल्ली के भाई वीर सिंह सभागार में हुआ। जाने-माने अर्थशास्त्री तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर संघचालक प्रो. बजरंग लाल गुप्त ने इसका लोकार्पण किया। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेजी दैनिक पायनियर के संपादक एवं राज्यसभा सदस्य श्री चंदन मित्रा ने की। इस अवसर पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक स. जोगिंदर सिंह, राष्ट्रीय सिख संगत के मार्गदर्शक, स.चिरंजीव सिंह, अध्यक्ष स. गुरुचरण सिंह गिल, उत्तर क्षेत्र के प्रचारक श्री दिनेश चन्द्र, क्षेत्र कार्यवाह प्रो.सीताराम व्यास, दिल्ली प्रांत संघचालक श्री रमेश प्रकाश, सिख संगत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अविनाश जायसवाल, पूज्य बाबा बलदेव सिंह, स. जगजीवन सिंह जोत, दिल्ली सरकार के पूर्वमंत्री स.हरचरण सिंह बल्ली, वरिष्ठ सिख नेता श्री वीरेन्द्र सिंह जौहर सहित अनेक गण्यमान्य जन उपस्थित थे।इस अवसर पर डा. बजरंग लाल गुप्ता ने कहा कि सेवा, भक्ति व पुरुषार्थ का त्रिवेणी संगम है सिख परम्परा। यहां धर्म, संस्कृति व समाज के लिए किस तरह से बलिदान दिया जा सकता है, इसके उदाहरण मिलते हैं। आज संपूर्ण विश्व जिस आतंकवाद से ग्रस्त है उसका मुकाबला कैसे किया जा सकता है, इसकी प्रेरणा सिख इतिहास से ली जा सकती है।श्री चंदन मित्रा ने कहा कि गुरुवाणी भारतीय संस्कृति की अद्भुत देन है तथा इस वेबसाइट के माध्यम से दुनिया के कोने-कोने में इसका संदेश पहुंचेगा। केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक स.जोगिंदर सिंह ने कहा कि सरकार ऐसी नीति बना रही है जिसके तहत मुठभेड़ में मारे गए जिहादियों के परिवारों को मुआवजा दिया जा सकता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा। राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष स. गुरुचरण सिंह गिल ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी से पूरे भारतीय समाज को एक किया जा सकता है। स. चिरंजीव सिंह जी ने राष्ट्रीय सिख संगत की स्थापना की पृष्ठभूमि की विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालक संगत संसार समाचार पत्र के संपादक डा. कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री ने किया। (हिन्दुस्थान समाचार)25
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