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कम्युनिस्ट सरकार अवैध घुसपैठियों के भी पहचान पत्र बनाएगी?बंगलादेशी घुसपैठिये भारत के लिए हमेशा से एक समस्या रहे हैं। ये स्थानीय जनजीवन को तो प्रभावित करते ही हैं, देश की सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक हैं।बंगलादेशी घुसपैठियों से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल इसका एक उदाहरण है।केन्द्र की पूर्ववर्ती वाजपेयी सरकार ने देश के सीमावर्ती राज्यों में बहुद्देशीय पहचान पत्र बनाने का कार्य आरंभ किया था। देश के बारह राज्यों में पहचान पत्र बनाने का काम पूरा हो गया है मगर पश्चिम बंगाल में यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है। बंगलादेशी घुसपैठ से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल आरम्भ से ही इस तरह के पहचान पत्र बनाए जाने का विरोध करता रहा है। पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार द्वारा इस योजना का यह कहकर विरोध किया गया था कि राज्य के अधिकांश लोगों के पास अपनी पहचान का कोई भी प्रमाण पत्र नहीं है, ऐसे में इस तरह के बहुद्देशीय पहचान पत्र बनाना संभव नहीं होगा।केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के संदर्भ में नियम में ढील बरतते हुए कहा कि अगर कोई भारतीय नागरिक अपने पड़ोसी की पहचान भारतीय के रूप में करता है तो उसे भी भारतीय नागरिक मान लिया जाए। नियम में छूट के बाद भी मुर्शीदाबाद के अकेले जियागंज प्रखंड में ढाई लाख की आबादी में से 20 प्रतिशत लोगों के पास भारतीय होने का कोई सबूत नहीं है। अर्थात् अकेले इस प्रखंड में लगभग 50,000 लोग बंगलादेशी हो सकते हैं। उधर कूचबिहार, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना, उत्तर एवं दक्षिण दिनाजपुर, मालदा सहित अगर पूरे राज्य की बात करें तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।आखिरकार पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार ने यह कहते हुए बहुद्देशीय पहचान पत्र योजना बंद कर दी कि अगर बनाना ही है तो राज्य के सभी नागरिकों का पहचान पत्र बनाया जाए।वाम दलों द्वारा देश की सुरक्षा को लेकर यह ढुलमुल रवैया कोई नई बात नहीं है। ऐसे में केन्द्र की यूपीए सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह वैध-पहचान पत्र बनवाने के लिए पश्चिम बंगाल पर दबाए बनाए। सुरक्षा की अनदेखी हुई तो देश की राष्ट्रभक्त जनता यूपीए सरकार को कभी माफ नहीं करेगी। बासुदेब पाल33
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