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उत्तराखण्ड के जंगलों में एक बार फिर शिकारी सक्रिय हैं। पिछले दो महीनों में दो दर्जन से ज्यादा तेंदुए की खालें बरामद हो चुकी हैं। जबकि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के संग्रहालय से चोरी हुए बेशकीमती हाथी दांतों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। बाघों को निशाना बनाए जाने के बाद तेन्दुए भी शिकारियों के निशाने पर हैं। बीते जून-जुलाई महीने में तेन्दुएं की 24 खालें पुलिस के द्वारा बरामद की गई हैं, जिनके साथ 13 शिकारी भी गिरफ्तार हुए हैं। खास बात ये कि ये खालें अलग-अलग जिलों से बरामद हुई हैं। बीते कुछ समय से बाघ की सुरक्षा निगरानी कड़ी हो जाने की वजह से शिकारी अब तेंदुए के शिकार में लग गए हैं। तेंदुए की हड्डी से चीन में दवाएं तैयार होती है। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में तेंदुए की खाल की लाखों में कीमत आंकी जाती है।तेंदुए के अलावा शिकारी इस समय हाथी दांत की तस्करी में भी लिप्त हैं। जिम कॉर्बेट संग्रहालय से बेशकीमती हाथी दांत तमाम सुरक्षा बंदोबस्त के रहते चोरी चले गए। इसके अलावा अप्रैल माह से जुलाई माह के बीच छह हाथी जिम कॉर्बेट पार्क में मरे पड़े मिले। इसके बाद राज्य सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए जिम कॉर्बेट पार्क के आधा दर्जन बड़े वनाधिकारियों का तबादला भी किया है। सत्ता के गलियारों तक पहुंच रखने वाले कथित वन्य जीव विशेषज्ञों की जंगलों में हर समय मौजूदगी पर भी कई बार सवाल उठाए गए है। खासतौर पर सन् 2000 में जब जिम कॉर्बेट पार्क में कई हाथी एक साथ मारे गए और शिकारी उनके हाथी दांत निकाल ले गए तब भी यहां सक्रिय वन्य जीव जन्तुओं के विशेषज्ञ कहे जाने वाले लोगों की मौजूदगी पर शोर-शराबा हुआ था।ताजा रपट के मुताबिक राजा जी नेशनल पार्क के पश्चिमी हिस्से में बाघों के समाप्त हो जाने की खबरें सामने आयी हैं। जिसकी अभी जांच की जा रही है। यहां सन् 2007 में गणना में आठ बाघ आए, पर अब वहां एक ही बाघिन दिखाई दे रही है।उत्तराखण्ड में वन्य जीवन से जुड़े स्वयंसेवी संगठनों ने बीते कुछ समय से जंगलों से वन गूजरों को हटाये जाने तथा साधु-सन्तों की कुटियाओं को हटाने की मुहिम-सी चला रखी है। जबसे ऐसा हुआ है तबसे शिकार और बढ़ गया है। “वनगूजरव् मांस नहीं खाते हैं, वे जंगल के वास्तविक रखवाले होते हैं। इसी तरह साधु-सन्त भी जंगलों में आने-जाने वाले संदिग्ध लोगों पर निगाह रखते हैं। बहरहाल उत्तराखण्ड के जंगल अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं। यहां से शिकारी बेशकीमती खजाना लूटने में लगे हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि वह जंगलों के आस-पास रहने वाले गांवों में खुफिया तन्त्र को मजबूत कर वहां के लोगों को जंगल के कुछ अधिकार दे, तभी इस अवैध शिकार तथा अवैध कारोबार पर काबू पाया जा सकेगा।31
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