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बंगाल से हिन्दुओं का पलायन?माकपा शासित पश्चिम बंगाल भी अब कश्मीर की राह पर है? एक समाचार के अनुसार अभी तक बंगाल के 8000 गांवों के अनेक हिन्दू पलायन कर चुके हैं। माकपा की शह पर कट्टरपंथी मुसलमान सरेआम हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं, धन-सम्पत्ति लूट रहे हैं और हिन्दू महिलाओं का अपमान किया जा रहा है। 4 मार्च को बशीरहाट के सन्देशखाली पुलिस थाने के सखेड़िया गांव में श्रीमती काजल हालदार के घर विश्व हिन्दू परिषद् एवं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने होली-मिलन का कार्यक्रम रखा था। बजरंग दल के क्षेत्रीय संयोजक श्री तपन घोष भी उसमें शामिल होने वाले थे। किन्तु उनके आने से पहले ही शस्त्रधारी मुसलमानों ने भोजन कर रहे कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। हमलावरों के नेता शाजहान अकुजी पिस्तौल से हवा में गोली-चला रहा था और उसके साथी- लुभो मुल्ला, आजिम अली शेख, रमजान अली, एसाब अली भाग रहे हिन्दुओं की पिटाई कर रहे थे। इन हमलावरों ने श्रीमती काजल हालदार को गंभीर रूप से घायल कर पांच तोला सोना और 4 हजार रु. भी लूट लिए। कुछ देर बाद थाना प्रभारी गौतम मित्र पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस को देखकर हिन्दू अपने-अपने घरों से बाहर हुए, पर पुलिस के सामने ही कट्टरवादी हिन्दुओं को फिर से पीटने लगे। पुलिस भी उल्टे हिन्दुओं को ही पकड़कर थाने ले गई। थाने में बन्द रामकृष्ण दास, दीपकंकर हालदार एवं दिलीप हालदार को रात में पुलिस ने बुरी तरह पीटा। इस कारण उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस घटना के विरोध में विश्व हिन्दू परिषद् एवं बजरंग दल ने 24 परगना के जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर पकड़े गए हिन्दुओं को छोड़ने और दोषियों को पकड़ने की मांग की है। इससे पूर्व 17 जनवरी को भी 24 परगना जिले में कट्टरपंथी मुसलमानों ने हिन्दुओं पर हमले किए थे और मां सरस्वती की प्रतिमा तोड़ी थी।अब मीडिया पर बरसे पिनरईअचानक से केरल माकपा के सचिव पिनरई विजयन को यह सूझा है कि माकपा के प्रभाव को खत्म करने के लिए राज्य में एक “मीडिया सिंडिकेट” काम कर रहा है। बड़ी अजीब बात है । ऐसा दोष लगाते हुए पिनरई यह भूल जाते हैं कि यह वही मीडिया है जिसने कासरगोड से तिरुअनंतपुरम तक के उनके केरल मार्च पर उनकी खूब खबरें छापी थीं। यह पूर्ववर्ती यू.डी.एफ. सरकार के कार्यकाल के समय की बात है। रास्ते भर उनकी आवभगत और जलसों के प्रसारण में जुटे कई खास पत्रकारों को उन्होंने लजीज भोजन भी कई बार कराया था। लेकिन आज जब पिनरई की पार्टी सत्ता में है तो वही मीडिया उन्हें दुश्मन दिखाई देने लगा है। मीडिया ने तो समाज से जुड़े विषयों को बस छापा ही है, पार्टी और पिनरई की दोमुंहा बातों और कथनी-करनी के भेद की जानकारी ही दी है। पार्टी और खुद अपनी नाक नीची होते देखकर पिनरई हकबकाए हुए हैं। बस, उन्होंने आरोप उछाल दिया कि सी.आई.ए. के पैसे पर एक मीडिया सिंडिकेट राज्य में उल्टी-सीधी बातें छाप रहा है। इतना ही नहीं, उन्होंने तो कुछ अखबारों के नाम तक बताए, जो वाम विरोधी खबरें छापने में जुटे हैं। वे नाम हैं- मलयाला मनोरमा, मातृभूमि, केरल कौमुदी और माध्यम। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने पिनरई की इस बयानबाजी पर चुप्पी साधी हुई है।मीडिया के खिलाफ पिनरई गुट की बयानबाजी पर आधिकारिक मुहर तब लग गई थी जब मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने खुद वर्तमान विघानसभा सत्र के पहले दिन कहा था कि सरकार को जानकारी है कि किसी मीडिया सिंडिकेट की चर्चा चल रही है। इसे सी.आई.ए. से पैसा मिलने की बाबत जब कांग्रेस के अरयादन मोहम्मद ने सवाल पूछा तो मुख्यमंत्री ने इसे अन्तरराष्ट्रीय पहलुओं से जुड़ा विषय बताकर इसके विस्तार में जाने से इनकार कर दिया। चर्चा है कि केरल माकपा के संघर्षरत गुटों ने इस मुद्दे को एक-दूसरे पर चोट करने का हथियार बना लिया है और मूल समस्या से मुंह फेर लिया है।22
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