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संत समिति ने आपत्ति की, राष्ट्र के खिलाफ षड्यंत्र बतायाआजकल बाजार में चलन में आ रहे हैं नए 1 और 2 रु. के सिक्के, जिनमें पीछे क्रास का चिह्न अंकित है और भारत का नक्शा गायब है! इस पर भारतीय संत समाज ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह देश के विरुद्ध सुनियोजित षड्यंत्र है। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की वेबसाइट में इस सिक्के का उल्लेख नहीं है और अन्य सभी सिक्के बेबसाइट में चित्रित हैं। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय सहमंत्री महामंडलेश्वर नृसिंहपीठाधीश्वर स्वामी श्यामदास महाराज, स्वामी अखिलेश्वरानंद और ज्ञानेश्वरी दीदी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि ये सिक्के कैसे चलन में आए इसकी जांच की मांग करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। डा. स्वामी श्यामदास एवं स्वामी अखिलेश्वरानंद ने बताया कि उनके साथ विहिप के नगर अध्यक्ष डा. अखिलेश गुमाश्ता ने रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की वेबसाइट में सिक्के के संबंध में पड़ताल की तो ज्ञात हुआ कि उसमें यह सिक्का अंकित नहीं है। सिक्कों में अंकित चिह्न वैटिकन सिटी के लुईस द पायस द्वारा प्रचलित क्रास का है। संतजनों ने कहा कि सिक्के में महात्मा गांधी का चिह्न नहीं होना भारतीय पंथनिरपेक्षता पर मिशनरी हमला है। समिति एवं डा. गुमाश्ता द्वारा उसके खिलाफ पुलिस में रपट दर्ज कराई जा रही है, क्योंकि सिक्के के नोटिफिकेशन में इसका उल्लेख नहीं है। यदि ऐसा है तो सिक्का चलाने वालों पर प्रशासनिक कार्यवाही हो, उसका चलन शासकीय टकसाल से तत्काल निरस्त किया जाए। मयाराम जेसवानी ने कहा कि पूर्व पोप द्वारा भारत यात्रा के दौरान बयान दिया गया था कि हम प्रत्येक हाथ में क्रास देखेंगे। यह उसी साजिश का हिस्सा है। संत समाज इस सिक्के का विरोध कर रहा है। (साभार-नवभारत, जबलपुर)12
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