|
किसानों पर शिकंजे का षड्यंत्र है “सेज”गत 21 एवं 22 जुलाई को गोरखपुर में भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय प्रबंध समिति की बैठक आयोजित हुई। दो दिवसीय इस बैठक का उद्घाटन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर संकठा प्रसाद सिंह ने किया। देश भर से आए प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए श्री संकठा प्रसाद सिंह ने कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के जरिए आज किसानों को शिकंजे में लेने का लगातार कुचक्र चल रहा है। यदि किसान संगठित रहा तो वह कुचक्र सफल नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि भारत छोड़ने के पहले अंग्रेजों ने देश को 567 रियासतों में बांटने का प्रयत्न किया था, लेकिन सरदार पटेल के कारण उनकी योजना सफल नहीं हो पायी थी। उन्होंने कहा कि विदेशी कम्पनियों के कारण आज देश में गेहूं के भण्डार खाली पड़े हैं और केन्द्र सरकार को विदेश से गेहूं आयात करना पड़ रहा है।बैठक को सम्बोधित करते हुए किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि रासायनिक खेती के कारण देश के कई प्रान्तों की खेती ऊसर होने लगी है। उन्होंने कहा कि किसान संघ को जैविक खेती के विस्तार के लिए अधिक से अधिक प्रयत्न करना चाहिए।बैठक का समापन 22 जुलाई को हुआ। समापन समारोह में भारतीय किसान संघ के मार्गदर्शक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री सुरेश राव केतकर ने कहा यह संगठन किसानों के क्षेत्र में कार्य करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा कि सरकार के किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध कार्यकर्ता सक्रिय हों। बैठक को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री चम्पालाल साण ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री विरेन्द्र सिंह, श्री छोटे लाल, श्री रामकेवल यादव, श्री भागवत प्रसाद पटेल, श्री प्रभाकर केतकर, श्री जीवन भाई पटेल आदि उपस्थित थे। बैठक में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के विरुद्ध जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। यह भी घोषणा की गई सेज विरोधी सप्ताह (25 सितम्बर, 07 से 2 अक्तूबर, 07 तक) मनाया जाएगा। इसके अन्तर्गत किसान संघ के कार्यकर्ता किसानों को सेज के दुष्परिणामों से अवगत कराएंगे। बैठक के अन्तिम दिन सेज के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम-2005 को किसान विरोधी बताते हुए सरकार से इसको निरस्त करने की मांग की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि सेज कानून से देश की सम्प्रभुता पर आंच आएगी तथा करोड़ों का राजस्व भी घटेगा। -पवन कुमार अरविन्द25
टिप्पणियाँ