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क्योंकि आवरण पर शिवाजी का चित्र था!हमारी राष्ट्रीय विभूतियों और आस्था प्रतीकों के प्रति माक्र्सवादियों और मुस्लिमों की चिढ़ जग जाहिर है। मुस्लिमबहुल कासरगोड जिले में कोडलामूगर वाणी विजय स्कूल के छात्रों को वितरित की गईं 200 पुस्तकों पर बेवजह का विवाद महज इसलिए खड़ा कर दिया गया क्योंकि उसके आवरण पर शिवाजी का चित्र बना है। माकपा और कट्टरवादी मुस्लिम तत्व इस पुस्तक पर प्रतिबंध की मांग करने लगे।उधर कट्टरवादी मुस्लिम गुटों के दबाव में काम कर रही केरल की माकपा सरकार ने आनन-फानन में इन पुस्तकों के वितरण पर रोक लगा दी।हालांकि जून के पहले सप्ताह में कई स्कूलों में ये पुस्तकें मुफ्त वितरित की गई थीं। पुस्तकों का वितरण कर रहे संघ के स्वयंसेवक बी.वी. सुरेश के खिलाफ एक मुस्लिम अभिभावक सिद्धीकी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया है। मुस्लिमों को शिवाजी के चित्र पर आपत्ति है। वाणी विजय स्कूल के हिन्दू छात्र तो वह किताब पढ़ रहे हैं। मगर मुस्लिम छात्रों ने अपनी प्रतियां प्रधानाध्यापक को लौटा दी हैं। पुलिस के अनुसार आवरण पर शिवाजी के चित्र के नीचे मुगल शासकों के प्रति “आपत्तिजनक टिप्पणियां” छापी गई हैं। आवरण पर लिखा है- “देश में पांच घृणित मुस्लिम राजाओं के शासन (1630-1680) के दौरान हिन्दू संस्कृति को बहुत आघात पहुंचा। हिन्दुओं को इस संकट से उबारने के लिए शिवाजी ने स्वराज्य और स्वधर्म रक्षा का संकल्प लिया था। अगर हम भी धर्म, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए शिवाजी जैसा व्रत लें तो स्वराज्य की स्थापना का दिन दूर नहीं है।”ये पुस्तकें, पता चला है कि, बंगलौर की एक हिन्दुत्वनिष्ठ संस्था कन्नड़ सनातन ने प्रकाशित की हैं। ये कन्नड़भाषी छात्रों को भी वितरित की जा चुकी हैं।24
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