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विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल द्वारा पारित प्रस्तावों के मुख्य अंश-

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Mar 6, 2007, 12:00 am IST
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दिंनाक: 06 Mar 2007 00:00:00

प्रस्ताव क्रमांक-1सरकार श्रीराम सेतु को तोड़ने का कार्य अविलम्ब बन्द करेमन्नार की खाड़ी को पार करने हेतु जलयानों के लिए एक वैकल्पिक छोटा मार्ग बनाने तथा भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों के मध्य चलन दूरी को कम करने के लिए सरकार ने “सेतु समुद्रम् पोत नहर परियोजना” तैयार की है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए श्रीराम सेतु को तोड़े बिना भी एक छोटा व कम खर्चीला मार्ग सरकार के पास उपलब्ध है। श्रीराम सेतु को बीच में से अनावश्यक तोड़ रही है। श्रीराम सेतु को तोड़े जाने के विरुद्ध भारत के पूज्य सन्तों के बार-बार आग्रह एवं 36 लाख हिन्दुओं द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदय को सौंपने का भी कोई असर सरकार पर नहीं पड़ा है और सरकार ने अत्यन्त निर्लज्जतापूर्वक श्रीराम सेतु को तोड़ना प्रारंभ कर दिया।सारा विश्व जानता है कि भारत के धुर दक्षिण में स्थित धनुषकोटि से श्रीलंका तक समुद्र में भगवान श्रीराम की सेना द्वारा एक सेतु बनाया गया था, जिस पर चलकर भगवान श्रीराम ने भारतीय नारी के लिए आदर्श “माता सीता” की रक्षार्थ लंका पहुंच कर राक्षस रावण का वध किया था। लगभग तीस मील लम्बा व सवा मील चौड़ा “श्रीराम सेतु” तभी से करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है।भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के अनुसार इस सेतु के कारण ही हमारे दक्षिणी तटों पर सबसे बड़ा रेडियोधर्मी तत्व “थोरियम” प्रचुर मात्रा में आज भी विद्यमान है। थोरियम का इतना विशाल भण्डार विश्व में कहीं नहीं है। थोरियम के इस भण्डार से देश की आगामी सौ से अधिक वर्षों तक की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है। इस सेतु के कारण ही विगत वर्षों में आई सुनामी जैसी आपदा से हमारे दक्षिण पश्चिमी तटों की रक्षा हो सकी। वैज्ञानिकों का कथन है कि श्रीराम सेतु को तोड़ने से समुद्री जल का तापमान तो बढ़ेगा ही, समुद्र में रहने वाले लाखों-करोड़ों जीव-जन्तुओं का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा।विश्व के सभी देश अपने-अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करते हैं। मिस्र के पिरामिड, लन्दन व चीन की दीवार, पानी पर ठहरा शहर वेनिस, रोम में पीसा की मीनार इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। भारत में भी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के माध्यम से हजारों खण्डहरों को संरक्षित रखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। ताजमहल की सुन्दरता के नाम पर हजारों उद्योगों को सरकार ने अदालत के माध्यम से बन्द कराया, परिणामस्वरूप आगरा का विश्व प्रसिद्ध फाउण्ड्री उद्योग चौपट हो गया। कुतुब मीनार, हुमायूं मकबरा की सुरक्षा के लिए दिल्ली में मैट्रो रेल मार्ग को परिवर्तित किया गया। ये सभी स्थल श्रीराम सेतु की आयु से हजारों वर्ष छोटे हैं।केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का यह उपवेशन केन्द्र सरकार से आग्रह करता है कि सरकार श्रीराम सेतु को तोड़ने का कार्य अविलम्ब बन्द करे तथा प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल अवशेष अधिनियम 1959 की धारा 4 (1) के अन्तर्गत श्रीराम सेतु को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल घोषित करे। अन्यथा एक प्रबल जन-आन्दोलन का सामना करने के लिए सरकार तैयार रहे। हिन्दू समाज अपनी आस्थाओं पर होने वाले इस कुठाराघात को रोककर ही दम लेगा।प्रस्ताव क्रमांक-2मंदिर वहीं बनेगा, बाबरी मस्जिद कहीं नहीं!श्रीराम जन्मभूमि के स्वामित्व निर्धारण का न्यायालयीन मामला अपने निर्णय प्रक्रिया के अन्तिम चरण में प्रवेश कर गया है। केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का यह स्पष्ट आंकलन है कि अब सरकार प्रशासन एवं राजनीतिकों के माध्यम से पूर्व की भांति साधु-सन्तों को भ्रमित एवं विचलित करने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हरसंभव मार्ग अपनाएगी। सरकार हरसंभव प्रयत्न करेगी कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर के चारों ओर की अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि में ही किसी प्रकार एक मस्जिद का निर्माण भी हो, यह हिन्दू समाज को कदापि स्वीकार नहीं होगा। अत: मार्गदर्शक मण्डल समस्त सन्त शक्ति का आवाह्न करता है कि वे आगामी कालखण्ड में अत्यन्त जागरूक रहें और किसी भी राजनीतिक एवं प्रचार-तंत्र के षड्यंत्र में न फंसे। साथ ही साथ हिन्दू समाज का भी आवाह्न करता है कि वह समाचार पत्रों में छपने वाले मनगढ़त समाचारों के कारण भ्रमित न हो। मार्गदर्शक मण्डल अपने इस संकल्प पर दृढ़ता से कायम है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर उसी स्थान पर बनेगा जहां आज श्रीरामलला विराजमान हैं और अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के भीतर किसी मस्जिद का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा।प्रस्ताव क्रमांक-3भ्रूण हत्या महापापमादा शिशु से भेदभाव और पुत्र प्राप्ति की लालसा के चलते पिछले लगभग 40 वर्षों से लिंग अनुपात में अन्तर बहुत बढ़ा है। पंजाब सहित पूरे भारतवर्ष में लड़कियों एवं महिलाओं का लगातार घट रहा लिंग अनुपात हम सबके लिए गंभीर विषय है। 2001 की जनगणना के अनुसार पंजाब, हरियाणा और दिल्ली आदि राज्यों में लिंग अनुपात बहुत तेजी से कम हो रहा है और इसे शीघ्र रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि यह कमी इसी प्रकार होती रही तो आने वाले समय में हमें सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं जैसे महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार आदि का सामना करना पड़ेगा। बेटी के बचाव का मामला बहुत गंभीर है। इसके सम्बंध में समाज को दिशा देने की आवश्यकता है।केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल सन्त समाज का आवाह्न करता है कि वे अपने प्रवचनों के माध्यम से पूरे भारतीय समाज को यह समझा दें कि जो बेटी की हत्या करता है, वह हत्यारा है और हत्यारे का परलोक नहीं सुधर सकता है। साथ ही हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह ऐसा कानून बनाए जिसके अनुसार कन्या, भ्रूण हत्या करने वालों को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के अन्तर्गत दण्ड मिले।प्रस्ताव क्रमांक-4आस्था पर चोट का षडंत्रपिछले दिनों एक निजी चैनल द्वारा कुछ सन्तों को कोबरा नामक Ïस्टग आपरेशन के माध्यम से आर्थिक दुराचार में फंसाने का षडंत्र किया गया। अगले दिन इसी चैनल पर हुई चर्चा उनके नापाक इरादे को उससे और अधिक स्पष्ट कर देती है। उसमें बार-बार विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल व हिन्दू सन्तों पर असभ्य भाषा में टिप्पणियां की गर्इं। ये टिप्पणियां संदर्भ व तथ्यों से परे व मनगढ़त थीं।केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का यह स्पष्ट मत है कि इस कार्यक्रम के प्रायोजक तथा प्रसारणकर्ता चैनल का उद्देश्य हिन्दू धर्म, हिन्दू सन्तों व हिन्दू संगठनों को बदनाम करना एवं हिन्दू आस्थाओं को चोट पहुंचाना ही था। हिन्दू मानबिन्दुओं के प्रति समाज में अश्रद्धा निर्माण करने के अन्तर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के अन्तर्गत इस कार्यक्रम का ताना-बाना बुना गया था। ऐसे चैनल लोकतंत्र के प्रहरी नहीं अपितु एक षडंत्रकारी के रूप में अपराधी ही हैं।प्रस्ताव क्रमांक-5सेकुलरवादी राजनीति बंद करो”सेकुलरिज्म” एक ऐसा “एनेस्थीसिया” है जिसके द्वारा हिन्दू समाज को सुन्न करके समाज को तोड़ने का काम किया जा रहा है। सेकुलरवाद ने हमारे समाज का शौर्य नष्ट करके उसे भीरू बना दिया है। भारत में “सेकुलरिज्म” का अर्थ मुस्लिम व ईसाई समाज का तुष्टीकरण बन गया है। सेकुलर बिरादरी ने ही मतान्तरण व असहिष्णुता को बढ़ावा दिया है। इन्होंने ही भारत के मुस्लिम समाज को मध्यकालीन जिहादी मानसिकता में धकेला है जिसके परिणामस्वरूप देश में आतंकवाद फैला है। संसद पर हमला, काशी-अयोध्या में विस्फोट, कश्मीर समस्या, 31 हजार सैनिकों तथा 50 हजार मासूम नागरिकों की जिहादी आतंकवादियों द्वारा निर्मम हत्या इसी सेकुलरिज्म की सौगात है। इसी कारण 1947 में भारत का विभाजन हुआ और यह सेकुलरिज्म ही भारत को एक और विभाजन की ओर धकेल रहा है।केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का स्पष्ट अभिमत है कि भारत के कल्याण और विकास का एकमात्र मार्ग है “सेकुलर राजनीति” को हमेशा के लिए विदा करके भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना। हिन्दुत्व के मार्ग पर चलकर ही भारत का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित हो सकता है। भारत की रक्षा करने का दायित्व एक बार पुन: हिन्दू समाज के कंधों पर आ गया है। हिन्दू समाज को सुसंगठित होकर अपनी ताकत का परिचय देना होगा ताकि फिर कोई भारत माता को अपमानित करने का साहस न कर सके।43

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