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ऋषि-परम्परा के वाहक हैं कवि-डा. मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्रीगत 22 अगस्त को नई दिल्ली स्थित हिन्दी भवन में भारत की सांस्कृतिक विविधता का सौन्दर्य देखने को मिला और आंचलिक भाषाओं, बोलियों की मिठास महसूस हुई। अवसर था हिन्दी, सह भाषाओं एवं बोलियों का कवि सम्मेलन। इसका आयोजन स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं हिन्दी भवन ने किया था। सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनेाहर जोशी एवं उद्घाटनकर्ता सांसद श्री उदय प्रताप सिंह थे। अध्यक्षता की आकाशवाणी के केन्द्र निदेशक श्री श्रीवर्धन कपिल ने। प्रारंभ में दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन की महामंत्री श्रीमती इन्दिरा मोहन ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।उपस्थित कवियों एवं साहित्य प्रेमियों को सम्बोधित करते हुए डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि कविता में पूरे भारत का स्वरूप आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कवि हमारे प्राचीन ऋषियों की परम्परा के वाहक हैं। ऋषि मुनियों ने प्राचीनकाल में साहित्य के लिए जो काम किया वही काम आज कवि कर रहे हैं।सम्मेलन के अध्यक्ष श्री श्रीवर्धन कपिल ने इस अनूठे कवि सम्मेलन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम निश्चित रूप से साहित्य को पुष्पित करेंगे।सम्मेलन का शुभारम्भ वीर रस के कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुआ-मां तू हंसवाहिनी प्रदीप ज्ञानदायिनी मां,प्यारे भारत देश को तू ऐसा वरदान दे,हर घर-आंगन में खुशियों के दीप जले,विश्वगुरु भारत की खोई आन-बान दे।इसके बाद संस्कृत के विद्वान डा. रमाकान्त शुक्ल ने भारत माता की वन्दना की।सांसद एवं कवि श्री उदय प्रताप सिंह ने अमरीका की वैश्विक नीति पर इन शब्दों में प्रहार किया-पिंजरों ने किए कितने इकरार परिंदों से,उड़ने के मगर छिने अधिकार परिंदों से,कहने को तो वह करता है प्यार परिंदों से,सच पूछो वह करता है व्यापार परिंदों से।अवधी के कवि श्री भारतेन्दु मिश्र ने गांवों में ग्राम प्रधान के ठाठ-बाठ को इन पंक्तियों में बताया-तुम प्रधान सबै विधि लायकतुम्हरे घर आवैं आफिसरतुम पर कृपा करैं विधायकतुम प्रधान…।इसके बाद ब्राज भाषा के श्री छुट्टन खां साहिल ने रात सखी सपने मे आयो नन्दलाल-सुनाकर खूब तालियां बटोरीं।इनके अलावा श्री देवशंकर नवीन (मैथिली), डा. चन्द्रदेव यादव (भोजपुरी), श्री अरुण जैमिनी (हरियाणवी), श्री सीमाब सुल्तानपुरी (उर्दू), डा. मोहन जीत (पंजाबी), डा. रेखा व्यास (राजस्थानी) आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को प्रभावित किया।इस अवसर पर दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष श्री महेश चंद शर्मा, हिन्दी भवन के मंत्री डा. गोविन्द व्यास सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित थे। सम्मेलन का संचालन डा. लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने किया। -प्रतिनिधि22
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