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कूका बलिदानी भूमि पर सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन का आह्वानधर्मरक्षा का युद्ध पुन: जीतेंगत 5 अगस्त को लुधियाना (पंजाब) के निकट श्री भैणी साहिब में एक ऐतिहासिक, प्रेरक और मार्गदर्शक समारोह सम्पन्न हुआ। अवसर था कूका आन्दोलन की 150वीं वर्षगांठ का। 150 वर्ष पूर्व 5 अगस्त, 1871 को कूका आन्दोलन में शामिल संत गुरमुख सिंह, संत मंगल सिंह और संत मस्तान सिंह को अंग्रेज सरकार ने लुधियाना जेल से बाहर लाकर फांसी पर लटका दिया था। इन तीन कूका वीरों ने रायकोट में वध के लिए ले जाए जा रहे गोवंश को कसाइयों से छुड़ाया था। इस दौरान हुए संघर्ष में वे कसाई मारे गए, जिसके बाद इन कूकाओं ने गोरक्षा आन्दोलन को तीव्र किया। बाद में अंग्रेजों ने इन्हें गिरफ्तार किया और फांसी की सजा दी। उनकी स्मृति में गत 5 अगस्त को भैणी साहिब में एक श्रद्धांजलि समारोह नामधारी सिखों के प्रमुख पूज्य सद्गुरु जगजीत सिंह जी महाराज के सान्निध्य में संपन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन। अध्यक्षता की पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल ने।उल्लेखनीय है कि खालसे की पुनस्स्थापना के साथ ही प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला सद्गुरु रामसिंह जी 13 अप्रैल, 1857 को भैणी साहिब में ही रखी थी। उनके द्वारा प्रारंभ किया गया आंदोलन “कूका आंदोलन” के नाम से विख्यात हुआ। कूका आन्दोलन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने कहा, “कूका आन्दोलन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना आज से 150 वर्ष पूर्व था। कूकाओं ने देश, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। सद्गुरु रामसिंह जी ने सर्वप्रथम अंग्रेजों के बहिष्कार की घोषणा कर देश की स्वतंत्रता का मंत्र गुंजाया। उन्होंने समस्त देशभक्तों को गाय, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया। सद्गुरु रामसिंह जी के नेतृत्व में कूका वीरों ने जिस प्रकार आन्दोलन चलाया उसका सदैव स्मरण किया जाएगा।”श्री सुदर्शन ने देश में घटते गोवंश, प्रतिदिन बढ़ते कत्लखानों और सम्पूर्ण देश में गोहत्या निषेध न लागू होने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि कूका आन्दोलन के समान हम सभी को गोरक्षा के लिए आगे आना होगा। उस काल में सद्गुरु रामसिंह जी के नेतृत्व में 22 सूबों में अंग्रेजों के समानांतर सत्ता स्थापित कर कूकाओं ने ऐसी व्यवस्था की थी कि कोई भी उस क्षेत्र में गोवध करने की हिम्मत नहीं कर सकता था। हम सब सद्गुरु रामसिंह जी के जीवन और कूका आन्दोलन से प्रेरणा लें तो वर्तमान में चल रहा धर्म रक्षा का युद्ध हम निश्चित रूप से जीतेंगे।धर्म, संस्कृति और समाज के प्रबोधन में लगे कूका समाज के वर्तमान प्रमुख सद्गुरु जगजीत सिंह जी महाराज के प्रति आभार प्रकट करते हुए श्री सुदर्शन ने कहा कि उनका स्नेह और सान्निध्य सबको मिल रहा है। हम उनके मार्गदर्शन में ध्येय पथ पर आगे बढ़ते जाएं।पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल ने शहीद कूकाओं के प्रति श्रद्धा निवेदित करते हुए कहा कि देश और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने वालों के कारण जो गौरव पंजाब और सिख पंथ को प्राप्त है, उसकी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिल सकती। देश की आजादी के लिए कूका आन्दोलन ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। बलिदानी कूका हमारी प्रेरणा के स्रोत हैं। आज जब देश स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ मना रहा है तब हम सबको उनके बलिदान से प्रेरणा लेकर स्वयं को देश की सेवा के लिए प्रस्तुत करना चाहिए।श्री बादल ने कहा कि कूका आन्दोलन के प्रणेता सद्गुरु रामसिंह जी व अन्य कूका शहीदों का केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश में स्मरण किया जाना चाहिए। साथ ही शहीद भगत सिंह व शहीद उधम सिंह के बलिदान दिवस पर देश भर में समारोह मनाए जाए चाहिए। इससे देश के नौजवानों को प्रेरणा मिलेगी। नामधारी सिखों के वर्तमान प्रमुख के प्रति श्रद्धा निवेदित करते हुए श्री बादल ने कहा कि पंजाब में कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा नशाबंदी, खेल तथा संगीत को प्रोत्साहित करने में सद्गुरु जगजीत सिंह जी महाराज का बहुत बड़ा योगदान है।लोकसभा के उपाध्यक्ष सरदार चरणजीत सिंह अटवाल ने इस अवसर पर कहा कि सद्गुरु रामसिंह जी ने भैणी साहिब में स्वतंत्रता की जो ज्वाला प्रज्ज्वलित की थी उसने सम्पूर्ण देश के धर्मवीरों को क्रांति के लिए प्रेरित किया। सच पूछा जाए तो सद्गुरु रामसिंह जी ही अंग्रेजों के प्रति असहयोग और स्वदेशी विचार के प्रणेता थे। पर आज जो हमें इतिहास पढ़ाया जा रहा है वह पूर्वाग्रह से ग्रसित है। इस इतिहास को फिर से लिखा जाना चाहिए और उसमें सद्गुरु रामसिंह जी जैसे संतों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि देश और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने वालों के जीवन से लोगों को प्रेरणा मिल सके।समारोह में संत सुरेन्द्र सिंह नामधारी, सद्गुरु रामसिंह चिंतन अदारा के प्रमुख श्री हरपाल सिंह सेवक, विश्व नामधारी संगत के प्रधान संत जगतार सिंह संधू, सिख हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष संत अवतार सिंह जी महाराज, कूका स्मृति न्यास के न्यासी संत सुरेन्द्र सिंह जी, राष्ट्रीय सिख संगत के संरक्षक सरदार चिरंजीव सिंह जी तथा संगठन मंत्री श्री अविनाश जायसवाल, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अविनाश राय खन्ना, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सरदार अरविन्द सिंह हंसपाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्री रामेश्वर प्रमुख रूप से उपस्थित थे। सद्गुरु जगजीत सिंह जी के सर्वाधिकारी हजूरी सेवक संत रछपाल सिंह जी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। स्वतंत्र पाल सिंह11
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