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-विजय गोयल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व सांसद, दिल्ली
दिल्ली में तीन दिन तक जो कुछ भी हुआ वह उन लोगों का बहुत स्वाभाविक रोष था, जिनके पेट पर लात मारी जा रही है। लेकिन यह सब न तो सत्तारूढ़ सरकार को दिखाई दे रहा है और न ही न्यायालय को। सरकार ने न्यायालय में ठीक प्रकार से व्यापरियों की वकालत नहीं की। अब केन्द्र और दिल्ली सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए न्यायालय के निर्देश की दुहाई देकर व्यापारियों के दु:ख दर्द पर मक्कारी के आंसू बहा रही हैं। ये जो निर्माण हुए वह पिछले 50 वर्ष के अनियोजित विकास का नतीजा हैं। बढ़ती जनसंख्या और तीव्र गति से होते विकास में न सरकार ने कहीं दुकानों के लिए स्थान निर्धारित किया, न नर्सिंग होम के लिए और न स्कूलों या अन्य आवश्यक सुविधाओं के लिए जगह छोड़ी। ऐसे में जनता ने अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए जो निर्माण स्वयं किए उन्हें अब अवैध कहा जा रहा है। नए अवैध निर्माण न हों इसके लिए जरूरी है कि नगर निगम के जिन भ्रष्ट अधिकारियों के समय ये निर्माण हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाए और जो सेवानिवृत्त हो गए हैं उनकी पेंशन रोक दी जाए। ऐसा न करके केवल व्यापारियों पर “बुलडोजर” चलाएंगे तो वे सड़क पर उतरेंगे ही और हम उनका समर्थन करेंगे। (वार्ताधारित) 28
गहरे पानी पैठ
केरल में अल-बदर
पिछले दिनों कर्नाटक पुलिस ने अल-बदर गुट से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान से संचालित यह गुट दक्षिण भारत में अपना जाल फैला रहा है। पकड़े गए आतंकवादियों की पहचान फाहद और हुसैन के रूप में की गई है जो क्रमश: कराची और मंशेर के निवासी बताए गए हैं। उधर केरल पुलिस ने मोहम्मद फाहद के पिता की पहली पत्नी और परिवार के घर पर छापा मारा। फाहद का पिता अब्दुल्ला कोया 1971 में पाकिस्तान चला गया था लेकिन उसकी पहली पत्नी और बच्चे अब भी केरल में रह रहे हैं। फाहद कोया की दूसरी पत्नी से जन्मा है। करीब 20 पुलिस अधिकारियों ने कोया की पहली पत्नी मारीयम्मा के घर पर आधी रात छापा मारा और वहां से उन्हें कुछ संदिग्ध पत्र और एक सी.डी. प्राप्त हुई। काप्पड़ सागर तट के पास स्थित मारीयम्मा के घर में उसका पुत्र मोहम्मद भी अपने परिवार के साथ रहता है। अगले दिन भी पुलिस ने उस घर की तलाशी ली। खबरों के अनुसार मारीयम्मा ने पुलिस को बताया है कि कोया और फाहद चार माह पहले उसके घर आए थे। पुलिस फाहद के मित्रों पर भी खास नजर रख रही है। विशेषज्ञों की राय है कि कोझीकोड में अल-बदर के और भी सूत्र मिल सकते हैं।
कैप्टन का सेकुलर “आशीर्वाद”
पंजाब में कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम तुष्टीकरण का ऐसा रोग लगा है कि छूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसके लिए किसी भी कानून का उल्लंघन करना पड़े, उसे गुरेज नहीं है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब मुस्लिम लड़कियों को भी वंचित वर्ग की लड़कियों की शादी के दौरान मिलने वाली सुविधा का लाभ देने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि राज्य में अकाली दल (बादल) व भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वंचित वर्ग (दलित वर्ग) की लड़कियों की शादी के लिए 15 हजार रुपए देने प्रारम्भ किए थे। अभी ईद के दौरान मालेरकोटला में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुस्लिम लड़कियों को भी यह सुविधा देने की घोषणा की। भारतीय जनता पार्टी के विधि प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक-सतपाल जैन व प्रांतीय अध्यक्ष एडवोकेट अशोक भारती का कहना है कि मुख्यमंत्री की उक्त घोषणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के खिलाफ है। मजहब के आधार पर किसी को विशेष सुविधा, रियायत, प्राथमिकता नहीं दी जा सकती। कोई अगर मतांतरण कर लेता है तो उसे दलित वर्ग की सुविधा नहीं दी जा सकती और ऐसा करना संविधान के पूरी तरह खिलाफ है। दूसरी ओर स्थानीय जनरल समाज पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश कुमार गोयल बताते हैं कि सरकार ने अभी स्पष्ट नहीं किया है कि यह सुविधा मुसलमानों को किस आधार पर दी जाएगी, क्योंकि इस्लाम में जाति व्यवस्था नहीं है। अगर सरकार आर्थिक स्थिति को आधार बनाती है तो इस सुविधा से गरीब हिन्दू समाज के सामान्य वर्ग को क्यों वंचित रखा जा रहा है? इसमें शक नहीं है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ दल हर प्रकार के हथकंडे अपना रहा है और इसके लिए संविधान की भावना से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा। फिलहाल राज्य सरकार के इस फैसले ने नए विवाद को जन्म दे दिया है और पूरे राज्य में इस पर बहस छिड़ी है।
शबाना बोलीं तो मचा बवाल
भारत के कठमुल्ला महिलाओं को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस बार बुर्के पर शुरू हुई बहस को लेकर महिलाओं पर सरेआम कीचड़ उछाला जा रहा है। हाल ही में जब फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री जैक स्ट्रा द्वारा बुर्के के संबंध में दिए गए बयान का समर्थन किया तो भारत के कठमुल्ला भड़क उठे। हालात यहां तक पहुंच गए कि कठमुल्लाओं ने अभिनेत्री शबाना आजमी के बारे में बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। हैरत की बात यह भी है कि इस्लाम के नैतिक मूल्यों की दुहाई देने वाले ये कठमुल्ला बात-बात पर स्वयं नैतिकता की तमाम हदें पार कर जाते हैं। शबाना आजमी ने बुर्का विवाद के संबंध में यही कहा था कि कुरान में कहीं भी बुर्के का जिक्र नहीं है। हज के समय भी महिलाओं का चेहरा खुला रहता है। दरअसल मामला आयशा आजमी नाम की एक मुस्लिम शिक्षिका के निलंबन से शुरू हुआ, जिसकी अपील को पिछले दिनों ब्रिटेन के एक ट्राइब्यूनल ने खारिज कर दिया था। इस मामले को ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री जैक स्ट्रा ने यह कहकर हवा दे दी थी कि मुस्लिम महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का नहीं पहनना चाहिए। शबाना ने समर्थन कर दिया और इधर भारत के मुल्ला-मौलवियों की भवें तन गईं।
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