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तप्पचबूतरा में मन्दिर-प्रतिमा तोड़ने के बादतनावहैदराबाद के तप्पचबूतरा क्षेत्र में गत 26 फरवरी को उस समय तनाव फैल गया जब सुप्रसिद्ध दरबार मैसम्मा मंदिर को क्षति पहुंचाए जाने का प्रयत्न हुआ। इसके विरोध में मंदिर के सामने हिन्दू समुदाय एकजुट हुआ, जिसे देखते हुए वहां न सिर्फ अतिरिक्त पुलिस बल बुला लिया गया बल्कि त्वरित कार्रवाई बल को भी सतर्क कर दिया गया। तप्पचबूतरा एवं कुलसूमपुरा थाना क्षेत्र में पुलिस बल की 30 टुकड़ियां भी तैनात कर दी गर्इं।घटनाक्रम के अनुसार 26 फरवरी की रात्रि में किसी ने तप्पचबूतरा स्थित सुप्रसिद्ध मैसम्मा मंदिर के सामने स्थित दो सिहों की प्रतिमाओं को भंग कर दिया। इसका पता प्रात: 5.30 बजे मंदिर के खुलने पर ही चला। मंदिर प्रबंधक अमर सिंह ने तुरंत पुलिस को खबर दी। जैसे-जैसे लोगों तक यह बात पहुंची उनमें व्यापक रोष फैल गया। क्षुब्ध श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर के सामने जमा होने लगी। इन लोगों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन के खिलाफ नारे लगाए। मंदिर पर तैनात पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को हटाने के लिए दो-दो बार लाठीचार्ज भी किया। घटनास्थल पर पहुंचे भाजपा नेता बड़म बालरेड्डी और तेलुगुदेशम के विधायक जी. सायन्ना ने लोगों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा कि जिस किसी ने भी यह काम किया है, उसको निश्चित रूप से दंडित किया जाना चाहिए। पर आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की “सेकुलर” सरकार है इसीलिए तप्पचबूतरा के पुलिस निरीक्षक वेणुगोपाल राव ने इस संवेदनशील मामले पर लीपापोती करने की नीयत से कहा है कि यह काम किसी आवारा शराबी का भी हो सकता है। कारवां क्षेत्र से विधायक अफसर खां ने मंदिर पहुंचकर घटना का जायजा लिया और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।राजस्थानफिर उड़ाया देवी-देवताओं, महापुरुषों का मजाकप्रतिनिधिराजस्थान के कोटा जिले में पिछले कुछ समय से मतांतरण की गतिविधियां लगातार सुर्खियों में छाई रही हैं और इसके लिए एक ही नाम-इम्मानुएल मिशन सोसायटी- सुनाई देता रहा है। एक बार फिर इसी संस्था ने एक पुस्तक के माध्यम से हिन्दू समाज की भावनाओं पर आघात किया है। “इम्मानुएल लिट्रेचर” से प्रकाशित एम.जी.मैथ्यू की एक पुस्तक “हकीकत” में हिन्दू देवी-देवताओं, देश के प्रमुख संतों और विचारकों को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं। इससे अनेक संगठनों में आक्रोश फूट पड़ा है। इन संगठनों ने इस कृत्य की भत्र्सना करते हुए लेखक, प्रकाशक और वितरक को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की है।426 पृष्ठों वाली “हकीकत” नामक इस पुस्तक में मैथ्यू ने भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, सत्य सार्इं बाबा, स्वामी विवेकानन्द सहित कई अन्य महापुरुषों पर गंभीर लांछन लगाए हैं और उनका अपमान किया है। लेखक ने लिखा है कि “भारत में यौनाचार और समलैंगिक संबंध आम बात रही है। दौपद्री और पांडवों की जीवन शैली और विष्णु का मोहिनी रूप धारण कर सहवास करना भारत में उच्छृंखल जीवन जीने को स्वीकृति देती है।” एक जगह भगवान श्रीराम को अपमानित करते हुए उन्हें “लक्ष्मण के माध्यम से सीता की हत्या का प्रयास करने वाला” बताया गया है।”हकीकत” में लेखक की भाषा काफी असभ्य है। पुस्तक में लिखा है कि शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सभा में विवेकानन्द ने भारतीय आध्यात्मिकता के बारे में पांडित्यपूर्ण शैली में बड़ी-बड़ी डींगें मारीं। लेखक के अनुसार स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भारत के लोगों के बीच धार्मिक शत्रुता का बीजारोपण और उसका पोषण किया। लेखक ने संन्यासियों को अपराधियों की संज्ञा दी है। गंगा नदी को विश्व की सबसे अधिक गंदी और प्रदूषित नदी बताते हुए लिखा गया है कि “जो लोग गंगा को पवित्र बताते है, उनकी बुद्धि ठीक नहीं है।””हकीकत” से उद्देलित विभिन्न संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है। मतान्तरण विरोधी मंच और भीमगंज मंडी थानाधिकारी की ओर से साम्प्रदायिक वैमनस्यता फैलाने के आरोप में पुस्तक के लेखक एम.जी.मैथ्यू, प्रकाशक- टथ एण्ड लाइफ पब्लिकेशन (केरल) तथा इम्मानुएल मिशन सोसायटी के पदाधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (क) तथा 295 (क) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में विभिन्न संगठनों द्वारा प्रदर्शन, रैली एवं ज्ञापन पत्र सौंपे जा रहे हैं।असमकार्बी-आंग्लांग गए प्रतिनिधिमंडल का निष्कर्षकार्बी-दिमासा संघर्ष के पीछे ईसाई मिशनरी-जयंतपिछले दिनों असम में कार्बी-दिमासा जनजातियों के बीच छिड़े संघर्ष और नरसंहार के पीछे ईसाईपरस्त नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैण्ड (इसाक-मुइवा) (एन.एस.सी.एन.-आई.-एम.) का हाथ है। वृहत्तर नागालैण्ड निर्माण योजना के तहत ही यह संगठन वर्षों से भाईचारे के साथ रह रही दो जनजातियों को आपस में लड़ रहा है। यह बात मामले की जांच के लिए बने छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कार्बी आंग्लांग के दंगा प्रभावित क्षेत्रों एवं शिविरों के दौरे के बाद कही।जनजाति धर्म संस्कृति सुरक्षा मंच के तत्वावधान में सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी.के. सिंहल की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल गठित किया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने 1 से 4 फरवरी, 2006 के बीच कार्बी-आग्लांग के सभी दंगा प्रभावित क्षेत्रों एवं राहत शिविरों का दौरा किया तथा प्रभावित लोगों, सरकारी अधिकारियों, कार्बी समन्वय समिति, कार्बी सभा व दिमासा सभा के अधिकारियों से बातचीत की। 10 फरवरी को इस प्रतिनिधिमंडल ने अपनी अंतरिम रपट असम के राज्यपाल (सेवानिवृत्त) लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह को सौंप दी। विस्तृत रपट दिल्ली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के सामने प्रस्तुत की जाएगी।11 फरवरी को गुवाहाटी में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य श्री अशोक कुमार साहू ने बताया कि 26 सितम्बर 2005 से प्रारंभ हुए इन दंगों और नरसंहार के पीछे एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) का हाथ है। इस संगठन ने “यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी” के असंतुष्ट घटकों “कार्बी लांगरी नार्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट” और “दीमा हालोंग दाओगा” के नाम से इस नरसंहार को अंजाम दिया तथा इसे जातीय संघर्ष का रूप देने की कोशिश की। श्री साहू ने कहा कि नरसंहार तथा आगजनी की घटनाएं पूर्वी कार्बी आंग्लांग के लंबाजान उपमण्डल में ही केन्द्रित हैं। असम का यह क्षेत्र नागालैण्ड से सटा हुआ है और एन.एस.सी.एन.(आई.एम.) के वृहत्तर नागालैण्ड के मानचित्र में शामिल है। हत्या के तौर-तरीके से भी उसी गुट के हाथ होने की पुष्टि होती है। ईसाई मिशनरी का समर्थक एन.एस.सी.एन.(आई.-एम.) हमेशा से ही नागालैण्ड में “ईसा की भूमि” का का नारा देता आ रहा है। इस कारण कार्बी-दिमासा दंगे के पीछे चर्च के लिप्त होने की भी प्रबल आशंका है।32
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