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शत्रुओं को पहचानें, परास्त करें
-प्रयाग से हरिमंगल
प्रयाग धर्मसंसद का आह्वान-निरंतर बहे गंगा की निर्मल धार
प्रयाग में संगम तट पर माघ मेले के दौरान गत 1 व 2 फरवरी को विश्व हिन्दू परिषद ने 11वीं धर्म संसद का विशेष अधिवेशन आयोजित किया। उद्घाटन सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने धर्म संसद में पारित होने वाले प्रस्तावों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस देश में 85 करोड़ हिन्दुओं की आस्थाओं और परम्पराओं पर प्रहार करते हुए हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने का कुचक्र किया जा रहा है। डा. तोगड़िया ने गंगा की अविरल धारा को अवरुद्ध किए जाने पर आक्रोशित स्वर में कहा कि पतितपावनी गंगा का जल टिहरी बांध में रोक कर उसकी अविरल धारा को समाप्त किया गया है। तोगड़िया ने कहा कि पंथ निरपेक्ष संविधान वाले देश भारत में केवल मठ-मंदिरों का अधिग्रहण होता है, किसी मस्जिद या चर्च का अधिग्रहण सरकार क्यों नहीं करती है? श्री राम मंदिर निर्माण पर बोलते हुए डा. तोगड़िया ने कहा कि जन्म स्थल पर भव्य मन्दिर था, यह पुरातत्ववेत्ताओं ने भी सिद्ध कर दिया है। इसलिए अयोध्या की शास्त्रीय सीमा में राम मन्दिर निर्माण होकर रहेगा। डा. तोगड़िया ने कहा कि आगामी वर्ष प्रतिपदा से मातृनवमी तक एक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा, इस अवधि में सभी हिन्दू धर्मावलम्बी अपनी-अपनी पद्धतियों से अयोध्या में अनुष्ठान करेंगे। डा. तोगड़िया ने संतों से अनुरोध किया कि वह ऐसी व्यवस्था करें जिससे भारतीय राजनीति का हिन्दूकरण हो जाए, तभी हिन्दू धर्म सुरक्षित रह सकेगा।
धर्म संसद में पहला प्रस्ताव “गंगारक्षा” पर लाया गया जिसे सच्चा बाबा आश्रम के पूज्य संत गोपाल स्वामी ने प्रस्तुत किया। प्रस्ताव में मांग की गई है कि गंगा की प्रदूषण मुक्त धारा निरन्तर बहती रहे, इसकी व्यवस्था सरकार करे। “मठ मन्दिरों की स्वायत्तता और सुरक्षा” का प्रस्ताव स्वामी अखिलेश्वरानंद द्वारा लाया गया, जिसमें मठ-मन्दिरों के अधिग्रहण की कुटिल सरकारी नीति के बारे में हिन्दू समाज को सावधान करते हुए सुझाव दिया गया है कि वे भजन मण्डली बना कर अपने आस-पास के मठ-मन्दिरों में पूजा-अर्चना और समाज जागरण के विविध प्रकल्पों की व्यवस्था करें।
“श्री राम जन्मभूमि” का प्रस्ताव डा. राम विलास वेदान्ती द्वारा लाया गया। प्रस्ताव में संतों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह वर्ष 2007 के प्रयाग अर्धकुम्भ से पूर्व सर्वसम्मति से श्री राम जन्मभूमि परिसर को श्री राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे ताकि मन्दिर निर्माण हो सके।
धर्म संसद में अपने ओजस्वी उद्बोधन में साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि शक्ति ही शान्ति का आधार है। यदि शक्ति नहीं है तो हम अपने घर में ही शरणार्थी बनने को मजबूर होंगे। साध्वी ने कहा कि अयोध्या में श्री राम मन्दिर निर्माण के लिए हुए बलिदान को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
2 फरवरी को धर्म संसद के समापन सत्र में रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने उपस्थित संतों और धर्माचार्यों को आश्वस्त किया कि संघ धर्म संसद में पारित प्रस्तावों को क्रियान्वित कराने के लिए पूरा प्रयास करेगा। सरसंघचालक ने कहा कि भारत अनादि काल से हिन्दू राष्ट्र रहा है। जब विश्व में इस्लाम व ईसाई मतावलम्बी नहीं थे तब से लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में जानते हैं। उत्थान और पतन प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। अतीत में तमाम राष्ट्रों का पतन हुआ और वह फिर नहीं उभर सके, लेकिन भारत की सनातन संस्कृति अजर-अमर है। इस देश में कभी न समाप्त होने वाली आध्यात्मिक ऊर्जा है। यह ऊर्जा ही इसे लगातार उत्थान की ओर ले जाती है। श्री सुदर्शन ने कहा कि जब अपने समाज में कमजोरी आती है तभी प्रहार होते हैं। अब समय आ गया है कि हिन्दूसमाज अपना विराट रूप दिखाये। उन्होंने कहा कि संघ 1925 से हिन्दुओं को संगठित कर रहा है, परिणामत: आज लोग गर्व से कह रहे हैं कि “हम हिन्दू हैं।” सरसंघचालक ने कहा कि हिन्दू समाज को हनुमान बनना पड़ेगा, जागृत होना होगा, अपने आप को पहचानना होगा क्योंकि जागृत हिन्दू समाज ने ही सदैव आसुरी शक्तियों को समाप्त किया है।
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने हिन्दू समाज के पांच शत्रुओं को चिन्हित करते हुए कहा कि इस्लामी जिहाद, अमरीका, यूरोप से सहायता प्राप्त चर्च एवं वामपंथी, ये तीनों इस देश में फैल रहे आतंकवाद की जड़ हैं। जबकि चौथा शत्रु “सेकुलरवादी हिन्दू” हैं जो इन तीनों की मदद कर रहे हैं। पांचवां शत्रु “सेकुलर मीडिया” है जिसे कश्मीर सहित देश के किसी कोने में हिन्दुओं पर होने वाले हमले नहीं दिखायी पड़ते हैं। श्री सिंहल ने कहा कि यदि हिन्दू चाहते हैं कि धर्म की रक्षा हो तो वे अपने शरीर का मोह छोड़ दें, गांव-गांव जाएं और लोगों को बतायें कि हमारे शत्रु कौन हैं। धर्म संसद में गोवंश रक्षा, मतान्तरण पर रोक, जनसंख्या असंतुलन, श्रीराम जन्मभूमि पर आतंकी हमले के विरुद्ध एवं हिन्दू वोट बैंक से सम्बंधित प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, जिसका समर्थन उपस्थित संतों एवं जनसमुदाय ने किया। धर्म संसद में बिहार, उ.प्र. और म.प्र. से आए लगभग 1500 साधु संतों और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
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