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-दिग्विजय सिंह, असम चुनाव प्रभारी, कांग्रेस
दिग्विजय सिंह असम के चुनाव प्रभारी बनने के बाद कुछ हल्के-हल्के से दिखे। थोड़ा और बेहद नपा-तुला बोलने के लिए प्रसिद्ध, तीखे तेवर मगर हल्के से दिखाने वाले दिग्विजय सिंह असम की समस्याओं की तुलना मैक्सिको के लोगों के अमरीका में “अवैध प्रवास” से ही नहीं, बल्कि भारतीयों के यूरोप और अमरीका में “अवैध प्रवास” तक से करते हैं, जो आज तक किसी कट्टर बंगलादेशी समर्थक को भी नहीं सूझा होगा। पर वे घुसपैठ रोकने के लिए अमरीकी या यूरोपीय कानूनों की बात नहीं करते। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिए जाने के बावजूद वे आई.एम.डी.टी. कानून को भारत के स्थायी निवासियों की रक्षा का ऐसा कानून बताते हैं जिसे सारे भारत में लागू किया जाना चाहिए था। उनसे गुवाहाटी कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में हुई बातचीत के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं।
क्या हाल हैं यहां कांग्रेस के?
असम में कांग्रेस शुरू से ही जमीन से जुड़ी रही है। आजादी की लड़ाई से आज तक हुए सभी विकास कार्य कांग्रेस ने ही किए हैं। जब असम के नवयुवकों ने आन्दोलन किया और बाद में अगप सरकार आयी तो उसके राज में कानून व्यवस्था की स्थिति चौपट हो गई। व्यापारी और उद्योगपति वर्ग असम छोड़कर जा रहा था। कांग्रेस की सरकार आने के बाद ही स्थिति बदली। पहले 365 में से 270 दिन ओवर ड्राफ्ट पर काम चलाया जाता था, आज दो साल में एक पैसा भी ओवर ड्राफ्ट नहीं लिया गया। उल्फा सहित सभी विद्रोही गुटों से बातचीत की जा रही है।
आप क्या मानते हैं, असम में बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठिए है या नहीं हैं?
देखिए, असम में सिर्फ बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठिए नहीं हैं, बंगलादेशी हिन्दू घुसपैठिए भी हैं।
हिन्दू भी घुसपैठिए हैं?
हैं, यहां हैं। भाजपा की हमेशा दोहरी नीति रही है कि घुसपैठिया अगर मुसलमान है तो वह घुसपैठिया है और अगर हिन्दू है तो वह शरणार्थी है। भारतीय जनता पार्टी का यही मानस प्रदर्शित करता है कि वह घुसपैठियों में भी हिन्दू मुसलमान देखती है। बंगलादेश और हमारे देश में सीमा है और आजीविका के लिए लोग इधर से उधर आते जाते हैं। अवैध आना-जाना क्या मैक्सिको के लोगों का अमरीका में नहीं होता? क्या हमारे देश से अवैध प्रवासी यूरोप और अमरीका में नहीं जाते? बात वही है कि पेट की लड़ाई के लिए जहां उन्हें रोजगार मिलेगा वहां लोग जाएंगे। जहां तक बंगलादेश और भारत का मसला है, आडवाणी जी जब भी असम आते हैं अवैध प्रवासियों के बारे में बयान देकर चले जाते हैं। एक बयान भी उनका दिखा दीजिए जिसमें उन्होंने असम के विकास के बारे में कुछ कहा हो। छह साल वे गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री थे। उन्होंने असम सरकार के साथ एक बार भी अवैध प्रवासियों के बारे में कोई बैठक नहीं की। इस समस्या के हल के लिए वे एक बार भी सीमा पर जांच के लिए नहीं गए। गृहमंत्री के नाते उन्होंने असम सरकार के साथ अवैध प्रवासी रोकने के लिए एक मीटिंग तक नहीं की। फिर वैंकेया नायडू जी आते हैं और कहते हैं, यहां बंगलादेशी मुख्यमंत्री बन जाएगा। गोगोई के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस समस्या पर आसू (असम छात्र संगठन) के साथ दो बार बैठक हो चुकी है। 12 साल के बाद पहली बार। घुसपैठ का हल है स्थायी पहचान पत्र, स्थायी निवासी कार्ड, नागरिकता कार्ड और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अद्यतन बनाना।
लेकिन पूरे देश में एक किस्म का विदेशी पहचान कानून है और केवल असम में आई.एम.डी.टी. कानून है। क्या यह सिर्फ घुसपैठिए मुसलमानों को बचाने के लिए?
देखिए, आई.एम.डी.टी. कानून सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, हिन्दुओं पर भी लागू था। भाजपा और अगप द्वारा गलत प्रचार किया गया कि यह मुस्लिम मुद्दा है। यह देश के मूल और स्थायी नागरिकों से जुड़ा मुद्दा है, जिन्हें निचले स्तर पर पुलिस द्वारा परेशान किया जाता था क्योंकि हर किसी को वे बंगलादेशी कहकर पकड़ ले जाते थे। आई.एम.डी.टी. देश के मूल निवासियों की रक्षा के लिए था, न कि घुसपैठियों को बचाने के लिए। लोग लाखों (घुसपैठियों) की बात करते हैं- पर वे लाखों (घुसपैठिए) हैं कहां? असल बात यह है कि आजादी से पहले भी हिन्दू कट्टरपंथी और मुस्लिम कट्टरपंथी कांग्रेस के खिलाफ मिल गए थे और आजादी के बाद भी। देखिए, मैं आपको अखबार में छपी यह फोटो दिखाता हूं- यह वही शख्स हैं (इमाम बुखारी की फोटो दिखाते हुए) बुखारी साहब, जिन्होंने लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट देने के लिए फतवा दिया था, अब ये कांग्रेस के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।
पर सताए जाने के कारण बंगलादेश से यहां आने वाले हिन्दू शरणार्थी और मुस्लिम घुसपैठिए में आप फर्क क्यों नहीं मानते?
अगर आप मानते हैं तो भाजपा ने यह कानून क्यों नहीं बनाया? आज असम में “संदिग्ध मतदाता” (डाउटफुल वोटर) घोषित होने वालों में हिन्दुओं की संख्या सबसे ज्यादा है। 70 लाख संदिग्ध घोषित मतदाताओं में से 2.70 लाख हिन्दू थे। तब भाजपा और अगप ने क्या किया? दिल्ली में बैठकर असम को हिन्दू-मुसलमान में बांट दिया जाता है। यहां जितनी मुसीबतें हिन्दू की हैं उतनी ही मुसीबतें मुसलमान की भी हैं।
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