|
फैसले को मानने से इंकार किया”तलाक” के बाद साथ-साथ रहने के इच्छुक एक मुस्लिम दम्पत्ति को सुरक्षा उपलब्ध कराने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में उतर आई है उड़ीसा की जमीयत-उल-उलेमा। जमीयत ने गत 23 अप्रैल को घोषणा की कि अगर यह दम्पत्ति सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को मानता है तो उसे मुस्लिम समाज से बाहर कर दिया जाएगा। जमीयत की उड़ीसा इकाई के आमीरी शरीयत (अध्यक्ष) मौलाना साजिद्दीन कासमी ने कटक में कहा कि सर्वोच्च न्यायालीय को मजहबी मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। न्यायालय को दूसरे मुकदमों तक सीमित रहना चाहिए और मजहब के बारे में ऐसा कोई फैसला लेने से पहले मजहबी संस्थाओं और मौलवियों के सलाह लेनी चाहिए थी। साजिद्दीन ने कहा, “अगर मौलवियों के हुक्म को न मानकर ये दम्पत्ति न्यायालय का फैसला मानता है तो हम उन्हें मुस्लिम समाज से बाहर कर देंगे।” जमीयत अल-उलेमा राज्य में सुन्नी मुस्लिमों की सबसे बड़ी मजहबी संस्था है। इस संस्था का कहना है कि वह इस मामले में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और राज्य मुख्यमंत्री को पत्र लिखेगी। संस्था की ओर से कहा गया है कि “हम सर्वोच्च न्यायालय का अपमान नहीं कर रहे, हम इसका कानून मानते रहेंगे, पर हम न्यायालय से अपील करेंगे कि वह इस फैसले पर फिर से गौर करे। यह फैसला मुस्लिम समाज में अविश्वास पैदा कर सकता है।” भुवनेश्वर से पंचानन अग्रवाल40
टिप्पणियाँ