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मीडिया पर बरसे विजयनकेरल माकपा के राज्य सचिव पिनरई विजयन आजकल मीडिया पर उबल रहे हैं। न सिर्फ उबल रहे हैं, बल्कि जमकर बरस भी रहे हैं। दरअसल राज्य माकपा में उनके और वी. एस. अच्युतानन्दन के बीच चल रहे घमासान को मीडिया ने सामने लाने का साहस किया। बस यही बात उन्हें सहन नहीं हुई और उन्होंने मीडिया को पार्टी की छवि धूमिल न करने की चेतावनी दे डाली।ये वही पिनरई विजयन हैं जो पिछले दिनों अपनी बहुचर्चित केरल यात्रा के दौरान मीडिया वालों की दरियादिली से आवभगत में जुटे थे। उन्हें तमाम सुविधाएं देकर संतुष्ट करने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। लेकिन उसी मीडिया ने जब उनसे आगामी केरल विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदवार सूची से वी.एस. अच्युतानन्दन का नाम हटा देने की वजह पूछी, तो वे आग बबूला हो गए। वे पत्रकारों पर बरसते हुए बोले कि क्या आपको इस पार्टी (माकपा) के बारे कुछ भी नहीं पता है। इसे अन्य पार्टियों की तरह न लें। उन्होंने गरजते हुए कहा कि आप लोग हमें जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। आप अपना एजेंडा हम पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं।”विजयन ने कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी की गलत छवि तथा अफवाहें फैलाने के लिए मीडिया की निन्दा की। उनके अनुसार, पोलित ब्यूरो ने पहले ही अपने सभी नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने का निर्णय ले लिया था। पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि श्री अच्युतानन्दन को चुनाव लड़ने के लिए टिकट क्यों नहीं दिया गया तो वे स्पष्टीकरण देने के बजाय इतना ही बोले कि यह पार्टी का निर्णय है। जब उनसे बार-बार पूछा गया कि पार्टी इस मुद्दे को रहस्य बनाए रखना क्यों चाहती है? तो वे फिर से अपना आपा खोते नजर आए। वे बोले, “इस मुद्दे पर कोई बात छिपी नहीं है। यह पार्टी का निर्णय है, बस! आप इसे रहस्य क्यों बता रहे हैं?”कांग्रेस की फिर वही रीतपश्चिम बंगाल में हाल ही में कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों ने मिलकर यह घोषणा की कि वह सभी 294 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेंगे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस ने ऐसी व्यवस्था करके वामपंथियों की राह आसान कर दी है। हालांकि यह कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव आयोग की अति सक्रियता के चलते विधानसभा चुनावों में वामपंथियों को अब दिन-रात एक करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा जांच के दौरान 13 लाख फर्जी मतदाताओं की पुष्टि हुई थी, जिनको बाद में सूची से हटा दिया गया था। पिछले चुनावों में मिली व्यापक शिकायतों एवं फर्जी मतदान की खबरों को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार कड़े प्रयास किए हैं। सुरक्षा के लिए बाहरी राज्यों से पुलिस मंगवाने तथा मतदाता पहचान पत्र के साथ चुनाव कराने की तैयारी से निष्पक्ष मतदान की उम्मीद जगी है। उधर आम जनता वामपंथियों और कांग्रेसी नेताओं की मिलीभगत को समझ चुकी है।अफगानिस्तान की नाराजगीजानकारी मिली है कि अफगानिस्तान ने पाकिस्तानी मिसाइलों और दूसरे हथियारों के नाम अफगानी नेताओं पर रखे जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उसने गजनवी, गोरी और अब्दाली मिसाइलों की चर्चा करते हुए सवाल उठाया है कि इन मिसाइलों के नाम अयूब खान, याहिया खान या कारगिल के योजनाकार मुशर्रफ के नामों पर क्यों नहीं हैं? उसका कहना है कि चीनी नामों का इस्तेमाल भी अफगानी नामों से अच्छा होता क्योंकि पाकिस्तान चीनी मिसाइलों का बड़ा खरीददार है। पाकिस्तान के एक अंग्रेजी पत्र की रपट के अनुसार अफगानी नेताओं के नामों पर पाकिस्तानी मिसाइलों और हथियारों के नाम रखने पर अफगानिस्तान के सूचना मंत्री ने पाकिस्तान सरकार को पत्र भेजकर शिकायत की है। पत्र में विशेष रूप से गोरी मिसाइल पर आपत्ति की गई है जिसका नाम अफगानिस्तान के 12 वीं शताब्दी के शासक के नाम पर रखा गया है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “विनाशकारी हथियारों पर अफगानी शासकों, जिन्हें वे अपना आदर्श मानते हैं, के नाम का इस्तेमाल न किया जाए क्योंकि उन लोगों ने निर्माण का कार्य किया था, विनाश का नहीं।” अहमद शाह अब्दाली का नाम इस्तेमाल करने पर कहा गया है कि “वह 18 वीं शताब्दी के नायक थे और उन्होंने अफगानिस्तान में पश्तून कबाइली शासन की स्थापना की थी।” पत्र में आगे कहा गया है कि “हां, अगर पाकिस्तान अपने स्मारकों, सम्मेलन कक्षों और ऐतिहासिक स्थानों को अफगानी नेताओं के नाम से जोड़ता है तो अफगानिस्तान इसका स्वागत करेगा।”कोलकाता में राष्ट्रीय सुरक्षा पर संगोष्ठी में रक्षा विशेषज्ञों ने कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा की गंभीर अनदेखी कर रही हैसंप्रग सरकारवासुदेव पाल”भारत सरकार की आज ऐसी कोई विदेश नीति नहीं है जो हमारी आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ हमारे पड़ोसी देशों से सटे राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा चुनौतियों का ठीक प्रकार सामना कर सके।” यह कहना था भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के पूर्व महानिदेशक विभूति भूषण नंदी का। वे गत 19 मार्च को कोलकाता स्थित जी.डी. बिरला सभागार में “आतंकवाद एवं आंतरिक सुरक्षा” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन बड़ाबाजार कुमार सभा पुस्तकालय द्वारा किया गया था।श्री नंदी ने कहा कि बंगलादेश से सटे भारत के 15-20 किलोमीटर क्षेत्र पर बंगलादेशी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है। वहां बड़े पैमाने पर जनसांख्यिक परिवर्तन होने के कारण हमारी आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। असम की 56 विधानसभा सीटों पर हार-जीत ये घुसपैठिए ही तय करते हैं। सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि आज आतंकवाद या आंंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे पास न तो कोई कानून है और न ही नीति। वर्तमान सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।यही नहीं, सरकार मुस्लिम वोट बैंक पक्का करने के लिए आई.एम.डी.टी. कानून को फिर लाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक समुदाय के लोग असंगठित हैं।पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक के.पी.एस.गिल ने कहा कि डरपोक प्रवृत्ति कहीं फिर गुलाम न बना दें। उन्होंने कहा कि पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले पुलिस अधिकारी आज जेल में बंद हैं। हमारे देश का कानून ऐसा है कि यहां सब कुछ संभव है। श्री गिल ने सेकुलर मीडिया की भी जमकर आलोचना की। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल शंकर राय चौधरी ने हिन्दू समाज का आह्वान किया कि वे बहुसंख्यक होते हुए भी कमजोर क्यों बने हुए हैं? उन्होंने देश में आतंकवादी घटनाओं के पीछे बंगलादेशी तत्वों को जिम्मेदार बताया। संगोष्ठी का संचालन श्री विमल लाठ ने किया और श्री जुगल किशोर जैथलिया ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अनेक रक्षा विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी व पत्रकार उपस्थित थे।यह “त्याग” नहीं, दबाव से उपजा कदम-डा. सुब्राह्मण्यम स्वामीअध्यक्ष, जनता पार्टी”सोनिया गांधी ने कोई त्याग नहीं किया है। लोकसभा से उनका इस्तीफा राष्ट्रपति की सलाह पर चुनाव आयोग की संभावित जांच कार्रवाई के दबाव में हुआ है।” यह कहना है जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुब्राह्मण्यम स्वामी का। 23 मार्च को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में सोनिया पर सिलसिलेवार भ्रष्टाचार एवं गलत बयानी का आरोप लगाते हुए डा. सुब्राह्मण्यम स्वामी ने यह भी कहा है कि सोनिया गांधी ने पिछले आम चुनावों में नामांकन के समय भरे गए शपथ पत्र में स्वयं को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षित बताया, जबकि वह झूठ था। डा. स्वामी के अनुसार, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार सोनिया या एंटानियो माइनो नाम की किसी महिला ने कैम्ब्रिाज में कभी पढ़ाई नहीं की।28
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