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वाराणसी में नई पार्टी के गठन की घोषणा
प्रतिनिधि
गत 21 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में उमा भारती ने न केवल आगामी 30 अप्रैल को वाराणसी में एक नए राजनीतिक दल की स्थापना करने की घोषणा की, वरन् मंच पर मदनलाल खुराना, स्वामी चिन्मयानंद, संघप्रिय गौतम, तपन सिकदर, डा. सोनेलाल पटेल, अजय चौटाला, अभय चौटाला, संजय पासवान सरीखे नेताओं को साथ खड़ा कर अपनी ताकत का भी अहसास कराया। रैली में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, झारखंड राज्यों से उमा समर्थकों सहित उनसे सहानुभूति रखने वाले लोगों ने शिरकत की। उमा भारती की प्रस्तावित नई पार्टी का भविष्य क्या होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन उन्होंने जिस तरह से अपने संकल्प को एक नए राजनीतिक अभियान का स्वरूप दिया है, वह अवश्य राजनीतिक विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। अपने भाषण में उमा भारती ने उन परिस्थितियों का वर्णन किया जिनके कारण उन्हें नए प्रयोग की ओर कदम बढ़ाने पड़े।
उमा भारती ने कहा कि उनकी प्रस्तावित पार्टी पांथिक सद्भाव के साथ-साथ हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवाद पर जोर देगी। समान नागरिक संहिता, राम मंदिर निर्माण, स्वदेशी अर्थव्यवस्था उनका केन्द्रीय एजेंडा होगा। उमा भारती ने स्वाभिमान, सुरक्षा, स्वदेशी, शुचिता और सुराज के रूप में पंचनिष्ठाओं को प्रस्तावित पार्टी का आदर्श बताते हुए कहा कि जो रास्ता पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बताया है, वह उसी का अनुसरण करेंगी। रैली में बंगाल के नेता तपन सिकदर ने आरोप लगाया कि बंगलादेशी घुसपैठियों की समस्या पर किसी सरकार ने पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई। स्वामी चिन्मयानन्द ने उमा भारती को कंधे से कंधा मिलाकर सभी प्रकार की सहायता का वचन दिया। पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने दिल्ली में तोड़-फोड़ की कार्रवाई की निंदा की और कहा कि उनका लक्ष्य दिल्ली को उजड़ने से बचाना है। उल्लेखनीय है कि श्री मदनलाल खुराना द्वारा उमा भारती की रैली में भाग लेने की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। निलंबित होने वाले अन्य नेताओं में संघप्रिय गौतम और स्वामी चिन्मयानंद जैसे वरिष्ठ नेता भी सम्मिलित हैं। भारतीय जनता पार्टी ने ऐसे अन्य नेताओं पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
संस्कार भारती की नाट प्रस्तुति- “इतिहास”
एडविना की इच्छा पूरी करने के लिए नेहरू ने स्वीकारा
भारत-विभाजन!
-विनीता गुप्ता
सन् 1857 से 1947, ब्रिटिश दासता से भारत की आजादी के इन 90 वर्षों में क्या कुछ नहीं घटा। भारत को आजादी तो मिली लेकिन देश दो टुकड़ों में बंट गया। इस त्रासदी के लिए कौन-सी शक्तियां जिम्मेदार थीं, इसी की परतें उघाड़ता है श्री दया प्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक “इतिहास”। नाटककार ने बड़ी बेबाकी से नेहरू और लेडी एडविना माउन्टबेटन के गहरे रिश्तों और गांधी जी की कमजोरियों को उकेरा है, जो कहीं न कहीं भारत-विभाजन का कारण बनीं।
गत दिनों फिक्की सभागार में “इतिहास” के इस सच का साक्षात्कार करने के लिए दर्शकों की खासी भीड़ उमड़ी। पूजनीय श्री गुरुजी के जन्मशताब्दी वर्ष, लाला हंसराज जयंती व संस्कार भारती के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में संस्कार भारती द्वारा आयोजित इस नाटक “इतिहास” में उन पहलुओं को उभारा गया जिन पर अभी तक परदा पड़ा रहा। नाटक दर्शाता है कि भारत-विभाजन का प्रस्ताव एडविना ने ही नेहरू के सामने रखा था, जिसे नेहरू ने एडविना की इच्छा पूरी करने के लिए स्वीकार कर लिया था। यह ब्रिटिश सरकार की चाल थी। उसे नेहरू और एडविना के घनिष्ठ संबंधों की जानकारी थी, इसीलिए लार्ड माउंटबेटन और एडविना को भारत भेजा गया। श्री दया प्रकाश सिन्हा कहते हैं, “नाटक कल्पना पर आधारित न होकर तथ्यों पर आधारित है।”
नाटक देखने आर्इं पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा, “आम लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी तक इतिहास का सच इस माध्यम से पहुंचाया जाना जरूरी है।”
फातिमा के शब्दों र्में-
झलकी सुनामी की पीड़ा
प्रतिनिधि
गत 10 मार्च को साहित्य अकादमी सभागार में एक कार्यक्रम में इंडिया पीस आर्गनाइजेशन की अध्यक्ष और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फातिमा शहनाज ने दिसम्बर, 2004 में सुनामी से हुए भयंकर विनाश पर आधारित अपने कविता-संग्रह “इन द आमसर्् आफ वर्ड्स” तथा “गोलकोण्डा” उन्पन्यास के अंशों का पाठ किया। उन्होंने अपनी प्रमुख कविता “लास्ट वेव” एवं “सिटी आफ द सी” के माध्यम से सुनामी के बाद दूर-दूर तक बिखरी विनाश लीला का मार्मिक वर्णन किया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति श्रेष्ठ है और उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती।
साध्वी ऋतम्भरा को सुरक्षा देने की मांग
– प्रतिनिधि
गत 9 मार्च की रात्रि को वृन्दावन में साध्वी ऋतम्भरा द्वारा संचालित वात्सल्य ग्राम में दीवार फांदकर कुछ असामाजिक तत्व हथियार सहित घुस गए। उन्होंने वहां तैनात चौकीदार को डराया-धमकाया और पूछा, “साध्वी ऋतम्भरा कहां हैं, हम तो उनसे निपटने आए हैं?” पर चौकीदार उनकी धमकियों के सामने डरा नहीं और शोर मचाने लगा। इसके बाद वे लोग भाग गए। इस घटना को वात्सल्य ग्राम संचालन समिति ने गंभीरता से लिया है। समिति के महामंत्री एवं दिल्ली विधानसभा के सदस्य श्री जय भगवान अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर साध्वी ऋतम्भरा एवं वात्सल्य ग्राम को सुरक्षा देने की मांग की है। इसके बाद वात्सल्य ग्राम में प्रांतीय सशस्त्र सुरक्षा बल (पी.ए.सी.) के 16 जवान तैनात कर दिए गए हैं किन्तु साध्वी ऋतम्भरा को अभी तक व्यक्तिगत सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई है।
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