|
कश्मीर हाथ से निकल रहा है!! लद्दाख की अनदेखी करके कश्मीर मसले का हल संभव नहीं – थुप्स्तान छेवांग
“सेल्फ रूल” जम्मू-कश्मीर को हिन्दुस्थान से तोड़ने की साजिश है – प्रो. भीम सिंह संसद का प्रस्ताव अपनी जगह है, पर दोस्ती की राह में कुछ समझौते तो करने पड़ते हैं – सैफुद्दीन सोज
क्या हुआ अमरीकी दूतावास में?
कश्मीर अलग करने पर गंभीरता से काम चल रहा है – जम्मू से विशेष प्रतिनिधि
कश्मीर सौंप देने की नीति पर काम हो रहा है – चमनलाल गुप्ता
कश्मीर का सौदा – तरुण विजय
मंथन पाकिस्तानी सेना में पहला सिख! – देवेन्द्र स्वरूप
महाराजा रणजीत सिंह की वंश परम्परा की बहू नरिन्दर कौर का ऐलान धर्म के लिए जंग लड़ूंगी जो पति सिख पंथ छोड़ ईसाई बन जाए उसका साथ नहीं दूंगी – अमृतसर से राजीव कुमार
बांसवाड़ा और पंढरपुर में हिन्दू सम्मेलन सहस्रों कंठों से निकला एक स्वर “मतान्तरण नहीं होने देंगे” – प्रतिनिधि
स्वाभिमानी और सक्रिय हिन्दू बनें – डा.शरद कुंटे
स्वामी असीमानन्द को “श्री गुरुजी सम्मान” – प्रतिनिधि
इस सप्ताह का कार्टून
विचार-गंगा
टी.वी.आर. शेनाय हुर्रियत के साथ कश्मीरी पण्डित!
गहरे पानी पैठ कांग्रेस का सरदर्द
चर्चा-सत्र कश्मीर हाथ से निकल रहा है तरुण विजय
पुस्तकें मिलीं पुस्तक का नाम : चाइनाज पावर प्रोजेक्शन पुस्तक का नाम : एनिग्मैटिक तिब्बत
पुस्तक समीक्षा – 1 पुस्तक समीक्षा – 2 नया तेवर, नया अंदाज नरेश शांडिल्य द्वन्द्व का दर्द डा. शत्रुघ्न प्रसाद
“यूनाइटेड स्टेट्स आफ कश्मीर ” को अमरीका की हरी झण्डी
सिखों के ईसाईकरण के खिलाफ आवाज उठाने वाली नरिन्दर कौर का साक्षात्कार मिशनरियों के खिलाफ हिन्दू-सिख एकजुट हों
हिन्दुत्व का जामा पहन चर्च कर रहा है मतांतरण -साभार-दैनिक जागरण, अमृतसर
क्या कुरान शरीफ की कुछ आयतों की पुनव्र्याख्या आवश्यक है? – बदरे आलम खान
परछाईं का गणित – राजेन्द्र निशेश
सिलीगुड़ी में विद्या भारती का शताब्दी भवन – प्रतिनिधि
गुजरात में किसान संघ का किसान महोत्सव मूल इकाई को मजबूत बनाने की जोरदार कोशिश – विश्व संवाद केन्द्र (गुजरात)
भेदभाव मिटाएं, सामाजिक समरसता लाएं – कुप्.सी. सुदर्शन – प्रतिनिधि
सेकुलर कश्मीर का फार्मूला हमारे जवान सेवा करते रहें, और वे घुसपैठ ताकि निर्दोषों को मार सकें – गोपाल सच्चर
चर्च के रोमन लिपि अभियान का विरोध किया तो साहित्यकार पर हमला मेघालय के कट्टर ईसाइयों के भाषायी साम्राज्यवाद से दबा हाजोंग जनजातीय समाज – प्रतिनिधि
मेघालय में हाजोंग
संत रविदास चेतना यात्रा छुआछूत नहीं सहेंगे, हिन्दू हम सब एक रहेंगे – ब्राहृभिक्षु
कटासराज से दिसम्बर में लौटीं सरिता मेहरा ने बताया कटासराज में कोई काम शुरू ही नहीं हुआ मुशर्रफ द्वारा कटासराज के पुनरुद्धार की घोषणा पर अमल कब?
2
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -सं
प्रतिगामी है साम्यवाद
श्री गुरुजी
हम साम्यवाद का विचार करें तो हमें विदित होगा कि यह विचारधारा मनुष्य को आध्यात्मिक धरातल से नीचे खींचती है। इस विचारधारा में मनुष्य-जीवन का उद्देश्य खाना-पीना और मौज करना ही माना गया है। यही इसकी शिक्षा है। क्या साम्यवाद को मनुष्य की प्रगति का मार्ग कहा जाए? प्रगतिशील कहलाने वालों का यह कैसा थोथा दंभ है? सच तो यह है कि यह प्रतिगामी तत्वज्ञान है। जिसे जड़-निरीश्वर कहते हैं- ऐसा यह पतनशील मार्ग है। यह मार्ग मनुष्य को पशु बनाने की ओर प्रवृत्त करता है। वह भी आधा पशु नहीं, पूरा हिंसक पशु। इसलिए साम्यवाद हमारे लिए प्रथम कोटि का शत्रु है। आज उसी साम्यवाद का फैलाव हो रहा है। अनेक लोग उसके शिकार होते हुए दिखाई पड़ रहे हैं।
(साभार-श्रीगुरुजी समग्र, खंड 3, पृष्ठ-261-262)
3
टिप्पणियाँ