यूं मनाई भाजपा ने आपातकाल की 30वीं वर्षगांठ
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यूं मनाई भाजपा ने आपातकाल की 30वीं वर्षगांठ

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Oct 7, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 07 Oct 2005 00:00:00

वंशवाद से पुन: लोकतंत्र खतरे मेंप्रतिनिधि”वंशवादी राजनीति कभी यह स्वीकार नहीं कर सकती कि देश पर शासन करने में और लोग भी समर्थ हो सकते हैं। आपातकाल इसी मानसिकता का परिणाम था और जिस प्रकार का दमनचक्र 1975-77 के आपातकाल के समय इन्दिरा सरकार द्वारा चलाया गया, वैसा दमन तो कभी गुलामी के समय अंग्रेजों ने भी नहीं किया था। अत्याचार-उत्पीड़न की जो घटनाएं आपातकाल में हुईं शायद ही दुनिया के अन्य किसी देश में उसका दूसरा उदाहरण देखने को मिले।”श्री लालकृष्ण आडवाणीयह कहना था भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी का। आपातकाल के 30 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली स्थित मावलंकर सभागार में भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली प्रदेश द्वारा आयोजित सम्मान वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली स्थित मावलंकर सभागार में भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली में भारजीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने ये विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली प्रदेश द्वारा आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष कर जेल जाने वाले सेनानियों का सम्मान किया गया। पूर्व रक्षामंत्रीऔर राजग संयोजक श्री जार्ज फर्नांडीज इस कार्यक्रम में विशेष रूप से शामिल हुए।अपने भाषण में श्री आडवाणी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि बिना मंत्रिमंडल की संस्तुति के 25 जून, 1975 की रात 12 बजे इन्दिरा गांधी ने राष्ट्रपति से धारा 352 लागू करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराए। अगले दिन के अखबारों में यह सब छप न सके अत: अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई। देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन किसे कहां बन्द किया जा रहा है, इसकी किसी को भनक तक न लगने दी गई। और तो और 2 अक्तूबर, 1975 को देशभर में गांधी जयंती आयोजनों पर भी रोक लगा दी गई।श्री आडवाणी ने कहा कि सन् “42 के भारत छोड़ो आन्दोलन के वक्त भी अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया था। भाजपा अध्यक्ष ने आपातकाल के दिनों में पत्रकारिता की स्थिति पर टिप्पणी की कि, “सरकार तो केवल इतना चाहती थी पत्रकार थोड़ा झुककर चलें, पर उस समय अनेक पत्रकार रेंगने लगे थे।” उन्होंने कहा कि आपातकाल का जवाब इस देश की जनता ने जिस प्रकार से दिया उसको देखने के बाद अब शायद ही कोई शासक देश में आपातकाल लगाने के बारे में फिर से सोचेगा। “77 के आम चुनावों में बिहार, उ.प्र., दिल्ली, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में कांग्रेस को एक सीट तक नहीं मिली। स्वयं इन्दिरा गांधी तक चुनाव हार गईं। विश्व में शायद ही ऐसा उदाहरण दूसरा हो कि कोई प्रधानमंत्री रहते हुए चुनाव हार गया हो। श्री आडवाणी ने उपस्थित समुदाय को आगाह किया कि केन्द्र में बैठे लोगों में आपातकाल वाली मानसिकता फिर से दिखाई पड़ रही है। वस्तुत: कांग्रेस ने जिस वंशवाद को ओढ़ा हुआ है, उसने देश के अन्दर किसी अन्य को शासन कर सकने के योग्य कभी माना ही नहीं। कम्युनिस्टों का भी यही चरित्र है। हमारी लड़ाई इसी मनोवृत्ति से है। श्री आडवाणी ने आपातकाल में भारतीय जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के अनथक संघर्ष की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि इन्हीं कार्यकर्ताओं के जीवट और लोकतंत्र समर्थक भारतीय जनता ने आपातकाल को परास्त कर दिया था।श्री जार्ज फर्नांडीजसम्मान समारोह की शुरुआत में भाजपा, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष डा. हर्षवर्धन ने श्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व रक्षामंत्री श्री जार्ज फर्नांडीज को सम्मानपत्र और अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया। तदुपरांत श्री आडवाणी एवं श्री फर्नांडीज ने मंचासीन श्री रूपनारायण खन्ना, श्री जे.पी. माथुर, श्री केदारनाथ साहनी, श्री मदनलाल खुराना, श्री चरती लाल गोयल, श्री ओम प्रकाश कोहली, श्री राजकुमार भाटिया, श्री श्याम खोसला और श्री दीनानाथ मिश्र को सम्मानित किया। इन सभी ने आपातकाल के समय या तो जेल में रहकर संघर्ष किया था अथवा बाहर रहकर संघर्ष की मशाल जलाए रखी थी।सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री जार्ज फर्नांडीज ने वंशवाद पर प्रहार करते हुए कहा कि खानदानी राजनीति और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्याय हैं। जार्ज ने अपने एक सोशलिस्ट मित्र का कथन सुनाते हुए बताया कि एक बार जो तानाशाह बन गया, वह फिर अपनी तानाशाही नहीं छोड़ता है। आज पुन: आपातकाल की स्थितियां बन रहीं हैं। जो स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, वे भ्रष्टाचार दूर करने की बात कर रहे हैं। जार्ज ने चिन्ता जताई कि आज सारी मर्यादाएं ताक पर रखी जा रही हैं। सेना के अधिकारियों को जान-बूझकर सी.बी.आई. के शिकंजे में कसे जाने की खतरनाक प्रवृत्ति दिख रही है। लोकनायक जयप्रकाश ने इसी तानाशाही के विरुद्ध विभिन्न धाराओं को एक साथ खड़ा किया था। सरकार देश को जिस संकट में ले जाना चाहती है, उससे देश को बचाकर रखने के लिए और आपातकाल के दमन को याद रखते हुए एकजुट होना जरूरी है।प्रतिनिधिNEWS

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