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इन्दौर- इन्दौर से दीपक नाईकभारी होता बस्ता और “कोचिंग” संस्थानों के प्रति बढ़ते रुझान पर हमने इंदौर की दो प्रतिष्ठित शिक्षण-संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की। उनके द्वारा व्यक्त विचार इस प्रकार हैं-इन्दौर से दीपक नाईकअब व्यावसायिकता हावी-शरद निंबालकरअध्यक्ष, न्यू गोल्डन हायर सेकेण्डरी स्कूल, भवानीपुरशरद निंबालकरआधुनिक शिक्षा-नीति प्रगति की परिचायक नहीं है। संपूर्ण भारतवर्ष में एक समान शिक्षा-पद्धति लागू की जानी चाहिए। पाठक्रम में बार-बार होने वाले परिवर्तन भी शिक्षा क्षेत्र के लिए घातक हैं। शिक्षाविदों, प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों एवं सम्बंधित विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर एक ऐसी शिक्षा नीति बनाई जानी चाहिए जहां बस्ते का बोझ कम हो और गुणवत्तायुक्त व्यक्तित्व निर्माण पर अधिक जोर दिया जाये।”कोचिंग” के प्रति बढ़ा आकर्षण-राजेश सिंघईसंचालक-हैलो टूटर्स, तिलक नगरराजेश सिंघईनिजी शिक्षण (कोचिंग) संस्थानों में दिनोंदिन छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रत्येक विद्यार्थी आज के वातावरण में महत्वाकांक्षी होता जा रहा है। स्वयं को अव्वल बनाने के लिए वह “कोचिंग क्लासेस” में प्रवेश लेता है। प्रतियोगी माहौल, आधुनिक साज-सज्जा, उन्नत उपकरण और खुले परिवेश में विद्यार्थी स्वयं को आत्मविश्वास से परिपूर्ण पाता है। और यही इन संस्थाओं के प्रति आकर्षण का प्रमुख कारण है। यह जरूरी नहीं होता कि अच्छी खासी भीड़ जुटाने वाले संस्थान ही योग्यता का आधार बनते हों, परन्तु यह बात भी निर्विवाद रूप से सत्य है कि बड़ी संख्या में विद्यार्थी लगातार ऐसे ही संस्थानों से सफलता प्राप्त कर रहे हैं।NEWS
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