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डा.रवीन्द्र अग्रवालकैसे बढ़े रोजगार?इस समय देश के सामने सबसे बड़ी समस्या नए रोजगार सृजित करना है। परन्तु क्या देश रोजगार सृजन के रास्ते पर चल रहा है? पिछले कुछ वर्षों से उदारीकरण के नाम पर अपनायी जा रही आर्थिक नीतियों के परिणाम तो दूसरी ही कहानी कहते हैं। आंकड़े बताते हैं कि सार्वजनिक औद्योगिक क्षेत्र में 1977 में जहां 1.96 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त था वहीं 2002 में यह संख्या घटकर 1.88 करोड़ रह गई। इसी प्रकार निजी क्षेत्र 1998 में जहां 87.48 लाख लोगों को रोजगार दे रहा था वहीं 2002 में यह संख्या घटकर 84.32 लाख रह गई। अर्थात् विकास के तमाम तथाकथित दावों के बावजूद रोजगार कम हुआ।एक ओर तो रोजगार कम हो रहे हैं, दूसरी ओर सरकार रोजगार गारन्टी कार्यक्रम के नाम पर बेरोजगारों की आंखों में धूल झोकना चाह रही है। इस नए कार्यक्रम के अनुसार परिवार में एक व्यक्ति को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाना है। क्या छलावा है, औद्योगिक क्षेत्र में ऐसी नीतियां अपनाई जा रही हैं जिससे रोजगार कम हो रहा है और लोगों का ध्यान इस ओर न जाए इसलिए 100 दिन के रोजगार की गारन्टी का सपना दिखाया जा रहा है। सरकार की इन नीतियों से गांव का आम आदमी सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कारण यह है कि गांव के परम्परागत उद्योग-धंधे बड़े उद्योगों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कारण धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं। खेती तो पहले से ही घाटे का सौदा रही है और अब ग्रामीण उद्योग व परम्परागत रोजगार ठप होने से रोजगार के अवसर सीमित होते जा रहे हैं। इस कारण शहरों की ओर असीमित पलायन बढ़ रहा है।गांवों में उत्पन्न हुए इस संकट पर राष्ट्रपति डा. ए.पी.जी. अब्दुल कलाम ने गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन में चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था “हमें ग्रामीण उद्यम को मूल्य संवर्धित कार्यों में कुशल बनाकर कृषि क्षेत्र से हटे 10 प्रतिशत लोगों को पुन: स्थापित करना चाहिए ताकि शहरी क्षेत्रों की ओर उनका आना कम हो जाए।”गांवों से शहरों की ओर पलायन उन नीतियों का दुष्परिणाम है जो शहर केन्द्रित रही हैं। गांवों से पलायन रोकने का एकमात्र उपाय ग्राम केन्द्रित आर्थिक नीतियों को अननाना है। यदि गावों से पलायन नहीं रुका तो बेरोजगारी की समस्या विकराल होकर महानगरों की समस्या बनकर सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जाएगी। यदि शहरों को समस्याओं का महानगर बनाने से बचाना है तो गांवों पर तत्काल ध्यान देना होगा।NEWS
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