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दिल्ली और पटना में
भाजपा की विशाल रैलियां
महंगाई की दुहाई
-प्रतिनिधि
विरोध प्रदर्शन में श्री अटल बिहारी वाजपेयी
प्रदर्शनकारियों के साथ गिरफ्तारी देने जाते हुए (दाएं से) श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री जसवन्त सिंह, डा. मुरली मनोहर जोशी व श्री वेंकैया नायडू (ऊपर) महंगाई के विरुद्ध रोष बड़ों से लेकर बच्चों तक में
छाया: पाञ्चन्जय / हेमराज गुप्ता
उस दिन यूं लग रहा था मानो दिल्ली की सभी सड़कें ऐतिहासिक रामलीला मैदान की ओर ही जा रही थीं। भाजपा कार्यकर्ताओं के जत्थे कमल छपे झण्डे उठाए, बैनरों पर महंगाई विरोधी नारे लिखकर मैदान की ओर बढ़ रहे थे, रास्ते में कुछ आम लोग भी जत्थे में जुड़ जाते थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि रास्ते में जुड़ने वाले लोग भाजपा समर्थक थे या नहीं, पर वे महंगाई के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करने वाले ही थे।रामलीला मैदान का दृश्य तो अद्भुत था। चार संकरे द्वारों पर धातु खोजी यंत्रों में से गुजरते हुए हजारों-हजार लोग सुबह से ही भीतर पहुंच चुके थे। सिलसिला अटूट था। स्थानीय विधायकों, प्रदेश अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं के समूह नारे लगाते, झण्डे फहराते रामलीला मैदान पहुंचने को उतावले थे। 12 बजे कार्यक्रम शुरू होते-होते तक भीतर स्थान भर चुका था, तो सड़कों पर ही थम गए, वहीं लगे लाउडस्पीकरों से नेताओं के भाषण सुनने लगे। देश के लगभग हर प्रदेश से भाजपा कार्यकर्ता दिल्ली पहुंचे थे।
रोष तो था और बहुत तीखा था। मई से लेकर नवम्बर, 2004 के बीच महंगाई बढ़ी है और बढ़ती ही जा रही है। आम आदमी क्या करे? रोटी खाए या नहीं, आटा महंगा हो गया, पकाए तो कैसे-गैस महंगी हो गई। गाड़ी चलाएं कि नहीं, पेट्रोल-डीजल महंगे हो गए और होते ही जा रहे हैं। घर कैसे बनाएं ईंट, पत्थर सीमेंट और लोहा महंगा हो गया। तिस पर “सर्विस टैक्स” दो। खाओ तो “सर्विस टैक्स”, घूमो तो “सर्विस टैक्स” और रहो या पानी पिओ तो “सर्विस टैक्स”।
भाजपा का यह महंगाई विरोधी प्रदर्शन दरअसल आम आदमी के गुस्से को अभिव्यक्त करने का माध्यम बन गया था। कमला मार्किट (नई दिल्ली) से गए आनंद मेहता हालांकि भाजपा समर्थक नहीं थे, पर रैली में इसलिए आए थे- “क्योंकि महंगाई केवल भाजपा के लोगों के लिए नहीं, सबके लिए है। उसकी मार से हालत खराब है। इसलिए मैं यहां आया हूं।” शादीपुर (दिल्ली) की रेखा बंसल मिलीं, कहने लगीं, “हम वोट तो भाजपा को नहीं देते पर महंगाई के खिलाफ आवाज उठ रही है तो हम भी उसमें शामिल हैं।” इसीलिए यह विरोध प्रदर्शन मात्र भाजपा की राजनीतिक आयोजन न होकर एक जनाक्रोश प्रदर्शन बन गया था।
विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा “देश के कोने-कोने से आज यहां इकट्ठा हुए लोग महंगाई के विरुद्ध देश की व्यथा, वेदना, गुस्से को प्रकट कर रहे हैं। राजग के शासन काल में 6 वर्ष के दौरान देश पर अनेक आर्थिक विपत्तियां आईं लेकिन उनके कारण जनता को परेशान नहीं होने दिया, अर्थतंत्र में आवश्यक परिवर्तन करके उसे अच्छी तरह संभाला था। देश की उत्पादन दर 8 प्रतिशत तक पहुंचाई।”पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण की शुरुआत में दिल्ली सरकार द्वारा पानी के मूल्य बढ़ाने की भत्र्सना की। उन्होंने कहा कि पानी की दर बढ़ाना इसलिए निंदनीय है कि यह पानी की कमी के कारण नहीं बल्कि दुव्र्यवस्था के कारण हुआ है। उन्होंने कहा, वर्तमान केन्द्र सरकार के “अब तक के शासन में न तो राष्ट्रीय आमदनी बढ़ी है, न मुद्रास्फीति घटी है। इस सरकार की कोई अर्थनीति ही नहीं है, बाजार में अस्थिरता है। हमारी सरकार ने छह साल के शासन में लोगों की जरूरतें पूरी की थीं, सूखे के दो साल में भी हमने जरूरी चीजों की कीमतें नहीं बढ़ने दीं।”
विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि कांग्रेस आम आदमी के जीवन से खिलवाड़ करने वाली अपनी नीतियों को बदले। श्री वैंकैया नायडू ने देश में पिछले 7 माह में 1800 किसानों की आत्महत्याओं के लिए केन्द्र सरकार की आर्थिक व कृषि नीतियों को दोषी ठहराया। खुली जीप में सवार श्री आडवाणी, डा. जोशी, श्री जसवंत सिंह व श्री वेंकैया नायडू प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए अम्बेडकर स्टेडियम पहुंचे। बड़ी संख्या में उपस्थित पुलिस बल को किसी तरह का विशेष प्रतिरोध नहीं करना पड़ा। प्रदर्शनकारी पंक्तिबद्ध होकर जेल पहुंचे। पुलिस अधिकारियों ने माइक से घोषणा की कि “आप सभी का स्वागत है। माननीय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में आपको हिरासत में ले रहे हैं।” “जय श्री राम” के उद्घोष से सारा माहौल गूंज रहा था। लोग तरह-तरह के बैनर आदि विशेष रूप से सजाकर मस्ती में जेल जा रहे थे। कुछ देर बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी हुईं और सभी प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया गया।
पटना के गांधी मैदान में बिहार बचाओ महारैली के मंच पर हैं (बाएं से) श्री कैलाशपति मिश्र, श्री शाहनवाज हुसैन, श्री गोपाल नारायण सिंह, श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री जार्ज फर्नांडीस, श्री शत्रुघ्न सिन्हा, श्री वेंकैया नायडू व श्री अरुण जेटली
पटना में राजग ने की
बिहार बचाओ महारैली
बिहार के हालात
आपातकाल से भी बदतर
-लालकृष्ण आडवाणी, अध्यक्ष, भाजपा
अस्थायी जेल (अम्बेडकर स्टेडियम) में प्रवेश करते प्रदर्शनकारी। जहां तक नजर जाती झण्डे और बैनर ही दिखते थे।
पटना में भाजपा की महारैली एक अभूतपूर्व घटना कही जाएगी। जिस गांधी मैदान से जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्ट कुशासन के विरुद्ध अभियान प्रारंभ किया था वहीं भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लालू-राबड़ी की भ्रष्ट तानाशाही और आतंकी सरकार उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। बिहार के कोने-कोने से आए लोगों को सम्बोधित करते हुए श्री आडवाणी ने कहा कि यहां के हालात आपात काल से भी खराब हैं। चारों ओर आतंक है, बेगुनाह जनता दिनदहाड़े मारी जा रही है। बिजली, पानी, सड़क की बुनियादी सुविधाएं भी जनता को उपलब्ध नहीं हैं। रैली को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सुशील कुमार मोदी, पूर्व राज्यपाल कैलाशपति मिश्र, प्रदेश राजग संयोजक नंद किशोर, पूर्व केन्द्रीय मंत्रिगण शत्रुघ्न सिन्हा, शाहनवाज हुसैन, डा. सी.पी. ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी आदि ने भी सम्बोधित किया।श्री आडवाणी ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने देश पर संकट देखा, भ्रष्टाचार को तेजी से पनपते देखा तब देश के सभी राजनीतिक दलों को “सम्पूर्ण क्रांति” के लिए जनसंघ सहित एक मंच पर आने को कहा ताकि कांग्रेस की भ्रष्ट एवं तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंका जा सके। आज बिहार की हालत उससे कहीं ज्यादा भयावह है। उस समय देश की जनता केवल दो वर्षों तक कांग्रेस की दमनकारी शासन नीति से कराह रही थी। आज बिहार की जनता पिछले पन्द्रह वर्ष से लालू-राबड़ी कुशासन से त्रस्त है। बिहार की जनता जागरूक मतदाता है। जब वह अपनी ताकत दिखाएगी तो शंकर के तीसरे नेत्र के खुलने जैसा होगा।
श्री आडवाणी ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस सोनिया गांधी ने लालू-राबड़ी सरकार के बारे में कहा था कि इस आतंकी सरकार को सरकार में बने रहने का कोई नैतिक आधार नहीं है, वही सोनिया गांधी आज लालू-राबड़ी सरकार को सत्ता में वापस लाना चाहती है। परन्तु, बिहार की जनता समझदार है। जिस प्रकार आपातकाल के समय बिहार की सभी 54 लोकसभा सीटें कांग्रेस हार गई थी, उसी प्रकार राजद सरकार सभी सीटें हारेंगी।
राजग ने राष्ट्रीय संयोजक जार्ज फर्नांडीज ने कहा कि आपसी मतभेद भुलाकर बिहार की जनता को आतंकी सरकार से निजात दिलाने की आवश्यकता है। 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया जिसमें हजारों भारतीय सैनिकों ने बलिदान दिया तथा घायल हुए। उस समय राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि जिस देश की सरकार अपने सीमाओं एवं जनता की रक्षा नहीं कर सकती वैसी निकम्मी सरकार को एक पल भी रहने का अधिकार नहीं है। ठीक उसी प्रकार बिहार में लालू-राबड़ी सरकार को एक पल भी रहने का अधिकार नहीं है, जो बिहार की जनता को मौत के मुंह में धकेल रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। राज्य का विकास ठप पड़ गया है। पहले केन्द्र में राजग की सरकार थी तो दोष हम पर मढ़ते थे। परन्तु आज केन्द्र में स्वयं उनकी सरकार है फिर भी विकास ठप है। अपहरण, लूट, आतंक का बाजार गर्म है। केन्द्रीय मंत्रियों में घमासान मचा है। आज अहंकार को चूर करने का समय आ गया है।
फरवरी माह में विधान सभा चुनाव होने हैं। इस निमित्त पटना में रैलियों की बाढ़ सी आ गई है। 27 नवम्बर को लोक जनशक्ति पार्टी तथा 30 नवम्बर को भाकपा माले की रैली भी सम्पन्न हुई। 2 दिसम्बर को हुई भाजपा की “बिहार बचाओ महारैली” ने नि:संदेह भाजपा कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव के लिए नई ऊर्जा फूंकी है। खचाखच लोगों से भरे गांधी मैदान में भाजपा कार्यकर्ताओं ने अद्भुत अनुशासन का प्रदर्शन किया। मंच संचालन भारतीय जनता पार्टी पटना जिलाध्यक्ष विश्वनाथ भगत ने किया।
संजीव कुमार (वि.सं.के., पटना)
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