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डा.रवीन्द्र अग्रवालपरिवर्तन की बयारछत्तीसगढ़ के वनवासीबहुल जिले जगदलपुर का गांव तेलगुड़ा। इस गांव के पुरुष कभी रात-दिन शराब के नशे में धुत रहते थे, परन्तु अब गांव के लोग शराब के नाम से ही तौबा करने लगे हैं। इस बदलाव के पीछे है गांव की महिलाओं का संकल्प। घर के पुरुष यदि शराब के आदी हों तो इससे सबसे अधिक कोई प्रभावित होता है तो वह है महिलाएं। इस कारण तेलगुड़ा की महिलाएं भी आर्थिक और पारिवारिक कठिनाइयों से घिरी रहती थीं। पुरुषों से शराबखोरी की लत कैसे छुड़ाई जाए, यह गांव की प्रत्येक महिला की समस्या थी। इस समस्या का समाधान किसी अकेली महिला के वश का नहीं था। इसलिए गांव की महिलाओं ने एकजुट होकर गांव से शराब की बुराई को दूर करने का संकल्प किया। इस संकल्प के परिणामस्वरूप सरस्वती महिला जागरण समिति का गठन किया गया। समिति ने निर्णय किया कि गांव में अब न तो शराब बनने दी जाएगी और न ही किसी को शराब पीने दी जाएगी और जो ऐसा करेगा उस पर जुर्माना किया जाएगा, उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा। समिति ने निर्णय किया कि महिलाएं रात में गश्त करेंगी और दोषियों को पकड़कर दण्डित किया जाएगा। निर्णय के अनुसार जागरण समिति की महिलाएं रात्रि गश्त कर शराब पीने और शराब बनाने वालों पर नजर रखने लगीं। उनके साथ गांव का पटेल भी रहता था। प्रारंभ में शराब बनाने वालों की हांडी तोड़कर उन्हें घर में बंद कर दिया जाता और जुर्माना वसूल किया जाता। दोबारा गलती करने पर अवैध शराब बनाने के आरोप में उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाता। जागरण समिति की इस कार्रवाई का गांव में असर दिखना शुरू हुआ तो कुछ लोगों ने विरोध भी किया। समिति की सदस्यों को अपने घर और रिश्तेदारों से ताने सुनने को मिले। कई बार कहासुनी भी हुई, परन्तु परिवार और बच्चों की खातिर महिलाएं अपने निर्णय पर अडिग रहीं। महिलाओं के संकल्प का परिणाम है कि 600 की आबादी वाले इस गांव के लोग अब शराब की बुराइयों को समझने लगे हैं। समिति की अध्यक्षा मोतीन बाई का कहना है कि इस अभियान के तहत अभी तक दो हजार रुपए जुर्माना इकट्ठा हुआ है। यह राशि जरूरतमंद गांव वालों को ब्याज पर उधार दी जाती है।37
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