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सरकार मुलायम हो तो अपराध बढ़ेंगे ही-लखनऊ प्रतिनिधिअमरमणि त्रिपाठी-कोई कार्रवाई नहीं होगीमुख्तार अंसारी-गोलीकाण्ड से बरीराजा भैया-पोटा से छूटे, मंत्री बनेउत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार के शासनकाल में समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दर्ज हुए सभी प्रकार के आपराधिक और गैर-आपराधिक मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है। इस संबंध में शासन की ओर से सभी पुलिस अधीक्षकों को समाजवादी पार्टी के ऐसे कार्यकर्ताओं की की सूची भेजने के निर्देश दिए गए हैं, जो मुकदमा झेल रहे हैं। भाजपा सहित सम्पूर्ण विपक्ष ने राज्य में बढ़ रहे अपराधों के बीच सरकार के उक्त निर्णय को गैर-संवैधानिक बताते हुए विधानसभा और उसके बाहर तीखा विरोध शुरू कर दिया है।उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हत्या, लूट, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से लेकर सामान्य शांति-भंग समेत तीन सौ से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। सरकार का तर्क है कि ये सभी मुकदमे मायावती ने राजनीतिक विद्वेषवश सपा के कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए जानबूझकर दर्ज कराए थे। किन्तु सरकार का यह तर्क किसी भी राजनीतिक दल के गले नहीं उतर रहा है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ह्मदयनारायण दीक्षित तो यहां तक कहते हैं, “सपा ने ऐसा करके अपराध का खुला लाइसेंस जारी कर दिया है। संभव है कि भविष्य में सपा के समान चरित्र वाले दल अपने चुनाव घोषणापत्र में यह वादा करें कि वे सरकार में आने के बाद पिछले शासन में अपने कार्यकर्ताओं पर दर्ज सभी प्रकार के मुकदमे वापस लेंगे।”ग्डऊअपराध जनवरी सेजून, 2003 जनवरी से जून, 2004 हत्या 1556 3104 बलात्कार 227 741 डकैती 61 128 लूट 443 780 राज्य में बढ़ रहे अपराधों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा और विधान परिषद् को सप्ताह भर तक ठप्प कर रखा। इधर राज्य के पुलिस महानिदेशक बी.के.बी. नायर ने पिछले छह महीने में अपराध बढ़ने की बात खुलेआम स्वीकार की है। पुलिस प्रमुखों को भेजे एक पत्र में उन्होंने साफ लिखा है कि पिछले वर्ष के प्रथम छह महीनों की तुलना में इस वर्ष के प्रथम छह महीनों में गंभीर अपराधों में वृद्धि हुई है। पुलिस महानिदेशक कार्यालय के सूत्रों के अनुसार जनवरी से जून, 2003 तक हत्या की 1556, बलात्कार की 227, डकैती की 61 और लूट की 443 वारदातें हुईं, जबकि जनवरी से जून, 2004 तक मुलायम सिंह शासन में हत्या की 3104, बलात्कार की 471, डकैती की 128 और लूट की 780 घटनाएं हुईं। यानी मुलायम राज में जघन्य अपराधों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कल्याण सिंह, राष्ट्रीय महासचिव राजनाथ सिंह और प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी का कहना है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के हालात पैदा हो गए हैं। केन्द्र को राज्यपाल के माध्यम से कानून-व्यवस्था पर रपट मांगनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी और बसपा के अध्यक्ष बरखूराम वर्मा ने भी राष्ट्रपति शासन की मांग की है। पिछले दिनों अमेठी के दौरे पर आए कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार जैसी कोई चीज ही नहीं है।प्रदेश में अपराध बढ़ें भी क्यों नहीं? मायावती सरकार में मंत्री रहते हुए अमरमणि त्रिपाठी पर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या की साजिश के आरोप लगे तो उन्हें मंत्रिमण्डल से हटा दिया गया। जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने तो वही अमरमणि कुछ अन्य विधायकों को तोड़कर सपा में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री बनते ही मुलायम सिंह ने बयान दिया कि अमरमणि ने प्रदेश को माया राज से बचाने में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसलिए उन पर कार्रवाई का सवाल ही पैदा नहीं होता। उधर मुलायम सिंह के भाई एवं राज्य सरकार मंत्री के शिवपाल यादव लखनऊ जिला जेल में अमरमणि को देखने गए तो उनकी शिकायत पर जेल अधीक्षक को निलंबित करने का फरमान जारी कर दिया गया। नतीजतन अपराध और अपराधियों के प्रति जेल व पुलिस-प्रशासन में कुछ न करने का परोक्ष संदेश गया। कुख्यात बाहुबली मुख्तार अंसारी पर एक भगोड़े सैनिक से सेना की लाइट मशीनगन एक करोड़ रुपए में खरीदने के पुख्ता सबूतों के बाद भी विशेष कार्यबल ने मुख्तार अंसारी को “क्लीन चिट” दे दी। एक अन्य प्रकरण में मुख्तार अंसारी व भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय के बीच राजधानी में हुए गोलीकाण्ड में अन्तिम रपट लगाकर अंसारी को बरी कर दिया गया है। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें सपा से जुड़े होने के कारण अपराधियों को खुली छूट मिली। ताजा उदाहरण रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का है। अभी उन पर से पोटा पूरी तरह नहीं हटा, फिर भी मुलायम सिंह ने उन्हें अपने मंत्रिमण्डल में शामिल कर लिया। इन सबका अच्छा संदेश नहीं गया है।नतीजे के तौर पर साफ देखा जा सकता है कि राज्य में जघन्य अपराधों की जो शुरुआत 10 माह पहले हुई थी, उसमें बढ़ोतरी होती जा रही है। जुलाई माह में उन्नाव के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को बालू माफियाओं ने गोली मार दी। वे अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। उन्नाव में एक ही परिवार के तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। राजधानी लखनऊ में एक सप्ताह के भीतर 10 हत्याएं और लूट की 8 वारदातें हुईं। माना जा रहा है कि अपराधियों के मन से कानून का भय खत्म हो चुका है और वे खुलेआम खूनी खेल रहे हैं। ऐसे में अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग उठ रही है तो इसमें गलत क्या है?28
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