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समर्थ भारत पर्व
गत 25 दिसम्बर, 2003 से 12 जनवरी, 2004 तक विवेकानंद केन्द्र, दिल्ली द्वारा समर्थ भारत पर्व मनाया गया। उल्लेखनीय है कि 25,26 व 27 दिसम्बर, 1892 को ही स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी में समुद्र के बीच स्थित एक शिला पर ध्यान लगाया था। गत वर्ष विवेकानंद केन्द्र ने 25 दिसम्बर से स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन 12 जनवरी तक हर वर्ष पूरे देश में समर्थ भारत पर्व मनाने का निश्चय किया। समर्थ भारत पर्व के अंतर्गत विवेकानंद केन्द्र, दिल्ली महानगर द्वारा दिल्ली के 20 विद्यालयों में प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। स्वामी विवेकानंद के जीवन पर 100 प्रश्ननों की प्रतियोगिता, समूह गान, श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ और गीता के ही किसी एक श्लोक पर लघु नाटिका की प्रस्तुति इन चार प्रकार की प्रतियोगिताओं में बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। गत 25 जनवरी को प्रतियोगिता में सफल बच्चों को पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम नई दिल्ली के भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे प्रसिद्ध साहित्यकार श्री नरेन्द्र कोहली। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम भारतमाता की जय का नारा लगाते हैं लेकिन जय के लिए कोई प्रयत्न नहीं करते। हम सुविधाभोगी मानसिकता के कारण संघर्ष नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन हमें संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य जीवन में आने वाले प्रगति में बाधक सभी बंधनों को तोड़ना था।
विवेकानंद केन्द्र के महानगर संचालक श्री आई.पी.गुप्ता ने स्वामी विवेकानंद के जीवन का अध्ययन करने और उससे प्रेरणा लेने का बच्चों से आह्वान किया। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद के जीवन पर एक चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। कार्यक्रम में अनेक विद्यालयें के छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावकों सहित अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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