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बंगलादेशमजहबी उन्माद से त्रस्त हैं हिन्दू बालिकाएं-प्रतिनिधिपूर्णिमा मजहबी उन्मादियों के अत्याचारों सेआहत विभा सिंहबलात्कार का शिकार ममताबंगलादेश में हिन्दुओं पर हमले जारी हैं। साम्प्रदायिक नफरत की आग में वहां के कट्टरपंथी, हिंसक मानसिकता वाले सत्तारूढ़ बी.एन.पी.समर्थकों ने हिन्दुओं के विरुद्ध जिहाद छेड़ दिया है और इसकी शिकार मासूम हिन्दू बालिकाएं भी हो रही हैं। पिछले तीन-चार साल से किस प्रकार इन बालिकाओं पर मजहबी उन्मादियों के अत्याचार बढ़ गए हैं, इसका साक्षात प्रमाण रीता रानी है। अक्तूबर, 2001 में रीता मात्र 8 वर्ष की अबोध बालिका थी। 2 अक्तूबर, 2001 को बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमाते इस्लामी के गुंडों ने रीता रानी के गांव अन्नदा प्रसाद के हिन्दू परिवारों पर आक्रमण कर दिया, पुरुषों को बुरी तरह पीटा, घरों को लूटा और महिलाओं से बलात्कार किया। यह देख डरी सहमी रीता अपनी मां के साथ कहीं छुपने की जगह ढूंढने लगी। जैसे ही गुंडे रीता के घर में घुसे, अन्य सभी बच्चे और महिलाएं वहां से भाग खड़े हुए पर रीता और उसकी मां तेजी से भाग नहीं पायीं और मोहम्मद सलीम की पकड़ में आ गर्इं। सलीम ने रीता को उसकी मां की गोद से छीन लिया और दोनों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया। वहीं धान के खेत में सलीम ने मासूम रीता के साथ वह सब कुछ किया, जो उसके लिए असहनीय था। बलात्कार की शिकार रीता वहीं बेहोश हो गयी। तीन घंटे बाद जब होश आया और आंखें खुलीं तो खून देखकर घबरा गयी। उसे यह नहीं पता कि उसके साथ बलात्कार हुआ था, लेकिन उसने इतना कहा कि सलीम और उसके साथियों ने उसके साथ बहुत बुरा किया।दो साल बाद वर्ष-2003, वही अक्तूबर का महीना। उसी गांव की दो और बच्चियां उन्मादी आततायियों की शिकार हुर्इं। 12 वर्षीया कनिका दास और 13 वर्षीया शिखा बालादास अपने एक रिश्तेदार के घर आई हुई थीं। 2 अक्तूबर को बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमाते इस्लामी के गुंडों ने उनके रिश्तेदार के घर पर हमला बोल दिया। बचने के लिए दोनों बच्चियां पास की अंधेरी झाड़ियों में छुप गर्इं। फिर भी गुंडों ने उन्हें पकड़ लिया और पास ही धान के खेतों में ले गए और शिखा व कनिका से बार-बार बलात्कार किया। बाद में बेहोशी की हालत में दोनों अलग-अलग खेतों से बरामद हुर्इं।12 वर्षीया पूर्णिमा शील का एक नहीं, कई बर्बर उन्मादियों ने बारी-बारी से बलात्कार किया। अक्तूबर, 2001 की वह रात याद कर पूर्णिमा अब भी कांप उठती है, जब 30 से ज्यादा लोगों ने पूरब देलुआ गांव में स्थित उसके घर पर हमला किया। पूर्णिमा कहती है, “मैं उनमें से ज्यादातर को पहचानती हूं, वे हमारे पड़ोसी मुस्लिम परिवारों के युवक थे। उन्होंने मेरी मां को बुरी तरह पीटा। वे उन्हें तब तक पीटते रहे, जब तक वह बेहोश नहीं हो गई। मैं उन्हें रोकती रही कि मेरी मां को मत मारो, लेकिन वे मां को पीटते रहे और फिर मुझे घसीटते हुए बाहर ले गए। मैंने बचाव के लिए काफी हाथ-पैर मारे, लेकिन उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया। अपनी बहन को भी जोर-जोर से आवाज लगायी लेकिन उन्होंने उसे भी पीटा। उसके बाद मेरे साथ क्या हुआ है, मैं बता नहीं सकती।” तीन घंटे बाद घर से एक मील दूर एक खेत में पूर्णिमा बेहोशी की हालत में मिली। बी.एन.पी. और जमाते इस्लामी के चार लोग इस अपराध में गिरफ्तार किए गए, लेकिन बाद में उन्हें बिना किसी पूछताछ के छोड़ दिया गया। बी.एन.पी. बंगलादेश की सत्तारूढ़ पार्टी है और जमाते-इस्लामी सरकार में उसकी सहयोगी पार्टी है।पूर्णिमा के परिवार की त्रासदी यहीं समाप्त नहीं हुई। जमाते इस्लामी और बी.एन.पी. के गुंडों ने दो बार उनकी दुकान लूटी। उसके बड़े भाई को इतनी बुरी तरह से पीटा कि उसकी आंखों की रोशनी ही चली गई। जान से मारे जाने की धमकी के चलते पूर्णिमा का परिवार गांव छोड़कर चला गया।पूर्णिमा सहित बंगलादेश में बलात्कार की शिकार अनेक बालिकाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। 14 वर्षीया किशोरी पूर्णिमा कहती है, “मुझे न्याय चाहिए, पैसा नहीं।” असहाय पूर्णिमा न्याय की गुहार कर रही है।22 अप्रैल, 2003 को किशोरी विभा सिंह सुबह-सुबह कालेज जाने के लिए घर से निकली थी। कुछ दूर ही पहुंची थी कि बंदूक की नोक पर गुंडों ने उसका अपहरण कर लिया। और अगले छह दिन तक खुलना शहर में उसे तीन अलग-अलग घरों में रखा गया जहां बड़ी निर्ममता से उसको शारीरिक यातनाएं दी गयीं और सामूहिक बलात्कार किया गया। इतना ही नहीं, गुंडों ने बर्बरता की सभी सीमाएं लांघीं और उसके शरीर के विभिन्न अंगों पर ब्लेड और चाकू से चीरा लगाया। उसके अंगों को सिगरेट से जलाया। उसके सिर को बार-बार दीवार से दे मारा। 29 अप्रैल को आखिर उसके पिता ने उसे ढूंढ निकाला। उसी दिन से विभा और उसका परिवार भयावह दु:स्वप्न की तरह जीवन जी रहा है। असुरक्षा की भावना से ग्रस्त विभा को लगता है कि उसका जीवन ही समाप्त हो गया है। बलात्कारी खुलेआम घूम रहे हैं और विभा व उसके परिवार वालों को धमका रहे हैं।भारत-बंगलादेश की सीमा पर बसे चटगांव में 19 नवम्बर को तेजेन्द्र लाल शील के दो-मंजिला घर पर हथियारों से सुसज्जित उन्मादियों ने हमला कर दिया। सशस्त्र गुंडों ने भूतल को घेर लिया तो परिवार के सदस्यों ने ऊपरी मंजिल पर शरण ले ली। इसके बाद गंुडों ने ज्वलनशील पदार्थ सीढ़ियों पर छिड़का और इमारत को आग लगा दी। इस कांड में 3 महिलाएं और 5 बच्चे जिंदा जल गए। इनमें सबसे छोटी बच्ची ने तो अभी दुनिया में आंखें ही खोली थीं। वह चार दिन की बच्ची दुनिया में कुछ देखने से पहले ही जिंदा जला दी गई। 15 वर्षीया एनी शील और 11 वर्षीया रूमी शील ने भी धधकती लपटों के बीच दम तोड़ दिया। सूत्रों का कहना है कि अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाले गुंडे बंगलादेश में सत्तारूढ़ दल के समर्थक हैं और कट्टरपंथी मुस्लिम। लेकिन प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया हिन्दुओं पर हो रहे इन अत्याचारों के प्रति आंखें मूंदे बैठी हैं। यही कारण है कि पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। बंगलादेश अल्पसंख्यक मानवाधिकार कांग्रेस ने लोगों से अपील की है कि वे इन पीड़ितों को न्याय दिलवाने के लिए आगे आकर आवाज बुलंद करें। संस्था ने बलात्कार की शिकार इन हिन्दू बालिकाओं को न्याय दिलवाने के लिए विश्वव्यापी अभियान छेड़ा है।केन्द्र में सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्वोत्तर में आई.एस.आई. ने अपनी गतिविधियां तेज कींदाऊद को निर्देशमुम्बई जैसी हिंसा फिर चाहिए!-अमरनाथ दत्तामाफिया सरगना दाऊद इब्राहिमकेन्द्रीय गुप्तचर विभाग ने एक गोपनीय पत्र द्वारा असम सरकार को पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. द्वारा संभावित हमले की सूचना देकर सावधान किया है। इस सूचना में कहा गया है कि आई.एस.आई. देश के कुछ आतंकवादी गुटों की मदद से असम में अलग-अलग स्थानों और उत्तर-पूर्व के विभिन्न क्षेत्रों में हिंसा फैला सकता है। इनका उद्देश्य नागा गुटों और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आफ नागालैण्ड (एन.डी.एफ.बी.) के साथ चल रही शांति वार्ता में बाधा पहुंचाना है।राज्य के एक वरिष्ठ गुप्तचर अधिकारी के अनुसार इस गुप्त रपट में आई.एस.आई. ने दुबई में रह रहे दाऊद इब्राहिम को भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और मुम्बई में लगातार हमलों के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है। इस रपट से यह भी पता चलता है कि आई.एस.आई. ने दाऊद इब्राहिम को धमकाया है कि अगर भारत में हिंसा फैलाने में वह असफल रहा तो उसे दी जा रही मदद रोक दी जाएगी। यह भी पता चला है कि आई.एस.आई. ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दाऊद अपने गुटों द्वारा भारत में अशांति फैलाने में अगर असफल रहा तो वह उसके प्रतिद्वंद्वी छोटा शकील की मदद इस काम में लेगी और उसे सहायता देगी। उल्लेखनीय है कि छोटा शकील का भाई अनवर हाल ही में पाकिस्तान गया था।1993 में मुम्बई को थर्रा देने वाली घटनाओं में जिस तरह की हिंसा का प्रयोग हुआ था, वैसी ही हिंसा एक बार फिर आई.एस.आई. चाहती है। यह रपट मिलने के बाद राज्य के खुफिया विभाग ने सेना के खुफिया विभाग के साथ आवश्यक रणनीति तय करने के लिए बैठक भी की है। केन्द्रीय गुप्तचर विभाग ने असम-बंगलादेश और मेघालय-बंगलादेश सीमा पर गैरकानूनी मदरसों के सर्वेक्षण करने का भी निर्णय लिया है। क्योंकि इन मदरसों में आई.एस.आई. के गुर्गों को प्रशिक्षण दिए जाने की बात सामने आई है।उत्तर-पूर्व में चल रही शांति-प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने के लिए बंगलादेश स्थित हरकत उल मुजाहिद्दीन के भी आई.एस.आई. के साथ सक्रिय होने की रपट आई है। दूसरी तरफ मुम्बई को भी अपने निशाने पर इसलिए रखा गया है क्योंकि वह देश की आर्थिक राजधानी है और वहां अभी भी दाऊद के गिरोह का तंत्र है। पिछले दिनों असम और नागालैण्ड में उल्फा और एन.डी.एफ.बी. द्वारा की गई हिंसा में 80 निर्दोष लोगों की जानें गईं थीं। हाल ही में रक्षा मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने इन घटनाओं के पीछे आई.एस.आई. का हाथ होने की बात स्वीकारी है। सूत्रों ने बताया कि आई.एस.आई. ने अपनी गतिविधियां बढ़ाने का निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि केन्द्र में सत्ता परिवर्तन हो गया है और भाजपा अब सत्ता में नहीं है। भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी के गृहमंत्रित्व काल में आई.एस.आई. की गतिविधियों पर नकेल कस दी गई थी। श्री आडवाणी के दृढ़ स्वभाव और कूटनीतिक निर्णयों के कारण आई.एस.आई. अपना कार्य सहजता से नहीं कर पा रही थी। पर अब आई.एस.आई. केन्द्र सरकार में शामिल कम्युनिस्टों के समर्थन का फायदा उठा रही है। पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट शासन के कारण आई.एस.आई. के लिए बंगलादेश की सीमा से अपने एजेंटों को भारत में भेजना आसान है ही, क्योंकि प. बंगाल की माक्र्सवादी सरकार ने अपने वोट बैंक के लिए घुसपैठ की अनदेखी की है। कोलकाता के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आई.एस.आई. एजेंटों की गिरफ्तारी इस बात को साबित करती है कि देश के पूर्वी हिस्से में आई.एस.आई. की पहुंच कहां तक है।3श्रद्धाञ्जलियोगी भजन ब्राह्मलीनविश्व प्रसिद्ध योगाचार्य श्री हरभजन सिंह खालसा का गत 6 अक्तूबर को अमरीका में निधन हो गया। 1929 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में जन्मे श्री हरभजन अपने अनुयायियों एवं प्रशंसकों के बीच “योगी भजन” के नाम से जाने जाते थे। उनकी स्मृति में गत 23 अक्तूबर को अमरीका के एस्पेनोला (न्यू मैक्सिको) में एक शोक सभा आयोजित हुई। इसमें राज्यसभा सदस्य एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री तरलोचन सिंह सहित अनेक गण्यमान्य जन विशेष रूप से शामिल हुए। सभा में अमरीकी राष्ट्रपति श्री जार्ज बुश, कनाडा के प्रधानमंत्री श्री पाल मार्टिन, भारत के प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव श्री कोफी अन्नान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरन्दिर सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की अध्यक्षा बीबी जागीर कौर द्वारा भेजे गए शोक सन्देश पढ़े गए। रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने अपने सन्देश में कहा, “भारत मां के इस सपूत ने अपने पारिवारिक दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वाह करते हुए भारतीय राजस्व तथा सीमा शुल्क विभागों में प्रमुख पदों पर रहकर देश को अपनी अतुलनीय सेवाएं समर्पित कीं। तत्पश्चात् “मानस की जात एकै पहिचानबो” की गुरुवाणी का अनुसरण करते हुए भौतिक सुखों की मृगमरीचिका के पीछे भाग रहे पश्चिम की अशांत आत्माओं को भारत की परम्परागत “कुण्डलिनी योग विद्या” सिखाकर उन्हें “सुख, शुचिता और सुस्वास्थ्य” का मार्ग दिखाने हेतु वे अमरीका पहुंच गए। उनका सूत्र वाक्य था- “अगर तुम सबमें भगवान नहीं देख सकते तो तुम भगवान को कभी नहीं देख सकते।” योगी भजन महिलाओं को समाज की रीढ़ मानते थे तथा उनकी शिक्षा तथा अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। अमरीकी सीनेट व कांग्रेस के अनेक सदस्यों तथा कई गवर्नरों के मित्र एवं सलाहकार योगी भजन ने विश्व की अनेक धार्मिक व राजनीतिक हस्तियों के साथ सार्थक संवाद स्थापित किया था तथा वे अनेक अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं में सम्मिलित व सम्मानित भी किए गए थे। ऐसे श्रेष्ठ योगी, मानव मित्र एवं अकाल तख्त के सेवक को मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। सत् श्री अकाल।”4
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