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पाकिस्तान के पूर्व पुलिस अधिकारी ने बताया-ईरानी राजदूत की हत्या का सच-कर्नल (से.नि.) प्रेमनाथ खेड़ापाकिस्तान के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने यह रहस्योद्घाटन किया है कि 1990 में लाहौर में एक वरिष्ठ ईरानी राजदूत की हत्या में पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. का हाथ था। साउथ एशिया ट्रिब्यून में छपी उनकी पुस्तक की समीक्षा में कहा गया है कि उस घटना के बाद पाकिस्तान में हुई शिया-सुन्नी हिंसा ने दोनों समुदायों के सम्बन्धों का रुख मोड़ दिया था।उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में दो राष्ट्रों की विचारधारा के बाद अब दो समुदायों का विचार जंगल की आग की तरह फैल रही है। परिणामस्वरूप शियाओं और सुन्नियों के बीच लगातार खूनी मुठभेड़ें हो रही हैं। मुल्तान में सुन्नी समुदाय के एक जुलूस पर जो हमला हुआ उसमें 140 लोग मारे गये थे और उससे कहीं ज्यादा घायल हुए। सियालकोट में शिया मस्जिद पर हुए हमले में 30 से अधिक लोग मारे गए। यह शिया-सुन्नी समुदायों में बढ़ती खायी का परिणाम है।वह पूर्व पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी हैं हसन अब्बास। वे आजकल हारवर्ड लॉ स्कूल में शोध कर रहे हैं। “पाकिस्तान का आतंकवाद की ओर खिसकना: अल्लाह, सेना और अमरीका का आतंकवाद के खिलाफ अभियान” नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने कहा है कि लाहौर में उस समय तैनात ईरानी राजदूत सादिक गंजी पर गोली तो कुख्यात आतंकवादी रियाज बसरा ने चलाई थी किन्तु मोटरसाइकिल पर जो दूसरा व्यक्ति था, वह आई.एस.आई. का कर्मचारी अतहर था। वह पाकिस्तानी वायु सेना में निचले स्तर पर कार्यरत था।यह पहला अवसर है जब पाकिस्तान के किसी पुलिस अधिकारी ने लाहौर में हुए ईरानी राजदूत हत्याकाण्ड में आई.एस.आई. की सीधी भागीदारी का भेद खोला है। हसन अब्बास ने अपने रहस्योद्घाटन में कुछ लीपा-पोती इन शब्दों में की है, “मगर यह नहीं मालूम कि गंजी की हत्या की मंजूरी सेना और आई.एस.आई. के अधिकारियों ने दी थी या आई.एस.आई. में घुसे किसी बदमाश ने अपने आप ही इस पाप का आदेश कर दिया था।”पुस्तक में अपने-अपने सम्प्रदाय की गतिविधियों को शक्ति देने में विदेशियों का विशेष तौर पर ईरानी और सऊदी पैसे का, पाकिस्तान में भड़काऊ गतिविधियों को हवा देने में गहरा हाथ बताया गया है। इस सम्बन्ध में अधिकारियों के नाम भी बताये गए हैं और यह भी बताया गया है कि किस तरह पाकिस्तान को शिया और वहाबी सम्प्रदाय के बीच रणभूमि में परिवर्तित कर दिया गया था। और किस तरह लोकतांत्रिक सरकारों ने आई.एस.आई. के पर काटने के प्रयास किए और साम्प्रदायिक हिंसा में उसके प्रभाव को रोकने की कोशिश की। मगर यह सभी प्रयास न केवल नाकाम बना दिए गए बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की हत्या की भी साजिश रची गई, जो विफल हो गई। हत्या की साजिश इसलिए की गई थी क्योंकि नवाज शरीफ आई.एस.आई. के पीछे पड़ गए थे।इस पुस्तक में यह भी दावा किया गया है कि ईरानी राजदूत सादिक गंजी पर गोली चलाने वाले रियाज बसरा ने ओसामा बिन लादेन और अल कायदा से बहुत अच्छे सम्बन्ध बना लिए थे। पंजाब पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ में बसरा मई, 2002 में मारा गया था। उससे पहले कई साल तक वह पुलिस की आंख में धूल झोंकने में सफल रहा था। उल्लेखनीय है कि जब सादिक गंजी लाहौर के माल रोड स्थित एक होटल से बाहर निकल रहे थे तब अचानक मोटरसाइकिल पर सवार हत्यारे सामने आ गए और उन्हें गोलियों से ढेर करके भाग गए। सूत्रों के अनुसार हत्यारा रियाज बसरा “सुन्नी सिपाह पाकिस्तान” का सक्रिय कार्यकर्ता था। अभी तक इस बारे में कोई विश्वसनीय सूचना नहीं आई है कि उसके साथी कौन थे। एक पूर्व पाकिस्तानी गुप्तचर ने इस बात का रहस्योद्घाटन किया है कि बसरा आई.एस.आई. के कुछ निचले स्तर के एजेंटों की सहायता से आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय था। (अडनी)40
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