आडवाणी ने बताया भाजपा का पथसंगठन और संघर्ष-राजनीतिक संवाददातानई दिल्ली के तालकटोरा सभागार में आयोजित
May 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आडवाणी ने बताया भाजपा का पथसंगठन और संघर्ष-राजनीतिक संवाददातानई दिल्ली के तालकटोरा सभागार में आयोजित

by
Jul 11, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jul 2004 00:00:00

आडवाणी ने बताया भाजपा का पथसंगठन और संघर्ष-राजनीतिक संवाददातानई दिल्ली के तालकटोरा सभागार में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् के अधिवेशन में पुन: वही जोश और उत्साह दिखा जो लोकसभा चुनाव से पहले हुई बैठक में दिखा था। हालांकि इस बीच लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली और अभी-अभी ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद राष्ट्रीय परिषद् के अधिवेशन में पराजय के बादल नजर नहीं आए। क्योंकि एक बार फिर भाजपा के जांचे-परखे और अनुभवी वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी का राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन हुआ। उल्लेखनीय है कि निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वेंकैया नायडू ने अपने पारिवारिक कारणों से गत 18 अक्तूबर को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था और उसी दिन श्री आडवाणी का राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मनोनयन किया गया था। इस मनोनयन को औपचारिक निर्वाचन में बदलने के लिए ही राष्ट्रीय परिषद् का यह अधिवेशन बुलाया गया था। अधिवेशन का उद्घाटन श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं श्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ श्री वेंकैया नायडू ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। समारोह में सर्वप्रथम भारतीय मजदूर संघ सहित अनेक अखिल भारतीय संगठनों के संस्थापक एवं प्रख्यात चिंतक स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगडी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। लोकसभा चुनावों के बाद पहली बार आयोजित हो रही इस राष्ट्रीय परिषद् के अधिवेशन में सम्पूर्ण देश के प्रतिनिधि, सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष व मुख्यमंत्री सम्मिलित हुए। चारों तरफ एक उत्साह का माहौल था। ढोल-नगाड़े बज रहे थे और भारतमाता की जय के साथ जय श्रीराम के नारे गूंज रहे थे। सभागार में तिल रखने भर की जगह नहीं बची थी और लोग बाहर खड़े रहकर ही आयोजन में सहभागी बने थे। अधिवेशन का आयोजन करने वाले प्रदेश अर्थात् दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष डा. हर्षवद्र्धन ने सभी वरिष्ठ नेताओं और प्रतिनिधियों का स्वागत किया।कुछ अलग ही था माहौलइस बार राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में मंच पर वर्तमान वरिष्ठ नेताओं के आदमकद चित्र नदारद थे। केवल भाजपा के आदर्श डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र ही भारतमाता के चित्र के दाएं-बाएं लगे थे। सभागार में चारों ओर महात्मा गांधी, वीर सावरकर व अन्य महापुरुषों के बोधवाक्य अंकित थे। “बहे राष्ट्रवाद की धारा, भारत हो समृद्ध हमारा” की पंक्तियां एक बड़े लक्ष्य की ओर संकेत कर रही थीं।श्री आडवाणी के सम्बोधन से पूर्व गीतकारों ने “ध्येय मार्ग पर चले वीर तो, पीछे अब न निहारो, हिम्मत कभी न हारो” गीत गाकर जैसे पुन: ऊर्जा भर दी हो। मंच पर इस बार अटल जी, आडवाणी जी, वेंकैया नायडू, जसवंत सिंह और डा. हर्षवद्र्धन के अतिरिक्त केवल भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री ही बैठे। अन्य सभी वरिष्ठ नेता सामने की दीर्घा में थे। एक और बदलाव रहा कि इस बार मंच संचालन मुख्तार अब्बास नकवी ने नहीं, राजनाथ सिंह ने किया। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है।सर्वप्रथम वेंकैया नायडू ने अपनी अध्यक्षीय यात्रा को बीच में ही छोड़ देने के कारण गिनाए और कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं। किसान परिवार में जन्मा एक छोटा-सा कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की यात्रा केवल इसी दल में पूरी कर सकता है। उन्होंने मीडिया द्वारा उछाले जा रहे नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के संघर्ष को बेबुनियाद और कोरी कल्पना बताया। उन्होंने कहा कि आडवाणी जी हम सबसे कहीं अधिक क्रियाशील हैं और हम सब उनके नेतृत्व में काम करके आने वाली चुनौतियों का सामना करेंगे। 27 माह तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे श्री नायडू ने विश्वास जताया कि नए अध्यक्ष के नेतृत्व में हम पुन: केन्द्र सरकार में वापस आएंगे। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से एक बार फिर कहा कि मैं आज जो कुछ हूं, पार्टी की वजह से हूं। हम सबको यह नहीं सोचना चाहिए कि पार्टी ने हमें क्या दिया बल्कि हमें यह सोचना चाहिए कि हमने पार्टी के लिए क्या किया। इसके पश्चात् श्री वेंकैया नायडू ने अपने त्यागपत्र की विधिवत घोषणा की और श्री लालकृष्ण आडवाणी को अध्यक्ष निर्वाचित करने के साथ ही संगठन की सभी समितियों के पुनर्गठन का अधिकार उन्हें सौंपे जाने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का अनुमोदन पूर्व वित्त मंत्री श्री जसवंत सिंह ने किया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने श्री लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किये जाने की अधिकृत घोषणा की।राष्ट्रीय अधिवेशन में भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री अरुण जेटली ने एक राजनीतिक प्रस्ताव रखा, जिसका अनुमोदन गुजरात के मुख्य6मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया ने किया। संगठन के संविधान में फेरबदल से सम्बंधित दूसरा प्रस्ताव श्री प्रमोद महाजन ने प्रस्तुत किया, जिसका सभी प्रतिनिधियों ने हाथ उठाकर अनुमोदन किया। इस परिवर्तन द्वारा अब पार्टी संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष के साथ-साथ 9 उपाध्यक्ष, 7 महासचिव तथा 9 सचिव होंगे। जबकि पहले इनकी संख्या 7 उपाध्यक्ष, 5 महासचिव तथा 7 सचिवों तक सीमित थी। अर्थात् प्रत्येक स्तर पर दो नए पद सृजित किए गए हैं। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि इतने विशाल देश में पार्टी अध्यक्ष को कार्य करने के लिए एक बड़ी टीम की आवश्यकता है।नए अध्यक्ष का उद्बोधनचवीं बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर श्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने सम्बोधन में जनसंघ से प्रारंभ हुई विकास यात्रा के चढ़ाव और उतार पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय भाजपा के लिए परीक्षा की घड़ी है। मई, 2004 में हम वह आम चुनाव हार गए, जिसे जीतने का हमें पक्का भरोसा था। नि:संदेह इससे बड़ा धक्का लगा है। 1984 में लोकसभा में हमें दो स्थान मिले थे, जो 1999 में बढ़कर 181 हो गए। भाजपा की लगातार हो रही बढ़त इन चुनावों में न सिर्फ रुकी बल्कि हम पीछे भी हटे और 138 स्थानों तक पहुंच गए। लोकसभा में भाजपा ने सबसे बड़ी पार्टी होने की अपनी स्थिति भी खो दी। भले ही भाजपा तथा कांग्रेस के मध्य लोकसभा सदस्यों की संख्या में सिर्फ आठ का अन्तर हो, फिर भी इस बात का महत्व कम नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस हमसे आगे, पहले स्थान पर पहुंच गई है। लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश, बिहार तथा झारखण्ड में भाजपा की हार के परिमाण ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में पार्टी की प्रभावशाली सफलता का असर धो डाला।हार के कारणहार के कारणों की समीक्षा करते हुए श्री आडवाणी ने हार के तीन कारण गिनाए। उन्होंने कहा कि हमारे आकलन जहां भी गलत साबित हुए, उसे स्वीकारना होगा। हमने सोचा था कि अच्छी सरकार और चुनाव परिणामों में सीधा सम्बंध होता है, लेकिन यह मानना पूरी तरह से सही नहीं था। क्योंकि यदि ऐसा होता तो उन प्रदेशों से जनता उस सत्तासीन सरकार को उखाड़ फेंकती जिनका विकास पर कोई विश्वास नहीं है। इसके बावजूद हम देखते हैं कि वे लगातार चुनाव जीतते चले आ रहे हैं। पर भाजपा और राजग ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के यशस्वी कार्यों की ताकत पर चुनाव लड़ा। लेकिन दुर्भाग्य से भारत जैसे विशाल और विविधता भरे देश में अच्छे शासन का सब जगह एक जैसा असर नहीं पड़ता। देश के सामने एक बड़ा चित्र रखते समय हम लोगों ने छोटी-छोटी बातों पर ध्यान न देने की गलती की। हम तेज बदलाव के मानवीय पहलू के बारे में पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाए। इसलिए परिवर्तन की लहरों पर सवार होने की अदम्य इच्छा के चलते हमने उनको चोट पहुंचाई, जो इस लहर से अछूते रह गए थे। अपनी इन गलतियों और भूलों की हमें भारी कीमत चुकानी पड़ी है। हमें अपनी कमियों का पूरा अहसास है और मैं आज आपको यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इन कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक सुधार किए जाएंगे।जनाकांक्षा कुछ और थीश्री आडवाणी ने कहा कि भले ही पार्टी संसद में कितना भी अच्छा प्रदर्शन करे पर यदि चुना गया जन प्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र की चिंता नहीं करेगा, वहां के लोगों के साथ जीवंत सम्बंध नहीं बनाए रखेगा, तो राष्ट्रीय परिदृश्य में अनुकूल वातावरण होने के बावजूद निर्वाचन क्षेत्र में पराजय का मुंह ही देखना पड़ेगा।तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम कार्यकर्ता के प्रति अपने दायित्व को नहीं निभाएंगे तो उसका यही परिणाम होगा। भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसका मन और आत्मा कार्यकर्ता में बसते हैं। यह वही कार्यकर्ता है जो जीत-हार की चिन्ता किए बिना पार्टी के लिए अनथक कार्य करता है और यही वह कार्यकर्ता है जो पार्टी को सामान्य मतदाता से जोड़ता है। हमारी सबसे बड़ी ताकत यही कार्यकर्ता है। केरल में हम अभी तक एक भी स्थान नहीं जीत पाए, इसके बावजूद वहां हमारे कार्यकर्ता न केवल जुटे हैं बल्कि उन्होंने हमारा कार्य आगे बढ़ाने के लिए बलिदान तक दिए हैं। पर, जब हमारी पार्टी सत्ता में थी तो हमारे कुछ पदाधिकारियों के कामकाज के तौर-तरीकों और उनके व्यवहार के बारे में पिछले कुछ महीनों में मुझे बेहिसाब शिकायतें मिली हैं, निश्चित रूप से इनसे मैं व्यथित हुआ हूं। मैं कह सकता हूं कि हमने अपनी इस रीढ़ की हड्डी के प्रति न्याय नहीं किया। अहंकार, रूखेपन, पक्षपात तथा केवल पैसे के बल पर ही सब कुछ काम करवाने की प्रवृत्ति ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार तक के आरोप लगे। इस तरह का व्यवहार आमतौर पर हताशा और चिढ़ बढ़ाता है। इससे जनता में सामान्यत: फैली हुई एक भावना ज्यादा मजबूत बनती है कि यह देश स्वार्थी और लालची राजनेताओं द्वारा गिरावट की तरफ ले जाया जा रहा है।अयोध्या आंदोलनउन्होंने कहा कि भाजपा और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए रामजन्मभूमि आन्दोलन एक निर्णायक मोड़, एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि हिन्दू नवोदय के इस आन्दोलन में हमारी भूमिका ने ही जनता की आंखों में हमारे प्रति सपने जगाए तथा पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाया। भाजपा की शून्य से शिखर तक की यात्रा इस बात का उदाहरण है कि जनता वहां मंदिर का निर्माण चाहती है।1998-99 से जिन लोगों ने हमें समर्थन दिया, उनमें एक बहुत बड़े वर्ग ने यह आशा की थी कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार अयोध्या में मंदिर निर्माण के रास्ते की बाधाओं को दूर कर देगी। लोगों की यह आशाएं गठबंधन राजनीति की सीमाओं, विपक्ष के नासमझ विरोध तथा न्यायपालिका की जटिल भूमिका से पूरी तरह असम्बद्ध थी। राजग सरकार के आखिरी साल में हमने हिन्दू तथा मुस्लिम धार्मिक नेताओं से बातचीत के जरिए इस समस्या के समाधान की दिशा में काफी प्रगति की थी। हम इस समस्या के समाधान में काफी आगे बढ़ सके थे। मुझे पूरी उम्मीद थी कि बातचीत के जरिए आम चुनावों के बाद जल्दी ही राष्ट्रीय भावनाओं के अनुरूप समाधान निकल सकेगा।विडम्बना यह है कि हम आगे तो बढ़े, पर थोड़ी धीमी गति से और जानबूझकर समाधान तक पहुंचने वाली बातचीत को प्रचारित नहीं होने दिया। परिणाम यह निकला कि चुनाव के समय स्वाभाविक रूप से इस बारे में एक निराशा जैसा वातावरण बना कि हम राम मंदिर निर्माण के बारे में भी कुछ नहीं कर सके। राजनीतिक दृष्टि से भाजपा के लिए यह एक अजीब-सी परिस्थिति थी कि अधिकांश असंयम उन संगठनों की ओर से प्रकट हुआ जिन्हें हम सहगामी बन्धु संगठन मानते हैं। इन विरोधों और मतभेदों ने वैचारिक फूट का दृश्य उपस्थित किया और इससे हमारे परम्परागत समर्थक भी भ्रमित हुए। अंतत: यह कहा जा सकता है कि सब जगह न तो हम अपने कार्यकर्ताओं को एक जैसे प्रेरित कर सके, न ही उत्साहित।राम मन्दिर बनेगा हीश्री आडवाणी ने कहा कि 14 वर्ष पहले जब मैंने सोमनाथ से अयोध्या रथ यात्रा प्रारंभ की थी तब से बहुत परिवर्तन हो चुके हैं। प्रत्यक्षत: अयोध्या में मंदिर एक ऐसी- जटिल कानूनी प्रक्रिया में उलझ गया है जो क्षोभ पैदा करती है। राजनीतिक दल अदालती फैसले की आवश्यकता का वाणी विलास इसलिए करते हैं क्योंकि इससे उन्हें किसी एक फैसले पर पहुंचने की परेशानी नहीं उठानी पड़ती। हमारे प्रबुद्ध इतिहासकारों को जब-जब बाबरी ढांचे से भी पहले वहां स्थित मंदिर के पुरातात्विक अवशेष दिखाए जाते हैं तो वे नजर घुमा लेना पसन्द करते हैं। इसके बावजूद यह कहना होगा कि जिस माहौल ने अयोध्या को स्वतंत्रता के बाद का सबसे शक्तिशाली जन-आन्दोलन बनाया, वह माहौल अब बदल गया है। अयोध्या आन्दोलन ने यह सुनिश्चित किया था कि हिन्दुओं को न तो मनचाहा इस्तेमाल किया जा सकता है, न ही उनकी भावनाओं का अनादर किया जा सकता है।श्री आडवाणी ने सभागार में गूंज रहे “जय श्रीराम” के उद्घोषों के बीच स्पष्ट किया कि अयोध्या में राम मंदिर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अडिग और अपरिवर्तनीय है। यही बात हमने दृष्टिपथ, 2004 के दस्तावेज में दोहराई थी। यह देश बहुत आतुरता से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है जब राम जन्मभूमि पर बने हुए अस्थाई मंदिर की जगह भगवान राम की महानता के अनुरूप मंदिर का निर्माण होगा।श्री आडवाणी ने कहा कि भाजपा बाकी सबसे भिन्न विशिष्टता वाली पार्टी है। लेकिन जब तक हम अपने व्यवहार और निष्ठा से यह नहीं दिखा पाते कि हम राजनीतिक गिरावट और विकृतियों की बीमारी का हिस्सा नहीं हैं, तब तक हमारी विशिष्टता का दावा कमजोर ही रहेगा। राजनेताओं की आज जो भद्दी और विकृत तस्वीर है, भाजपा को उसे बदलने के लिए पूरी ताकत से कोशिश करनी होगी। हर स्तर पर अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से भाजपा की यही अपेक्षा है कि वे सम्मान, संयम तथा गरिमा के साथ व्यवहार करेंगे। हमारी राजनीति किन्हीं विशिष्ट मूल्यों पर आधारित है। हम इस बात की कभी अनुमति नहीं दे सकते कि कांग्रेस संस्कृति का आत्मकेन्द्रित स्वार्थी तत्व हमारे संगठन को भी दीमक की तरह खोखला करने लगे।विचारधारा के प्रति वचनबद्धउन्होंने कहा कि यह विचारधारा ही है जो भाजपा को उसकी विशिष्ट पहचान देती है। हम एक अलग पहचान वाली पार्टी इसीलिए हैं क्योंकि हम कुछ खास आस्थाओं और सिद्धांतों से अनुप्राणित हैं। हमारी राजनीतिक प्राथमिकताएं, रणनीतियां एवं कदम भले ही तात्कालिक मुद्दों से रूपाकार लेते हों लेकिन आधारभूत विचारधारा अपरिवर्तित रहती है। भाजपा की निष्ठा है सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में। हमारा विश्वास है कि भारतीय राष्ट्रीयता की जड़ें अन्तर्निहित सांस्कृतिक एकात्मता में हैं। हममें से कुछ राष्ट्रीयता के इस बोध को हिन्दुत्व कहते हैं तो पं. दीनदयाल उपाध्याय ने इसी को भारतीयता भी कहा। मुझे यह देखकर दु:ख होता है कि हमारी राष्ट्रीयता के मूल स्वरूप की पहचान होने के बावजूद हिन्दुत्व को एक राजनीतिक दृष्टिकोण के रूप में गलत ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। हिन्दुत्व एक भावना है, जो न तो चुनावी नारा हो सकता है और न ही उसको पंथ या सम्प्रदाय के साथ भ्रमित करके देखना चाहिए। यह हमारी जीवन पद्धति का स्वरूप है, एक विचार है जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है।विपक्ष धर्म और नई सरकारपिछले कुछ समय से यह चर्चा होने लगी है कि पार्टी ने अपनी विचारधारा को छोड़ दिया है। यह आशंका इस तथ्य के कारण पैदा हुई क्योंकि राजग के “शासन चलाने के राष्ट्रीय कार्यक्रम” में धारा 370 की समाप्ति, अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण तथा समान नागरिक संहिता के प्रति हमारी वचनबद्धता जैसे बिन्दु शामिल नहीं थे। लेकिन विचारधारा को छोड़ देने की तमाम संदेह और आशंकाएं निराधार हैं। विचारधारा किन्हीं निश्चित सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता का नाम है। यही वह पहलू है जो विभिन्न राजनीतिक सवालों के प्रति हमारे दृष्टिकोण को परिभाषित करता है। यह अलग बात है कि तात्कालिक राजनीतिक प्राथमिकताएं कुछ अन्य कारणों से निर्णीत होती हैं तथा उनका एक संदर्भ होता है। उन्होंने कहा कि हम न अपने विचारों से डिगे हैं और न हमारे कार्यकर्ताओं को उसके लिए संकोच होना चाहिए।गांव-गांव तक पहुंचेंभावी कार्यक्रमों और लक्ष्य की चर्चा करते हुए श्री आडवाणी ने कहा कि भाजपा सबसे पहले और अग्रणी तौर पर एक ऐसी पार्टी है जिसकी देश के गांवों में गहरी जड़ें हैं। हमारे सांसदों और विधायकों की काफी बड़ी संख्या ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों से ही आती है। भाजपा को इस बात का भी गर्व है कि उसके पास दलित तथा जनजातीय समुदायों से सर्वाधिक संख्या में सांसद हैं। हमारे विचार परिवार के साथ जुड़े संगठन जनजातियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शिक्षा तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इन महत्वपूर्ण राष्ट्र निर्माण के कार्यों में पार्टी के पदाधिकारियों को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।नए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हम सरकार चलाने के अनुभव से समृद्ध विपक्षी दल ही नहीं हैं, बल्कि हमें प्रतीक्षारत सरकार के रूप में देखा जाता है। अब हमें विपक्ष के नाते अपनी जिम्मेदारियों को ताकत और तेजस्विता से निभाना होगा। हमें समझना होगा कि इस नई गठबंधन सरकार का संसद में भले ही स्पष्ट बहुमत होगा लेकिन वह उस प्रकार से स्थिर सरकार नहीं है जैसी कि पिछले 5 वर्षों में श्री वाजपेयी की सरकार थी। स्थिरता सिर्फ संख्या बल से नहीं आती, वह सरकार की गुणवत्ता पर भी निर्भर होती है। श्री मनमोहन सिंह की सरकार को अभी भी अपने ही विरोधाभासों से पार पाना बाकी है। वामपंथी पार्टियों का कार्यक्रम अगर पीछे की ओर धकेलने वाला है तो क्षेत्रीय दलों की अपनी अलग प्राथमिकताएं हैं और कांग्रेस दो सत्ता केन्द्रों के बीच झूल रही है। यह एक स्थिर सरकार नहीं है। बल्कि ऐसा कमजोर तानाबाना है जो या तो अपने कार्यकाल को लड़खड़ाते हुए पूरा करेगा या किसी भी समय अचानक ध्वस्त हो जाएगा। इनमें से जो भी हो, भारत के लिए इसके परिणाम उत्साहजनक नहीं होंगे। ऐसी परिस्थिति में भारतीय जनता पार्टी को हर तरह की आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। इसके साथ ही श्री आडवाणी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे अभी से अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी प्रारंभ कर दें।हमारी विरासतउन्होंने कहा भाजपा के समक्ष चुनौतियां दुर्धर्ष हैं और पिछले कुछ दिनों में मुझसे गगनचुम्बी ऊंचाइयां छूने वाली अपेक्षाएं की गयी हैं। पिछले 5 दशकों से मैं उस अनुष्ठान का एक समर्पित सिपाही रहा हूं, जिसका श्रीगणेश डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था, जिसे पं. दीनदयाल उपाध्याय ने पाला-पोसा और श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गौरवशाली ऊंचाईयों तक पहुंचाया। इसी के साथ मैं कहना चाहूंगा कि मुझे नि:स्वार्थ देशभक्ति की प्रेरणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिली है। इन दोनों ने मिलकर मुझे कठिनतम यात्राओं को सफलतापूर्वक पूरा करने की शक्ति और साहस दिया है। आगे की यात्रा के बारे में विश्वास रखिए कि वह कठिन ही होने वाली है। इसके लिए सम्पूर्ण लगन, समर्पण तथा कार्यकर्ताओं के सामूहिक विवेक के साथ हमारे सम्पूर्ण परिवार की सदिच्छा चाहिए। सबसे बढ़कर इस कार्य के लिए नि:स्वार्थ भावना की जरूरत होगी। उन्होंने संघ विचार परिवार को साथ लेकर चलने की बात करते हुए कहा कि मुझे पार्टी के प्रत्येक आनुषांगिक पक्ष तथा परिवार के असंदिग्ध सहयोग का सौभाग्य मिला। इस बार भी मुझे यही अपेक्षा और आशा है।8

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तान की गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हुआ पुंछ का एक मकान

‘ऑपरेशन सिंदूर’ : बाज नहीं आना, नागरिक निशाना

दुश्मन कांप जाते हैं… : आदमपुर एयरबेस से दहाड़े PM मोदी, कहा- हमारी सेना न्यूक्लियर ब्लैकमेल की हवा निकाल देतीं हैं

CBSE 12वीं रिजल्ट 2025 : 88.39% विद्यार्थी पास, लड़कियों ने मारी बाजी, ऐसे चेक करें स्कोरकार्ड

कुत्ते की मौत मारे गए लश्कर के आतंकी : शोपियां में सुरक्षाबलों ने 3 दहशतगर्दों को ठोंका, ऑपरेशन जारी…

Indian Army Operation in Shopian

शोपियां में सेना की बड़ी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी

पाकिस्तानी फौजी कमांडर जनरल असीम मुनीर

Operation Sindoor: जब भारत के हवाई हमलों से घबराकर जिन्ना के देश का फौजी कमांडर जा दुबका था बंकर में

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान की गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हुआ पुंछ का एक मकान

‘ऑपरेशन सिंदूर’ : बाज नहीं आना, नागरिक निशाना

दुश्मन कांप जाते हैं… : आदमपुर एयरबेस से दहाड़े PM मोदी, कहा- हमारी सेना न्यूक्लियर ब्लैकमेल की हवा निकाल देतीं हैं

CBSE 12वीं रिजल्ट 2025 : 88.39% विद्यार्थी पास, लड़कियों ने मारी बाजी, ऐसे चेक करें स्कोरकार्ड

कुत्ते की मौत मारे गए लश्कर के आतंकी : शोपियां में सुरक्षाबलों ने 3 दहशतगर्दों को ठोंका, ऑपरेशन जारी…

Indian Army Operation in Shopian

शोपियां में सेना की बड़ी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी

पाकिस्तानी फौजी कमांडर जनरल असीम मुनीर

Operation Sindoor: जब भारत के हवाई हमलों से घबराकर जिन्ना के देश का फौजी कमांडर जा दुबका था बंकर में

बीएलए ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर हमले तेज़ कर दिए हैं। बलूच लोगों ने पाकिस्तानी झंडे की जगह अपने झंडे फहरा दिए हैं। (सोशल मीडिया/बीएलए)

ऑपरेशन सिंदूर : खंड-खंड पाकिस्तान!

PM Modi Adampur airbase visit

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम मोदी, जवानों को सराहा

Punjab Khalistan police

खालिस्तानी आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाने वाला आतंकवादी हैरी गिरफ्तार

Donald trump want to promote Christian nationalism

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर से मिल रहा 3300 करोड़ का गिफ्ट, फिर अमेरिका में क्यों मचा है हड़कंप?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies